महोत्सव में विभिन्न राज्यों के लोक कलाकारों अपने-अपने प्रदेश के लोक नृत्य की दी प्रस्तुति, घाटों पर कच्ची घोड़ी, ढोल नगाड़े और बीन बांसुरी का पर्यटकों ने उठाया जमकर लुफ्त, सरस और शिल्प मेले के 16वें दिन जमकर उमड़े पर्यटक
कुरुक्षेत्र 4 दिसंबर अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के पावन पर्व पर ब्रह्मसरोवर का तट देश की सांस्कृतिक विरासत को एक ही जगह पर सहेजने के रूप में अपनी एक अलग पहचान बना चुका है। इस तट पर देश के सभी राज्यों के लोक कलाकार अपने-अपने प्रदेश की लोक संस्कृति की छठा बिखेर चुके है और देश के हर राज्य और प्रदेश के सभी जिलों से शिल्पकार अपनी कलाओं के जरिए लोगों को आकर्षित करने का कार्य कर रहे है। इस सांस्कृतिक विरासत से रूबरू होने और पवित्र ग्रंथ गीता की नगरी को देखने के लिए रोजाना काफी संख्या में पर्यटक अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में पहुंच रहे है।
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव 2022 के 16वें दिन रविवार की छुट्टी होने के कारण सुबह से ही पर्यटक सरस और शिल्प मेले में खरीदारी करने के लिए पहुंच गए। जैसे-जैसे दिन चढ़ता गया और सायं होती गई त्यों-त्यों पर्यटकों की आवाजाही भी बढ़ती रही। इस महोत्सव में पर्यटकों को देश के हर राज्य की लोक कलाओं और संस्कृति से आत्मसात करने का अवसर मिल रहा है। इस वर्ष उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक कला केन्द्र पटियाला की तरफ से जम्मू कश्मीर, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, वेस्ट बंगाल, महाराष्ट्र, पंजाब, असम, छत्तीसगढ़, मणिपुर, ओडिशा, महाराष्ट्र, कर्नाटक के कलाकारों को आमंत्रित किया गया है। इन कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति से पर्यटकों को अपने मोहपाश में बांधने का काम किया।
महोत्सव में जहां पर्यटकों हरियाणा पैवेलियन में प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत को देखने का मौका मिला, वहीं देश के विभिन्न राज्यों और प्रदेश के जिलों से आए शिल्पकारों की शिल्पकला को देखने और खरीदने का मौका मिला। इन पर्यटकों के लिए कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड की तरफ से पुख्ता इंतजाम भी किए गए है और तमाम सांस्कृतिक कार्यक्रमों को कुरुक्षेत्र की वेबसाईट पर भी देखा जा सकता है। एनजेडसीसी के अधिकारी राधे श्याम, महिन्द्र सिंह, राजेश बस्सी, रविंद्र शर्मा का कहना है कि अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के लिए विभिन्न प्रदेशों के बेहतरीन कलाकारों को आमंत्रित किया गया है। यह कलाकारों ने कुरुक्षेत्र और आसपास के तीर्थों पर अपनी प्रस्तुती दी। हालांकि यह शिल्प और सरस मेले 6 दिसंबर तक चलता रहेगा और पर्यटक इस महोत्सव में शिल्पकारों की शिल्पकला को देख सकेंगे।