कुरुक्षेत्र 27 दिसंबर हरियाणा सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष धुमन सिंह किरमच ने कहा कि हरियाणा के आदि बद्री से निकलकर बहने वाली पवित्र नदी के गुजरात के पाटन जिला के सिद्धपुर ब्लॉक में बहने के साक्ष्य मिले है। इन साक्ष्यों के आधार पर सरस्वती नदी को फिर से धरातल पर जलधारा का बहाव करने के शोध कार्य में सहायता मिलेंगी। इन साक्ष्यों से बोर्ड के सदस्यों, अधिकारियों व शोधकर्ताओं को एक बड़ी सफलता मिली है।
बोर्ड के उपाध्यक्ष धुमन सिंह किरमच ने जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि हजारों वर्ष पूर्व हरियाणा से बहने वाली पवित्र नदी सरस्वती का अंतिम छोर गुजरात के कच्छ तक जाता है। इसके उद्गम स्थल आदि बद्री से लेकर हरियाणा की सीमा और गुजरात में अंतिम छोर तक सरस्वती नदी के बहाव के साक्ष्य मिल चुके है। इस प्रोजेक्ट को लेकर मुख्यमंत्री मनोहर लाल गंभीरता के साथ काम कर रहे है। मुख्यमंत्री के आदेशानुसार व मार्गदर्शन में हरियाणा सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड के अधिकारी और शोधकर्ता दिन-रात कार्य कर रहे है। मुख्यमंत्री के आदेशानुसार हरियाणा में सरस्वती नदी को फिर से धरातल पर लाने के लिए काफी काम किया जा चुका है। अब गुजरात में भी बोर्ड की एक टीम पहुंची है और यहां पहुंचकर एक अच्छा समाचार मिला है।
उन्होंने कहा कि बोर्ड की टीम जब गुजरात के पाटन जिला में पहुंची तो वहां पर सरस्वती का बहने और सरस्वती का क्षेत्र देखा और इस क्षेत्र का राजस्व रिकार्ड में भी वर्णन मिला है तथा पद्म पुराण सहित कई ग्रंथों का इस क्षेत्र में सरस्वती नदी के बहाव का वर्णन किया गया है। वहां पर बातचीत करने से पता चला है कि सरस्वती नदी यहां पर युगों-युगों से बहती आई है। इस क्षेत्र में 90 किलोमीटर से पीछे का क्षेत्र जो लोगों के द्वारा खुद देखा गया है वहां पर सरस्वती नदी बहती है, बरसात के सीजन में बहुत ज्यादा पानी सरस्वती आगे लेकर रण और कच्छ की तरफ बढ़ती है यानी जो सरस्वती का ट्रैक को ढूंढने के लिए सरस्वती बोर्ड की टीम पहुंची उस पर बड़ी कामयाबी गुजरात में मिली है। अब इस पर प्लान के तहत कार्य किया जाएगा।

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