बासोड़ा पर माता पूजने के लिए भक्तों का सैलाब उमड़ा। रात के बने बासे पकवान का भोग लगाया।
होली के बाद बासोड़ा पर्व की धूम है। होली के आठ दिन बाद मनाए जाने वाले बासोड़ा पर्व को लेकर श्रद्धालुओं में खासा उत्साह है। रेवाड़ी में बासौड़ा पर्व धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। बासौड़ा पर्व पर रेवाड़ी शहर के गोल चक्कर स्थित शीतला माता मंदिर में सुबह से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। मंदिर में शीतला माता की पूजा-अर्चना करने के लिए श्रद्धालु सुबह तांता लगा हुआ है। ऐसी मान्यता है कि बासौड़ा पर्व के दिन शीतला माता की पूजा से बीमारियों से मुक्ति मिलती है। ऐसे में बासौड़ा पर्व के दिन शीतला माता की पूजा के लिए श्रद्धालु मसानी माता मंदिर पहुंच रहे हैं। इसके साथ ही ग्रामीण अंचलों में भी बासौड़ा पूजन हर्षोल्लास एवं श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है। मसानी माता मंदिर के साथ सुबह से ही शहर के मोहल्ला कुतुबपुर स्थित बुद्धो माता मंदिर, गोल चक्कर सैनी स्कूल के नजदीक शीतला माता मंदिर सहित अन्य देवी मंदिरों में भारी संख्या में महिलाएं पहुंच रही हैं। महिलाओं ने मां शीतला देवी को बासी पकवानों से भोग लगाकर स्वास्थ्य रक्षा की मन्नतें मांगी। मंदिर के पुजारी शशि भूषण, तथा सेवादार आशा देवी और रामसिंह आदि ने बताया कि होली के बाद बासौड़ा पर्व मनाया जाता है। वैसे तो पूरे महीने माता पूजी जाती है लेकिन होली के आठ दिन बाद अच्छी खासी भीड़ होती है। बासोड़ा पर रात को पकवान बनाया जाता है और अगले दिन सुबह बासी खाने का भोग लगाया जाता है। जिसमें रात के बने मिठे चावल, गुलगुले, पुड़े, तथा हलवा आदि पकवान बनाकर अगले दिन माता को प्रसाद चढ़ाया जाता है। मान्यता है कि होली के बाद आग ठंडी करने एवं शरीर पर निकलने वाले छोटी माता, बड़ी माता के प्रकोप से बचाव के लिए तथा सुख समृद्धि की कामना के लिए शीतला माता की पूजा की जाती है। मान्यताओं के अनुसार माता को प्रसन्न करने के लिए बासे पकवानों का भोग लगाकर प्रसाद वितरित किया जाता है, जिससे प्रसन्न होकर शीतला माता अपने भक्तों के स्वास्थ्य की रक्षा करती हैं और सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती है।