माता राम प्यारी दुर्गा मंदिर सदर बाजार करनाल में चल रही है कार्तिक मास की कथा
करनाल। माता राम प्यारी दुर्गा मंदिर सदर बाजार करनाल में चल रही कार्तिक मास की कथा के 13वें दिन मंगलवार वैद्य देवेंद्र बत्तरा व दर्शना बत्तरा के सान्निध्य में हवन यज्ञ का आयोजन किया गया। हवन कुंड की परिक्रमा करके पूर्णाहूति डाली गई। स्वामी परमानंद के पंडाल में पधारने पर वैद्य देवेंद्र बत्तरा ने संस्थाओं के सदस्यों के साथ मिलकर महाराज जी का फूल मालाओं के साथ स्वागत किया। महाराज श्री व्यासपीठ पर बैठकर प्रवचन करते हुए बोले कि एक बार माता राधा रानी ने गोपियों के संग श्री कृष्ण जी से विनती की कि श्री कृष्ण आप जा पर रहते हैं सारे वहीं पर आज जाते है। दुरवासा ऋषि शिवजी के अंश है। अगर दुरवासा जी से मिलना हो तो उनके लिए बहुत सारे पकवान लेकर जाएं, उन्हें भूख बहुत लगती है। जहां दुरवासा ऋषि रहते हैं बीच में यमुना मैय्या है, उनसे मिलने के लिए यमुना पार करनी पड़ती है, उन्हीं दिनों में यमुना में पानी बहुत ज्यादा था, तब राधा रानी गोपियों के संग यमुना मैय्या से प्रार्थना करने लगी कि अगर हमारे श्रीकृष्ण जन्म जन्म के ब्रह्मचारी हैं तो यमुना मैय्या हमें रास्ता दो। तब यमुना मैय्या ने उन्हें जाने के लिए रास्ता दे दिया। राधा रानी गोपियों के संग यमुना पारकरके दुरवासा जी के आश्रम में पहुंची। दुरवासा जी ने कहा कि आप मेरे खाने के लिए क्या लेकर आई मुझे बहुत ज्याद भूख लगी है, पहले खा लूं फिर आपसे बात करता हूं। दुरवासा जी ने भोजन करके राधा रानी से वात्र्तालाप किया। जब राधा रानी गोपियों संग वापस चलने लगी तो तब उन्हें याद आया कि अब वापिसी पर यमुना मैय्या से रास्ता कैसे मांगू। यह बात तो श्रीकृष्ण जी से पूछी ही नहीं, तब उन्होंने दुरवासा जी से पूछा कि यमुना नदी के पास जाने का कोई उपाय हो तो हमें बताएं। उन्होंने कहा कि यमुना जी कहना दुरवासा ऋषि दुब खाकर रहते हैं। यमुना मैय्या हमें रास्ता दो, यमुना मैय्या ने रास्ता दे दिया। राधा रानी गोपियों संग वापिस आ गई। पं. चेतन देव ने कथा करते हुए कहा कि नारद जी कहते हैं कि जिस घर में तुलसी का वृक्ष होता है उस घर में यमदुत कभी भी प्रवेश नहीं कर सकते है। इसलिए जो तुलसी का वृक्ष लगाते हैं वह यमपुरी नहीं देखते। नर्मदा गंगा जी का जल और तुलसी का पूजन यह तीनों कार्य बराबर हैं। चाहे मानव जितना भी क्यों न पापी हो मृत्यु के समय उसके प्राण मंजरी सहित निकल जाते हैं वह पापों से मुक्त होकर भगवान के बैकुंठ धाम को प्राप्त होता है। जो मनुष्य तुलसी और आंवले की छाया में अपने पितृों का श्राद्ध करते हुए वह मोक्ष को प्राप्त हो जाते हैं। इस अवसर पर सामूहिक रूप से आरती करके प्रसाद वितरित किया गया।