सामाजिक, आर्थिक विषयों को समाज से जोड़ने में मीडिया की निर्णायक भूमिकाः राजीव रंजन
भारतीय आर्थिक संघ सम्मेलन में मीडिया की भूमिका पर विशेष सत्र का आयोजन
कुरुक्षेत्र, 29 दिसम्बर।
 आर्थिक सूचना सम्प्रेषण में सोशल मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका है। आवश्यकता है कि वित्तीय आंकड़ों एवं नीतियों को आम जनता तक मीडिया के माध्यम से सही तरीके से पंहुचाने की। इस दिशा में भारतीय आर्थिक संघ देश की वित्तीय एवं सामाजिक नीतियों के निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है। यह उद्गार भारतीय संघ द्वारा मीडिया प्रेस एवं इंटरफेस विशेष सत्र की अध्यक्षता करते हुए अनेक समाचार पत्रों के संपादक रहे अनिल महेश्वरी में ऑडिटोरियम हॉल में रविवार को अपने संबोधन में बतौर मुख्यातिथि कहे।
उन्होंने कहा कि प्रिंट मीडिया एवं इंटरनेट आज के दौर में समाचार एवं सूचना के प्रचार-प्रसार में निर्णायक भूमिका अदा कर रहे हैं। भारतीय आर्थिक संघ को समय के अनुरूप मीडिया के विविध स्वरूपों का प्रयोग करना चाहिए।
इस अवसर पर सत्र में विशिष्ट अतिथि के रूप में पूर्व सम्पादक राजीव रंजन ने कहा कि सामाजिक, आर्थिक विषयों को समाज से जोड़ने में मीडिया निर्णायक भूमिका अदा कर रहा है। आज के दौर में सोशल मीडिया के सभी प्रारूपों का प्रयोग कर वित्तीय आंकड़ों को आमजन तक पहंुचाया जा सकता है। वर्तमान दौर में सोशल मीडिया और इंटरनेट के बढ़ते चलन से टीवी एवं समाचार पत्रों की भूमिका पर इसका गहरा असर पड़ा है। आज पूरे विश्व में 5 बिलियन से अधिक लोग सोशल मीडिया के विविध स्वरूपों से जुड़े हुए हैं। भारतीय आर्थिक संघ को सोशल मीडिया के सभी टूल प्रयोग में लाकर वित्तीय सूचनाओं एवं नीतियों को करोड़ों लोगों तक भेजना चाहिए।
इस अवसर पर स्वतंत्र लेखक एवं पूर्व सम्पादक शंभू नाथ शुक्ला ने कहा कि वित्तीय आंकड़ों को आमजन की भाषा में शैक्षणिक स्वरूप से सामान्य जन तक पहंुचाने के लिए मीडिया की भूमिका अग्रणीय है। इस सत्र के संयोजक एवं सीएसआईआर के पूर्व लोक सम्पर्क निदेशक डॉ. रणबीर सिंह फोगाट ने कहा कि भारतीय आर्थिक संघ  ने पिछले 100 से अधिक वर्षो में देश की प्रगति एवं शैक्षणिक शोध के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। आवश्यकता है इस योगदान को मीडिया के अलग-अलग स्वरूपों के माध्यम से आमजन तक जोड़ने की।
कार्यक्रम के संयोजक एवं लोक सम्पर्क विभाग के निदेशक प्रो. महासिंह पूनिया ने कहा कि आज देश में रेडियो, टीवी, समाचार एवं सोशल मीडिया के विविध प्लेटफार्म देश-विदेश की आर्थिक नीतियों से अवगत करवाकर लोगों को जागरूक कर रहे हैं। आवश्यकता है भारतीय आर्थिक संघ को स्वतंत्र रूप से मीडिया प्रभाग बनाने की ताकि ज्यादा से ज्यादा सूचनाएं विषय विशेषज्ञों तक पहुंच सके।
इस मौके पर केन्द्रीय विश्वविद्यालय महेन्द्रगढ़ के एसोसिएट प्रो. डॉ. अशोक शर्मा ने कहा कि सोशल मीडिया के माध्यम से आज फेक न्यूज और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का प्रयोग कर वित्तीय सूचनाओं को विकृत स्वरूप में प्रस्तुत किया जा रहा है जो आर्थिक समाज के लिए खतरे की घंटी है। 50 करोड़ से ज्यादा लोग सोशल मीडिया के माध्यम से प्रभावित हो रहे हैं। आवश्यकता है सोशल मीडिया के विकृत स्वरूप पर रोकथाम लगाने की।
इस मौके पर कुवि के जनसंचार एवं मीडिया प्रौद्योगिकी संस्थान के शिक्षक डॉ. अभिनव कटारिया ने कहा कि भारतीय आर्थिक संघ को सोशल मीडिया के सभी स्वरूपों को अपनाना चाहिए। देश की आर्थिक नीतियों पर अपनी राय देकर समाज के हित व विकास के लिए कार्य करना चाहिए। उन्होंने कहा कि वित्तीय एवं आर्थिक नीतियों को सोशल मीडिया के माध्यम से सकारात्मक हथियार के रूप में अपनाकर करोड़ों लोगों तक सूचना का संदेश देकर उनके हितों की रक्षा की जा सकती है। इससे पूर्व अर्थशास्त्र विभाग के प्रोफेसर एवं भारतीय आर्थिक संघ के 107वें सम्मेलन के संयोजक प्रो. अशोक चौहान ने सत्र में भाग लेने वाले सभी विद्वानों को स्मृति चिह्न भेंट कर उनका स्वागत किया। वित्तीय क्षेत्र में मीडिया की भूमिका विषय पर एक रिपोर्ट भी तैयार करने का फैसला लिया गया जो भविष्य में भारतीय आर्थिक संघ के शैक्षणिक शोध एवं मीडिया की भूमिका पर समग्र प्रकाश डालेगा।
इस अवसर पर प्रो. वीएन अत्री, अर्थशास्त्र विभाग के अध्यक्ष प्रो. दारा सिंह, प्रो. संजीव बंसल, डॉ. अर्चना चौधरी, डॉ. कुशविन्द्र कौर सहित भारतीय आर्थिक संघ के पदाधिकारी मौजूद थे।

भारत के विकास में हरियाणा की महत्वपूर्ण भूमिकाः प्रो. मनमोहन कृष्णन
107वीं आईईए कॉन्फ्रेंस में हरियाणा की अर्थव्यवस्था पर विशेष सत्र आयोजित
कुरुक्षेत्र, 29 दिसम्बर।
 107वीं इंडियन इकोनॉमिक एसोसिएशन कॉन्फ्रेंस के दौरान हरियाणा की अर्थव्यवस्था पर एक विशेष सत्र का आयोजन किया गया, जिसमें प्रमुख गणमान्य व्यक्तियों ने राज्य की आर्थिक स्थिति, विकास की दिशा और भविष्य की संभावनाओं पर अपने विचार साझा किए। इस सत्र के मुख्य अतिथि प्रो. मनमोहन कृष्णन नीति आयोग के, प्रोफेसर चेयर, विश्वविद्यालय इलाहाबाद ने कहा कि भारत के विकास में हरियाणा की महत्वपूर्ण भूमिका है। हरियाणा छोटा प्रदेश जरूर है लेकिन 70 प्रतिशत से ज्यादा कारें एवं मोटर साईकल का निर्माण हरियाणा में होता है। खाद्यान्न पूर्ति की दृष्टि से भी हरियाणा प्रदेश की भूमिका पड़ोसी राज्यों से कहीं अधिक है। इस दृष्टि से हरियाणा भारत के चहुंमुखी विकास में विविध आयामी योगदान देकर महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है।
इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि पवन कुमार चौधरी, हरियाणा मुख्यमंत्री के सलाहकार ने हरियाणा की अर्थव्यवस्था के विकास के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की। उन्होंने राज्य की आर्थिक मजबूती और विकास प्रक्रिया के बारे में विस्तृत जानकारी दी और बताया कि किस प्रकार हरियाणा को अगले स्तर तक पहुंचाने के लिए रणनीतियों की आवश्यकता है। इसके साथ ही उन्होंने नीति निर्माण में शैक्षिक संस्थानों के महत्वपूर्ण योगदान पर भी प्रकाश डाला और इसे एक प्रमुख तत्व बताया।

इसके बाद दूसरे विशिष्ट अतिथि राकेश संधू, ओएसडी (मुख्यमंत्री, हरियाणा)  ने हरियाणा में समावेशी विकास की चर्चा की। उन्होंने गुरुग्राम में आईटी हब के विकास और राज्य में रोजगार अवसरों के सृजन पर जोर दिया, जो राज्य की अर्थव्यवस्था को एक नई दिशा देने में सहायक होगा।
मुख्य अतिथि प्रो. मनमोहन कृष्णन ने भी हरियाणा की अर्थव्यवस्था की विभिन्न ताकतों, अवसरों और चुनौतियों पर अपने विचार रखे। उन्होंने राज्य की समृद्धि के लिए जरूरी कदमों पर जोर दिया और इसके विभिन्न विकासात्मक पहलुओं को रेखांकित किया।
इस सत्र की अध्यक्षता प्रो. मनोज सिवाच, विभागाध्यक्ष, अर्थशास्त्र विभाग, सीडीएलयू, ने की, जबकि सह-अध्यक्ष प्रो. रंजन अनेजा, केंद्रीय विश्वविद्यालय, हरियाणा, थे। सत्र में विशेष आमंत्रित के रूप में डॉ. राजेंद्र कुमार धनां और रिपोर्टर के रूप में प्रो. सुनील फोगाट भी मौजूद रहे। कॉन्फ्रेंस की शुरुआत में प्रो. संजीव बंसल ने स्वागत भाषण दिया और सत्र का समापन प्रो. अशोक चौहान ने धन्यवाद ज्ञापन से किया। यह सत्र अत्यधिक लाभकारी और विचारशील रहा, जहां हरियाणा की आर्थिक स्थिति और भविष्य के विकास के अवसरों पर गहरी चर्चा की गई।

प्राचीन साहित्य में आर्थिक प्रबंधन से ही सोने की चिड़िया के रूप में विख्यात हुआ भारतःब्रजेश कुमार मिश्रा, आईपीएस
कुवि में भारतीय आर्थिक संघ का 107वां वार्षिक सम्मेलन सफलतापूर्वक संपन्न
कुरुक्षेत्र, 29 दिसंबर।
 प्राचीन साहित्य में आर्थिक प्रबंधन से ही भारत सोने की चिड़िया के रूप में विख्यात हुआ है। वेदों, उपनिषदों, अर्थशास्त्र, पुराणों में आर्थिक प्रबंधन की जो व्यवस्था प्रदान की गई है। उसकी बदौलत ही भारत पूरे विश्व में विख्यात हुआ है। 19वीं सदी में पूरे विश्व का एक तिहाई जीडीपी भारत की अर्थव्यवस्था से पैदा हुआ। भारत का इतिहास स्वर्णिम रहा है। यह उद्गार सुल्तानपुर प्रशिक्षण केन्द्र के आईपीएस अधिकारी ब्रजेश कुमार मिश्रा ने बतौर मुख्यातिथि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग द्वारा आयोजित भारतीय आर्थिक संघ के 107वां वार्षिक सम्मेलन में रविवार को समापन सत्र में अपने सम्बोधन में उपस्थित अर्थशास्त्रियों को सम्बोधित करते हुए कहे।
उन्होंने कहा कि महाभारत, गीता में भी आर्थिक प्रबंधन की भारतीय परम्परा को दर्शाया गया है। इसके साथ ही चाणक्य एवं कौटिल्य का अर्थशास्त्र इसका सबसे बड़ा प्रमाण है। आवश्यकता है वर्तमान और प्राचीन अर्थव्यवस्था प्रबंधन में सामंजस्य स्थापित कर नए स्वरूप में प्रस्तुत करने की।
अंतिम दिन कोल्हान विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति और ओडिशा के राज्यपाल के सलाहकार प्रो. शुक्ला मोहंती की अध्यक्षता में एनएसई-आईईए वित्तीय अर्थशास्त्र व्याख्यान श्रृंखला आयोजित की गई। व्याख्यान प्रो. पार्थ राय, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकिंग मैनेजमेंट, पुणे के निदेशक द्वारा दिया गया, जिन्होंने वित्तीय अर्थशास्त्र की विकसित गतिशीलता और आत्मनिर्भर और सतत भारत के निर्माण में उनके महत्व पर चर्चा की।
सम्मेलन के अंतिम दिन आत्मनिर्भर भारत के प्रेरक तत्व पर पैनल चर्चा की गई जिसकी अध्यक्षता नीति आयोग के मानद चेयर प्रोफेसर (सेवानिवृत्त) प्रो. मनमोहन कृष्ण ने की। प्रो. गणेश कवाड़िया, प्रो. के.एस. नायर, प्रो. लखविंदर सिंह, प्रो. कन्हैया आहूजा और प्रो. बी.पी. सरथ चंद्रन सहित प्रतिष्ठित पैनलिस्टों ने भारत की आर्थिक लचीलापन को मजबूत करने, नवाचार को बढ़ावा देने और आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए संस्थागत ढांचे को बढ़ाने पर बहुमूल्य विचार साझा किए।
इस अवसर पर आत्मनिर्भर भारत के उत्प्रेरक विषय पर आयोजित सत्र की अध्यक्षता प्रो. वीरभद्र, पूर्व कुलपति, केवम्बू विश्वविद्यालय, कर्नाटक ने की। इसके अतिरिक्त इस सत्र में प्रो. केएस नैयर, प्रो. कन्हैया आहूजा, प्रो. बीपी शरथ चन्द्रन और डॉ. शरणप्पा सैदपुर ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत कर व्याख्यान दिए।
इस सम्मेलन में आईईए के अध्यक्ष प्रो. तपन कुमार शांडिल्य और देश भर के प्रतिष्ठित कुलपतियों जैसे गणमान्य व्यक्तियों ने शिरकत की। सत्र में विशेष संबोधन, मुख्य अतिथि का समापन भाषण और संयोजक प्रो. अंग्रेज सिंह राणा और स्थानीय आयोजन सचिव प्रो. अशोक कुमार चौहान ने कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा एवं भारतीय आर्थिक संघ के अध्यक्ष प्रो. तपन कुमार शांडिल्य का धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कहा कि कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा एवं विश्वविद्यालय प्रशासन के सहयोग के बिना अखिल भारतीय स्तर का यह सम्मेलन संभव नहीं था। उन्होंने कहा कि भारतीय आर्थिक संघ के प्रधान सहित सभी अधिकारियों का आयोजन को सफल बनाने में महत्वपूर्ण योगदान रहा। इस आयोजन से कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय की गरिमा राष्ट्रीय स्तर पर ओर अधिक बढ़ी है।
बाक्स
पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह जी की याद में स्मृति  व्याख्यान आयोजित

डॉ मनमोहन सिंह जी की याद में श्रद्धांजलि स्वरुप एक स्मृति व्याख्यान का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता भारतीय आर्थिक संघ के प्रेसिडेंट प्रोफेसर तपन कुमार शिंदे ने की. स्मृति व्याख्यान में बतौर मुख्य वक्ता प्रोफेसर मनोहर कृष्ण, चेयर प्रोफेसर नीति आयोग ने भारतीय अर्थव्यवस्था के आर्थिक उत्थान में डॉ मनमोहन सिंह की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए बतौर एक अर्थशास्त्री के रूप में उनकी कार्यशैली पर प्रकाश डाला।  

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *