पंचकूला। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की सड़क दुर्घटनाओं में घायलों के मुफ्त उपचार की योजना को स्वास्थ्य विभाग ने धराशायी कर दिया है। केंद्रीय मंत्रालय द्वारा सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्ति के इलाज पर डेढ़ लाख रुपये तक खर्च करने का प्रविधान है, स्वास्थ्य विभाग की ओर से प्राइवेट अस्पतालों संग अभी कोई समझौता (एमओयू) नहीं किया गया है। 

इसका असर यह हो रहा कि प्राइवेट अस्पतालों ने सड़क दुर्घटनाओं में घायलों के उपचार से कन्नी काट ली है। उन्होंने घायलों का उपचार करने से साफ मना कर दिया। यह स्थिति तब है, जब राज्य में होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में हर साल करीब पांच हजार लोग अपना जीवन खो देते हैं और 12 हजार से अधिक लोग गंभीर घायल हो जाते हैं। 

भुगतान को लेकर नहीं किया गया स्पष्टीकरण

हरियाणा स्वास्थ्य सुरक्षा प्राधिकरण ने एनएचएम के माध्यम से राज्य के निजी अस्पतालों को यह तो निर्देशित कर रखा है कि उन्हें सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्ति का उपचार करने पर प्रति दिन एक हजार रुपये के हिसाब से अधिकतम सात दिनों के लिए सात हजार रुपये मिलेंगे, लेकिन यह राशि अस्पतालों को कब मिलेगी, कैसे मिलेगी और इसका भुगतान कौन करेगा, इस बारे में किसी तरह का स्पष्टीकरण आज तक नहीं किया गया है।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) के राज्य प्रधान डॉ. महावीर पी जैन, महासचिव डॉ. धीरेंद्र के सोनी और पूर्व प्रधान डॉ. अजय महाजन ने स्वास्थ्य सुरक्षा प्राधिकरण के सीईओ को पत्र लिखकर सड़क दुर्घटनाओं में घायल लोगों के इलाज के लिए पूरी गाइड लाइन जारी करने तथा इसके लिए आइएमए के माध्यम से निजी अस्पतालों के साथ एमओयू करने की मांग की है। 

दुर्घटना में सबसे ज्यादा सिर पर लगती है चोट

आइएमए के पदाधिकारियों का कहना है कि सड़क दुर्घटना में सबसे अधिक चोट व्यक्ति के सिर में लगती है। ऐसे मरीज के उपचार के दौरान बार-बार एमआरआइ और सीटी स्कैन कराने पड़ते हैं, लेकिन इन अतिरिक्त जांच के लिए भी प्राइवेट अस्पतालों को किसी भुगतान की व्यवस्था नहीं है।

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