किसी भी जीवंत लोकतंत्र में चुनाव एक अनिवार्य प्रक्रियाः सुनील बंसल
विधि संस्थान द्वारा एक राष्ट्र एक चुनाव राष्ट्रीय कार्यशाला का सफलतापूर्वक आयोजन
कुरुक्षेत्र, 5 मार्च। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा के मार्गदर्शन में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के विधि संस्थान एवं विधि प्रकोष्ठ द्वारा एक राष्ट्र एक चुनाव कार्यशाला का आयोजन किया गया।
कार्यशाला के मुख्य अतिथि कृष्ण कुमार बेदी (कैबिनेट मंत्री, सामाजिक न्याय, अधिकारिता) ने अपने संबोधन में इस बात पर जोर दिया कि एक राष्ट्र एक चुनाव आधुनिक भारत की सबसे बड़ी जरूरत है। इसके तहत लोकसभा, राज्यसभा और राज्य विधानसभा चुनाव एक साथ हो सकते हैं जिससे शासन में निरंतरता आएगी, वित्तीय बोझ कम होगा और प्रशासनिक अधिकारियों पर काम का बोझ कम होगा।
विशिष्ट वक्ता भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सुनील बंसल ने कहा कि किसी भी जीवंत लोकतंत्र में चुनाव एक अनिवार्य प्रक्रिया है। स्वस्थ एवं निष्पक्ष चुनाव लोकतंत्र की आधारशिला होते हैं। अगर हम देश में होने चुनावों पर नजर डालें तो पाते हैं कि हर वर्ष किसी न किसी राज्य में चुनाव होते रहते हैं। इससे न केवल प्रशासनिक और नीतिगत निर्णय प्रभावित होते हैं बल्कि देश के खजाने पर भारी बोझ भी पड़ता है। इस सबसे बचने के लिये नीति निर्माताओं ने लोकसभा तथा राज्यों की विधानसभाओं का चुनाव एक साथ कराने का विचार बनाया है।
कार्यशाला का नेतृत्व विधि प्रकोष्ठ के प्रभारी प्रो. अमित लुदरी एवं विधि संस्थान की निदेशक प्रो. सुशीला देवी चौहान ने किया। कार्यक्रम की शुरुआत प्रो. अमित लुदरी ने सभी गणमान्य व्यक्तियों का औपचारिक स्वागत करके की। प्रो. सुशीला देवी चौहान ने ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ राष्ट्रीय कार्यशाला की रूपरेखा प्रस्तुत की। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि इस कार्यशाला का उद्देश्य सभी को एक राष्ट्र एक चुनाव के बारे में परिचित कराना है तथा साथ ही इसकी विशेषताओं एवं प्रावधानों पर विचार साझा करना है। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन एवं मां सरस्वती वंदना के साथ हुई।
इस कार्यशाला में विशिष्ट वक्ताओं के रूप में इंद्रजीत मेहता (सदस्य हरियाणा राज्य विधि आयोग), एडवोकेट विजयपाल (राज्य संयोजक, एक राष्ट्र एक चुनाव समिति), मदन मोहन छाबड़ा, अध्यक्ष 48 कोस तीर्थ निगरानी समिति, कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड) ने अपने संबोधन में एक राष्ट्र एक चुनाव के महत्व पर जोर दिया।
इस कार्यशाला में पैनल चर्चा का भी आयोजन किया गया जिसमें प्रो. अमन अमृत चीमा (निदेशक, क्षेत्रीय केंद्र, लुधियाना), प्रो. मोहम्मद तारिक (प्रोफेसर, विधि संकाय, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय), प्रो. राजेश (प्रोफेसर, लोक प्रशासन विभाग, केयूके), प्रो. संजय सिंधु (पूर्व डीन, विधि संकाय, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, शिमला), प्रो. नंदन शर्मा (डीन, विधि संकाय, शूलिनी विश्वविद्यालय, हिमाचल प्रदेश), प्रो. वी. एन. अत्री (संस्थापक निदेशक, अंतर्राष्ट्रीय इंडो-पैसिफिक अध्ययन केंद्र, केयूके), डॉ. प्रीतम (निदेशक, डॉ. बी. आर. अंबेडकर अध्ययन केंद्र, केयूके) ने भाग लिया। पैनल चर्चा के दौरान पैनलिस्ट ने बताया कि एक राष्ट्र एक चुनाव के तहत सामाजिक उत्थान से संबंधित नीतियों के कारण केंद्र और राज्य सरकारों में प्रशासन अधिक समान होगा, लेकिन साथ ही इन प्रावधानों को पूरा करने के लिए कई चुनौतियों का भी सामना करना पड़ेगा।
कार्यक्रम के अंत में विधि संस्थान के उपनिदेशक एवं कार्यशाला के आयोजन सचिव डॉ. रमेश सिरोही ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
इस अवसर पर डॉ. प्रीति जैन, डॉ. प्रोमिला, डॉ. सुधीर, डॉ. अजीत चहल, डॉ. रमेश सिरोही, डॉ. आरुषि मित्तल, डॉ. प्रियंका चौधरी, डॉ. पूजा, डॉ. दीप्ति चौधरी, डॉ. तृप्ति चौधरी, डॉ. प्रोमिला, डॉ. उर्मिला, डॉ. जय किशन भारद्वाज, डॉ. नीरज, डॉ. मनजिंदर गुलयानी, डॉ. शालू अग्रवाल, डॉ. पूनम शर्मा, डॉ. कृष्ण अग्रवाल, डॉ. मोनिका, डॉ. अमित कंबोज, डॉ. जतिन, डॉ. संतलाल, डॉ. सुमित, डॉ. सुरेंद्र, श्री. कर्मदीप, बसंत सक्सेना और विधि संस्थान के छात्र उपस्थित थे