पंचकूला। हरियाणा में संपत्ति कर (प्रापर्टी टैक्स) की वसूली में कमी आई है। वर्ष 2023-24 में 563.36 करोड़ रुपये की वसूली हुई थी, जबकि वर्ष 2024-25 में यह आंकड़ा घटकर 475.09 करोड़ रुपये पर आ गया है। यह कमी लगभग 16 प्रतिशत है।
कर वसूली में आई कमी की एक वजह प्रापर्टी आईडी में कई जिलों में आई विसंगतियों को माना जा रहा है। इन विसंगतियों को शहरी निकाय विभाग के अधिकारी दूर नहीं कर पाए हैं, जिसका नतीजा कम वसूली के रूप में सामने आया है।
हरियाणा में प्रापर्टी आइडी बनाने वाली जयपुर की कंपनी को पहले ही ब्लैक लिस्ट किया जा चुका है। कंपनी जब यह काम छोड़ चुकी तो उसे जारी रखने तथा लोगों की प्रापर्टी आइडी की विसंगतियों को दूर करने की दिशा में शहरी निकाय विभाग के अधिकारियों ने गंभीरता दिखानी छोड़ दी है।
हजारों लोग हर रोज शहरी निकाय कार्यालयों में जाते हैं और निराश होकर लौट आते हैं। प्रापर्टी टैक्स की वसूली में राज्य के नगर निगमों में 13 प्रतिशत की कमी आई है, जबकि नगर परिषद और नगर पालिकाओं में क्रमशः 30 प्रतिशत और 28 प्रतिशत की कमी आई है।
संपत्ति कर प्रदेश के खजाने को बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। विभागीय अधिकारी इस राजस्व को बढ़ाने के लिए जिला वार रिपोर्ट बनाकर संबंधित जिला अधिकारियों को निर्देश दे चुके हैं, लेकिन प्रापर्टी आइडी की विसंगतियों को दूर करने का कोई प्लान अभी तक अधिकारियों के पास नहीं है।
हरियाणा में प्रापर्टी आइडी बनाने वाली जयपुर की कंपनी को पहले ही ब्लैक लिस्ट किया जा चुका है। कंपनी जब यह काम छोड़ चुकी तो उसे जारी रखने तथा लोगों की प्रापर्टी आइडी की विसंगतियों को दूर करने की दिशा में शहरी निकाय विभाग के अधिकारियों ने गंभीरता दिखानी छोड़ दी है।
हजारों लोग हर रोज शहरी निकाय कार्यालयों में जाते हैं और निराश होकर लौट आते हैं। प्रापर्टी टैक्स की वसूली में राज्य के नगर निगमों में 13 प्रतिशत की कमी आई है, जबकि नगर परिषद और नगर पालिकाओं में क्रमशः 30 प्रतिशत और 28 प्रतिशत की कमी आई है।
संपत्ति कर प्रदेश के खजाने को बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। विभागीय अधिकारी इस राजस्व को बढ़ाने के लिए जिला वार रिपोर्ट बनाकर संबंधित जिला अधिकारियों को निर्देश दे चुके हैं, लेकिन प्रापर्टी आइडी की विसंगतियों को दूर करने का कोई प्लान अभी तक अधिकारियों के पास नहीं है।