कॉर्पोरेट डेटा मैनेजमेंट पोर्टल (CDM) डेटाबेस के हिसाब से भारत में ऐसी 3,560 कंपनियां हैं जिनके बोर्ड में चीनी डायरेक्टर है। वहीं देश में 174 चीनी कंपनियां हैं जो काम करने के लिहाज से मंत्रालय में विदेशी कंपनियों के रूप में रजिस्टर्ड हैं। कॉरपोरेट मामलों के राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने सोमवार को संसद में एक लिखित जवाब में इसकी जानकारी दी।
इंद्रजीत सिंह ने ये भी कहा कि चीनी निवेशकों और शेयरधारकों वाली कंपनियों की संख्या बता पाना संभव नहीं हैं, क्योंकि इस तरह के आंकड़े अलग से नहीं रखे जाते। इससे पहले 11 दिसंबर को वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने राज्यसभा में इस बात पर चिंता जताई थी कि भारत किस कदर कई चीजों के लिए चीन पर निर्भर होता जा रहा है।
भारत-चीन के बीच ट्रेड में 43.3% का इजाफा
सीमा पर तनाव के बावजूद भारत और चीन के बीच बाइलेटरल ट्रेड में 43.3% की बढ़ोतरी हुई है। इस ट्रेड में चीन का पलड़ा पूरी तरह से भारी है। यानी चीन का एक्सपोर्ट भारत की तुलना में कई गुना ज्यादा है। वित्त वर्ष 2020-21 में चीन ने भारत को 65.21 अरब डॉलर के मूल्य का सामान निर्यात किया था। लेकिन वित्त वर्ष 2021-22 में यह 94.57 अरब डॉलर तक पहुंच गया।
गोयल ने संसद में ये भी बताया कि 2003-2004 में चीन से भारत का आयात 4.34 अरब डॉलर का था जो 2013-14 आते-आते बढ़ कर 51.03 अरब डॉलर हो गया। चीन और भारत के बीच व्यापार को लेकर ये हालात तब है जब मोदी सरकार ने चीन जैसे देशों पर निर्भरता कम करने के लिए ‘मेक इन इंडिया’ जैसा अभियान और पीएलआई स्कीम शुरू की है। इसके बावजूद दोनों देशों के कारोबार में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।
भारत इन वस्तुओं का निर्यात करता है
लौह अयस्क, पेट्रोलियम ईंधन, कार्बनिक रसायन, रिफाइंड कॉपर, कॉटन यार्न। खाद्य वस्तुओं में मछली एवं सी फूड, काली मिर्च, वनस्पति तेल, वसा आदि प्रमुख हैं।
इन वस्तुओं का चीन से आयात करता है भारत
ऑटोमेटिक डेटा प्रोसेसिंग मशीन एवं यूनिट, टेलीफोन इक्विपमेंट और वीडियो फोन, इलेक्ट्रॉनिक सर्किट, ट्रांजिस्टर्स एवं सेमीकंडक्टर डिवाइस, एंटीबायोटिक्स, उर्वरक, साउंड रिकॉर्डिंग, डिवाइस और टीवी कैमरा, ऑटो कॉम्पोनेंट, ऑटो एसेसरीज और प्रोजेक्ट गुड्स।