हरियाणा के जिले करनाल में फूड माफिया पर नकेल कसने के लिए इस बार सरकार ने कमर कस ली है। पहले तो धान खरीद के दौरान लगातार कार्रवाई हुई। अब जबकि धान की खरीद बंद हो गई तो राइस मिल में फिजिकल वेरिफिकेशन हो रही है। फिजिकल वेरिफिकेशन में यह देखा जाता है कि मिल को जितना धान कुटाई के लिए सरकारी एजेंसियों की ओर से अलॉट किया गया। क्या उतनी मात्रा में धान है या नहीं।

फिजिकल वेरिफिकेशन से यह पता चल जाता है कि सरकारी धान खरीद में गड़बड़ी हुई या नहीं। इस बार करनाल में धान खरीद के दौरान भारी अनियमितताओं के आरोप लगे। इसके मद्देनजर अब धान की PV चल रही है। टीम तीन दिनों से अलग-अलग राइस मिल संचालकों के यहां जांच करने के काम में जुटी हुई है । पहली नजर में ही कई राइस मिल में गड़बड़ी मिली है। इसी रिपोर्ट भी साथ के साथ ही तैयार हो रही है, लेकिन अधिकारी अभी इस मामले में कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है।

मिलों में धान के स्टॉक की जांच करने पहुंचे अधिकारी।
मिलों में धान के स्टॉक की जांच करने पहुंचे अधिकारी।

PV में लग रहे पिक एंड चूज के आरोप
हालांकि टीम का दावा है कि सभी राइस मिलों की जांच होगी, लेकिन इस तरह के आरोप भी लग रहे हैं कि PV सही से नहीं हो रही है। कई मिलों में अनियमितता तो मिली, लेकिन इसे रिकॉर्ड पर नहीं लिया गया है। एंटी करप्शन फाउंडेशन के चेयरमैन संजीव शर्मा ने बताया कि कुटेल रोड के राइस मिलों में अभी तक PV नहीं की गई है। जबकि सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार वहां के मिलों में हुआ है।

इसी तरह से वह मिल जिन्हें लाभ पहुंचाते हुए जींद और दूसरे जिलों से भी सरकारी धान खरीदने की इजाजत दी गई, उनकी PV अभी तक नहीं हुई। ऐसा लग रहा है कि जिस तरह से CM फ्लाइंग ने धान की खरीद के शुरूआती दौर में तो तेजी से कार्रवाई की, लेकिन बाद में सारा मामला ठंडे बस्ते में चला गया। इसी तरह से PV में भी कोई बड़ा खेल न हो जाए।

धान के स्टॉक की जांच करते टीम के सदस्य

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