सूर्य ग्रहण के अवसर पर सुबह से ही देश-प्रदेश से श्रद्धालु कुरुक्षेत्र के ब्रह्मसरोवर, सन्निहित सरोवर, मेला क्षेत्र और आसपास की धर्मशालाओं में पहुंचना शुरु हो गए थे। मंगलवार को सायं हरियाणा और आसपास के राज्यों से श्रद्धालु रेल और बस मार्ग से कुरुक्षेत्र में पहुंचे। इन श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए प्रशासन की तरफ से यातायात, पार्किंग, स्वागत कक्ष, सूचना केन्द्र सहित अन्य व्यवस्था की गई थी। श्रद्धालुओं ने ब्रह्मसरोवर पर पहुंचकर पूजा-अर्चना शुरू की और ब्रह्मसरोवर की सदरियों में प्रशासन द्वारा की गई व्यवस्था के बीच में अपने-अपने प्रदेशों की संस्कृति के अनुसार भजन और गीतों का गुणगान किया। धर्मशालाओं में भी लोग ग्रुपों में बैठकर लोकगीतों और भजनों का गुणगान करने के साथ-साथ भक्ति के रस में डूबकर नृत्य करते हुए नजर आए। जैसे ही सूर्य ग्रहण के स्पर्श का समय होने लगा तो लोगों ने ब्रह्मसरोवर और सन्निहित सरोवर की तरफ रुख किया। इन श्रद्घालुओं ने सूर्य ग्रहण के समय 4 बजकर 27 मिनट पर पहली डुबकी लगाई और इसके बाद श्रृद्घालुओं के स्नान करने का क्रम जारी रहा और जैसे ही मोक्ष का समय हुआ तो एक साथ श्रद्धालुओं की भीड़ ने ब्रह्मसरोवर में आस्था की डूबकी लगाई। श्रद्धालुओं का कहना है कि धार्मिक मान्यता के अनुसार सन्निहित व ब्रह्म सरोवर में सूर्य ग्रहण के अवसर पर डुबकी लगाने से उतना ही पुण्य प्राप्त होता है, जितना पुण्य अश्वमेध यज्ञ को करने के बाद मिलता है। शास्त्रों के अनुसार सूर्यग्रहण के समय सभी देवता यहां कुरुक्षेत्र में मौजूद होते हैं। ऐसी मान्यता है कि सूर्य ग्रहण के अवसर पर ब्रह्मसरोवर और सन्निहित सरोवर में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
इस सूर्य ग्रहण पर यात्रियों की सुरक्षा एवं सुविधा के लिए प्रशासन की ओर व्यापक इंतजाम किए थे। स्नान के दौरान दोनों सरोवरों में मोटरबोट लोगों को गहरे पानी में न जाने के लिए सचेत करती रही। जिसके चलते मेले के दौरान कोई अप्रिय घटना नहीं घटी। मंदिरों में सूर्यदेव का जयघोष और शंख ध्वनि गूंज उठे। स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने अनाज, कपड़े, पैसे, फल इत्यादि दान किए। सरोवरों पर बैठे पुरोहितों ने हजारों यात्रियों को बारी-बारी बैठाकर उनके पूर्वजों के निमित्त पिंडदान व अन्य कर्मकांड संपन्न करवाए। सूर्य ग्रहण का पुराणों में जिक्र है कि राहु द्वारा भगवान सूर्य के ग्रस्त होने पर सभी प्रकार का जल गंगा के समान, सभी ब्राह्मण ब्रह्मा के समान हो जाते हैं। इसके साथ ही इस दौरान दान की गई सभी वस्तुएं भी स्वर्ण के समान होती हैं।
उपायुक्त शांतनु शर्मा ने कहा कि प्रशासन द्वारा श्रद्धालुओं के लिए सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए थे, इन प्रबंधों के बीच सूर्यग्रहण मेला शांतिपूर्ण ढंग से सम्पन्न हुआ। इस मेले के लिए प्रशासन की तरफ से हेल्प डेस्क, रिसेप्शन सेंटर, मीडिया सेंटर, लोगों के लिए मेला क्षेत्र, ब्रह्मसरोवर की सदरियों तथा धर्मशालाओं में ठहरने की व्यवस्था की गई थी। पीने के पानी के लिए अस्थाई टेप प्वाईंट, पानी के टैंकर और कैम्परों की व्यवस्था, मोबाईल शौचालय, लाईटिंग, पार्किंग, बचाव टीमों, मेडिकल कैम्प, फायर फाईटिंग और मेजर नाका प्वाइंट सहित तमाम प्रकार की व्यवस्था की गई। अतिरिक्त उपायुक्त अखिल पिलानी ने कहा कि सूर्य ग्रहण मेले को लेकर छोटे से छोटे पहलू को जहन में रखकर तैयारी की गई। इस मेले में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए मेडिकल, पीने के पानी, शौचालयों, स्वागत कक्ष, बचाव टीमें, श्रद्धालुओं के ठहरने की व्यवस्था, महिलाओं के लिए ब्रह्मसरोवर पर चेंज करने के लिए अलग से व्यवस्था की गई थी।
पुलिस अधीक्षक सुरेंद्र ने कहा कि सूर्य ग्रहण मेले में सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम के लिए शहर को 20 सेक्टरों में बांटा गया और हजारों पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई थी। इसके अलावा एंटी बंब व डॉग स्क्वायड की टीम, कमांडों और सिविल ड्रेस में पुलिस बल को भी तैनात थे। उन्होंने बताया कि मेला क्षेत्र के चप्पे-चप्पे पर नजर रखने के लिए ड्रोन कैमरों से लाइव फीड को देखा जा रहा था और ब्रह्मसरोवर के आसपास मचान स्थापित की गई और सीसीटीवी कैमरों से मेला क्षेत्र पर नगर रखी गई।
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अब 2 अगस्त 2027 को नजर आएगा कुरुक्षेत्र में सूर्य ग्रहण
कुरुक्षेत्र में अब अगला सूर्य ग्रहण 2 अगस्त 2027 को सायं 3 बजकर 53 मिनट से लेकर सायं 5 बजे तक लगेगा। इसके उपरांत 1 जून 2030 को प्रात: प्रात:10 बजकर 15 मिनट से दोपहर 12 बजकर 56 मिनट तक, 21 मई 2031 को प्रात: 11 बजकर 42 मिनट से दोपहर 2 बजकर 34 मिनट तक, 3 नवंबर 2032 को सुबह 9 बजकर 32 मिनट से 10 बजकर 52 मिनट तक, 20 मार्च 2034 को सायं 4 बजकर 20 मिनट से 6 बजकर 23 मिनट तक, 2 सितंबर 2035 को सुबह 4 बजकर 40 मिनट से 6 बजकर 36 मिनट तक, 20 मार्च 2042 को प्रात: 6 बजकर 30 मिनट से 7 बजकर 12 मिनट तक, 11 जून 2048 को सायं 7 बजकर 01 मिनट से 7 बजकर 24 मिनट तक तथा 11 अप्रैल 2051 को 5 बजकर 42 मिनट से 6 बजकर 47 मिनट तक कुरुक्षेत्र में नजर आएगा।
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टेलीस्कोप से श्रद्धालुओं ने लाइव देखा सूर्य ग्रहण
सूर्य ग्रहण की रोमांचक खगोलीय घटना के नजारे का पैनोरमा में श्रद्धालुओं ने लाइव लुत्फ उठाया। यहां खगोलीय घटनाओं में रुचि रखने वालों को ग्रहण का नजारा दिखाने के लिए टेलीस्कोप लगाए गए थे। ग्रहण शुरू होते ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। टेलीस्कोप के जरिये सूर्य ग्रहण का नजारा देखा गया।
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सूर्य ग्रहण मेले के दौरान सुरक्षा रही चाक-चौबंद
ब्रह्मसरोवर पर सूर्यग्रहण के अवसर पर लाखों श्रद्धालुओं ने मोक्ष की डुबकी लगाई। इस दौरान ब्रह्मसरोवर परिसर में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी रही। प्रवेश द्वार से लेकर महिला घाटों पर महिला पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई थी।। इसके साथ ही जगह-जगह पूछताछ केंद्र स्थापित किए गए थे, जिसके जरिए सैकड़ों श्रद्धालुओं को मिलाया।
सूर्य ग्रहण पर ब्रह्मसरोवर व सन्निहित सरोवर में स्नान करने से होती है मोक्ष की प्राप्ति
देश-प्रदेश से पहुंचे श्रद्धालुओं ने सूर्य ग्रहण के महत्व को लेकर साझा किए अपने अनुभव, ब्रह्मसरोवर के पवित्र जल में डुबकी लगाने से अश्वमेघ यज्ञ के बराबर मिलता है फल
कुरुक्षेत्र 25 अक्टूबर आदिकाल से ही कुरुक्षेत्र में सूर्यग्रहण के अवसर पर स्नान करने की परम्परा रही है। मान्यता है कि सूर्य ग्रहण के समय ब्रह्मसरोवर और सन्निहित सरोवर में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। मान्यता यह भी है कि सूर्य ग्रहण के दौरान कुरुक्षेत्र के ब्रह्मसरोवर में डुबकी लगाने से उतना ही पुण्य फल प्राप्त होता है जितना की अश्वमेघ यज्ञ के बराबर पुण्य फल मिलता है। शास्त्रों के अनुसार भी सूर्य ग्रहण के समय ब्रह्मसरोवर में स्नान करने का एक विशेष महत्व बताया गया है। सूर्य ग्रहण के अवसर पर ब्रह्मसरोवर में स्नान करने के लिये देश के दूरदराज के क्षेत्रों से भी लोग पहुंचे हैं।
हिमाचल प्रदेश के जिला शिमला के चौपाल से आये रिटायर्ड शास्त्री हरिराम शर्मा ने बताया कि वे अपने साथी ज्ञान सिंह रचायिक के साथ यहां आये हैं। उन्होंने कुरुक्षेत्र के महत्व के बारे में ग्रंथों में पढ़ा है और वे यहंा पर पहली बार सूर्यग्रहण के अवसर पर स्नान करने पहुंचे हैं। उन्होंने बताया कि यहां उन्होंने श्रीमद भगवद गीता के 18वें अध्याय का पाठ किया है और यहां की व्यवस्था को देखकर वे काफी प्रभावित हुए हैं। उन्होंने सरकार व प्रशासन द्वारा श्रद्धालुओं के लिये किये गये प्रबंधों की सराहना करते हुए कहा कि यहां उन्हें कोई दिक्कत नहीं हुई है। राजस्थान के जिला नागौर के गांव कालड़ी से आये पूर्व सरपंच धर्मा राम ने बताया कि वे 27 लोगों के जत्थे के साथ यहां आये हैं, जिसमें महिलाएं व पुरुष शामिल हैं। उन्होंने बताया कि पूर्व में यहां लगे सूर्यग्रहण के अवसर पर वे यहां स्नान करने आये थे। उन्होंने कहा कि पौराणिक साहित्य के अनुसार कुरुक्षेत्र में सूर्यग्रहण के अवसर पर स्नान करने का विशेष फल मिलता है।
सूर्य ग्रहण मेले में आए 72 वर्षीय गोकुल राम ने बताया कि भागवत पुराण के अनुसार एक बार सूर्य ग्रहण के अवसर पर श्रीकृष्ण, बलराम द्वारका से प्रजाजनों के साथ आये थे। उन्होंने कहा कि सूर्य ग्रहण के अवसर पर ब्रह्मसरोवर में स्नान करने से फल की प्राप्ति होती है, इसी बात को ध्यान में रखते हुए वे यहां अपने गांव के लोगों के साथ आये हैं। कुछ ऐसा ही कहना इनके साथ आई बुजुर्ग महिला पन्ना तथा पूर्ण देवी का था। उन्होंने कहा कि शास्त्रों में भी बताया गया है कि सूर्य ग्रहण के अवसर पर कुरुक्षेत्र के पवित्र सरोवरों में किये गये स्नान एवं श्राद्ध का विशेष फल मिलता है। बिहार के जिला नालंदा के गांव सरमेरा से आये सुनील, गौतम कुमार तथा विजय ने बताया कि वे पहले छठ पूजा के अवसर पर ब्रह्मसरोवर में पूजा करने के लिये आये थे और वे अब सूर्य ग्रहण के अवसर पर यहां के पवित्र सरोवरों में स्नान करने के लिए आए हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने यहां के ब्रह्मसरोवर में स्नान करने से मिलने वाले पुण्य के बारे में सुना है और इसी बात को ध्यान में रखते हुए वे यहां पर आए हैं।
डड्डू माजरा चंडीगढ़ की मंदिर कमेटी से जुड़े श्रद्धालु महिलाएं एवं पुरुष भी यहां पर स्नान करने पंहुचे। इस जत्थे में शामिल हेमपाल, महिला रक्षा देवी, रूमा देवी, शीला तथा प्रवेश ने बताया कि वे गीता जयंती के अवसर पर भी यहां आये थे और अब वे सूर्यग्रहण के अवसर पर यहां स्नान करने पहुंचे हैं। उन्होंने बताया कि वे प्रात: ही यहां पंहुच गये थे और वे अपने सदस्यों के साथ ब्रह्मसरोवर के तट पर महिला मंडली के साथ भजन-कीर्तन कर रहे हैं। ऐसा चक्र चलाया रे श्याम तेरी उंगली ने… को सुनकर वहां से गुजरने वाले अन्य श्रद्धालुओं के कदम भी उनके भजन-कीर्तन को देखने व सुनने के लिये ठहर जाते हैं।
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर-खीरी से पहुंचे साधु-संत मलिखान दास, गुट्टन दास, रामपाल दास, रणधीर दास, मूलचंद दास आदि साधुओं ने बताया कि वे ब्रह्मसरोवर में स्नान करने के लिये पहुंचे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा यहां पर साफ-सफाई आदि प्रबंधों की बेहतरीन व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा कि सूर्यग्रहण के अवसर पर कुरुक्षेत्र के पवित्र सरोवरों में स्नान करने से महान पुण्य मिलता है। अनादिकाल से ही सूर्यग्रहण के अवसर पर कुरुक्षेत्र के सरोवरों में स्नान करने के लिये असंख्य तीर्थ यात्री, राजा, महाराजा और साधु-संत आते रहे है।