कुवि के विधि संस्थान में बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ परियोजना के अंतर्गतएक दिवसीय कार्यशाला आयोजित
कुरुक्षेत्र, 1 मार्च। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने कहा कि बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान का मुख्य उद्देश्य समाज में बेटियों व महिलाओं के प्रति विशेष सम्मान प्रदान करना है। वे शुक्रवार को विधि संस्थान द्वारा बेटी बचाओ, बेटी पढाओ परियोजना के अंतर्गत आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में बतौर मुख्यातिथि बोल रहे थे। इस अवसर पर कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा द्वारा लिफ्ट का शुभारंभ किया गया।
कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने कहा कि बेटियों को भी समाज में समानता का अधिकार है। आज की महिलाए राजनीति, शिक्षा, खेलकूद, सैन्य व प्रशासनिक क्षेत्र में निरंतर आगे बढ़ रही हैं।
कार्यक्रम के मुख्यातिथि प्रो. संजीव शर्मा ने कहा कि बेटियां समाज का सम्मान है। देश के विकास में बेटियों का बहुत योगदान होता है। आज महिलाएं पुरूषों के बराबर समाज के प्रत्येक क्षेत्र में बराबर की भागीदार हैं।
कार्यशाला में बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ परियोजना के पैनेलिस्ट राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्या प्रीति भारद्वाज, समाज कार्य विभाग की अध्यक्षा प्रो. वनिता ढींगरा, वूमैन रिसर्च एंड स्टडी सेंटर की निदेशिका प्रो. अनिता दुआ, पूर्व अधिष्ठाता प्रो. चन्द्रपाल, नगर परिषद थानेसर की अध्यक्षा उमा सुधा ने विशेष रूप से बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ परियोजना पर अपने विचार रखे।
विधि संस्थान के सहायक प्रोफेसर डॉ. अमित कुमार ने बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ परियोजना का कुशलतापूर्वक संचालन किया। विधि विभाग के अध्यक्ष प्रो. अमित लुदरी ने कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा सहित सभी आमंत्रित अतिथियों का कार्यशाला में पहुंचने पर स्वागत व अभिनंदन किया। कार्यशाला के सफल आयोजन पर विधि संस्थान की निदेशिका प्रो. सुशीला चौहान ने सभी अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन किया।
इस अवसर पर विशेष आमंत्रित अतिथि ग्लोबल विलेज फाउंडेशन, नई दिल्ली के निदेशक सुमित कुमार, छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो. एआर चौधरी, प्रो. दलीप कुमार, प्रो. प्रीति जैन, प्रो. चांद राम जिलोवा, प्रो. जितेन्द्र शर्मा, प्रो. महाबीर सिंह, प्रो. अजीत चहल, प्रो. परमेश कुमार, डॉ. दीप्ति चौधरी, डॉ. रमेश सिरोही, डॉ. जयकिशन, डॉ. तृप्ति चौधरी, डॉ. नीरज बातिश, डॉ. सुरेंद्र जागलान, डॉ. सुमित कौशिक, डॉ. सुनील ढुल, प्रो. गुरचरण सिंह सहित विभिन्न गांवों से सरपंच, पंच, प्रतिनिधि तथा सैंकड़ों की संख्या में विद्यार्थी मौजूद थे।