कुरुक्षेत्र 18 जुलाई कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के उपनिदेशक डा. प्रदीप मील ने कहा कि उपायुक्त शांतनु शर्मा की अध्यक्षता में विभाग के अधिकारियों के साथ जिला में बरसाती पानी के कारण फसलों के हुए नुकसान की समीक्षा की गई। इस बैठक में फसलों को हुए नुकसान का विस्तृत आकलन प्रस्तुत किया गया।
डीडीए प्रदीप मील ने कहा कि जिन किसानों की धान की फसल खराब हो गई है और वह किसान दोबारा धान की रोपाई करना चाहते है, लेकिन उनके पास धान की पौध उपलब्ध नहीं है। ऐसे किसान कम अवधि की धान किस्में जैसे पूसा-1509 और पीबी-1692 की पौध तैयार करने के लिए बिजाई कर सकते है, क्योंकि यह किस्म बिजाई से पकने तक 120 दिन का समय लेती है और 15 से 20 नवंबर तक कटाई के लिए पक तैयार हो जाएगी और उसके उपरांत किसान गेहूं की फसल की बिजाई कर सकते है। उन्होंने कहा कि बरसात का पानी उतरने के बाद जो फसल बच गई है, वे किसान उन फसलों में यूरिया आदि खाद का स्प्रे करें। यदि छिट्टा विधि से खाद खेते में डालना चाहते है तो ऐसी अवस्था में किसान खाद की मात्रा को दो-तीन हिस्सों में बांटकर खेत में डाले।
उन्होंने कहा कि बची हुई धान की फसल में तनागलन बीमारी का प्रकोप को सकता है, जिसके लिए किसान यदि संभव है तो खेत में खड़ा पानी निकाल दे अथवा 200-250 ग्राम प्रति एकड़ बवास्टीन फफंूदीनाशक का प्रयोग करें। जड़ की सूंडी व तना मोडक़ (लीफ फोल्डर) का प्रकोप भी फसल में हो सकता है। इसके लिए दानेदार कीटनाशक पदान 10-जी की 4 किलो प्रति एकड़ का प्रयोग करें तथा तना मोडक़ के लिए कीटनाशी क्विनलफॉस-20 एएफ की 400 मिली लीटर का प्रति एकड़ स्पे्र करें। उन्होंने कहा कि फसल अवशेष प्रबंधन हेतू एकल किसान को 50 फीसदी व कस्टम हायरिंग सेंटर को 80 फीसदी अनुदान पर कृषि यंत्र उपलब्ध करवाए जा रहे है। जिसके लिए किसान ऑनलाइन पोर्टल पर 23 जुलाई तक अपने आवेदन कर सकते है। इन कृषि यंत्रों में एसएमएस सिस्टम, हैप्पी सीडर, चौपर, एमबी प्लो, सुपर सीडर, जीरो ड्रिल मशीन व बेलर शामिल है।