पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट की पूर्व महिला जज जस्टिस निर्मल यादव से जुड़े ‘कैश एट डोर’ रिश्वतकांड को 14 साल हो गए हैं। मगर, अभी तक मामला चंडीगढ़ CBI कोर्ट में लंबित है। अब चंडीगढ़ कोर्ट ने कह दिया है कि दिसंबर 2022 तक इस केस का ट्रायल पूरा किया जाएगा। आरोपियों की CrPC 313 के तहत बयान दर्ज करने के लिए 10 अक्तूबर को सुनवाई तय की थी। हालांकि केस में लगातार बचाव पक्ष तारीख मांगता रहा है।
ऐसे में अब CBI कोर्ट ने आगे तारीख मांगने का मौका देने से इनकार करते हुए 19 नवंबर को CrPC 313 के तहत बयान दर्ज करवाने को कहा है। कोर्ट ने अपने आर्डर में कहा है कि यह मामला 10 साल से पुराने केसो की श्रेणी में आता है। ऐसे में हाईकोर्ट के आदेशों के तहत केस को इसी वर्ष दिसंबर तक डिसाइड किया जाना है। मामले में कोर्ट ने CBI की 20 के लगभग गवाहों को दोबारा ‘कटघरे’ में बुलाने की अर्जी को खारिज करते हुए आरोपियों को CrPC 313 के तहत बयान दर्ज करवाने को कहा था।
रिटायर जज निर्मल यादव पर प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट की धारा 11 और बाकी चार आरोपियों पर IPC की विभिन्न धाराओं समेत आपराधिक साजिश की धारा भी लगाई गई थी। आरोपियों में पूर्व एडिशनल एडवोकेट जनरल संजीव बंसल की मौत हो चुकी है। वहीं जस्टिस यादव समेत हरियाणा-दिल्ली के होटेलियर रविंदर सिंह भसीन, चंडीगढ़ के बिजनेसमैन राजीव गुप्ता और एक निर्मल सिंह पर मुकद्दमा चल रहा है।
गलत जज के घर ले आया था रिश्वत
हाईकोर्ट की एक तत्कालीन महिला जज, जस्टिस निर्मलजीत कौर के घर गलती से रिश्वत के 15 लाख रुपए पहुंच गई थी। CBI केस के मुताबिक यह रकम जस्टिस निर्मल यादव के लिए थी। जस्टिस निर्मलजीत कौर के पियन अमरीक सिंह ने 13 अगस्त, 2008 को हुए इस प्रकरण की शिकायत दी थी। प्रकाश राम नामक व्यक्ति उनके घर प्लास्टिक बैग में यह रकम लेकर पहुंचा था। उसने पियन को कहा कि दिल्ली से कुछ पेपर्स आए हैं जो डिलीवर करने हैं। हालांकि बैग में मोटी रकम थी। केस की गंभीरता को देखते हुए चंडीगढ़ CBI को केस की जांच सौंपी गई थी।