शिक्षा का साया जब सर पर हो, तो बच्चे खुद अपनी किस्मत लिखेंगे मेहनत की स्याही से ।
यह वाक्य साकार कर दिखाया है परियोजना ‘केयर’, इद्रीश फाउंडेशन के 10वीं के बच्चों ने जिनका रिजल्ट मिसाल है के हर वह बच्चा जो पढ़ना चाहता है, उन्हें कोई नहीं रोक सकता, ना हालात, ना पैसे की कमी, न ही आस पास का माहौल।
इद्रीश फाउंडेशन पिछले 8 सालों से परियोजना ‘केयर’ के जरिये हर उस बच्चे को सपोर्ट कर रही है जो पढ़ना चाहता है, लेकिन घर के हालात, या फीस, या फिर कोई भी बाधा उनको रोकती है। पिछले कई सालों में परियोजना ‘केयर’ से कई बच्चे पढ़कर आगे बढ़े हैं और अपनी लाइफ में कुछ अच्छा कर रहे हैं।
इस साल 2024 में, परियोजना ‘केयर’ के 2 बच्चे नीतीश कुमार बिबीशन दास के पुत्र, स्कूल एस. डी. सीनियर सेकेंडरी स्कूल अंबाला कैंट ने 88% लेकर अपनी 10वीं की परीक्षा पास की है।
बता दे नीतीश के हौसलों के सामने अच्छे-अच्छे भी हार जाएं, नीतीश की पढ़ाई के प्रति लगन इसी बात से पता लगती है के सड़क के किनारे नीतीश के पिता जी साइकिल ठीक करने का काम करते हैं और वहीं पे रहते भी हैं, सड़क का शोर और काम का दबाव दोनों ही नीतीश को नहीं रोक पाया। नीतीश स्कूल से आने के बाद अपने पिता जी के साथ साइकिल ठीक करने का काम करता है, घर मे खाना बनाने में मदद करने उसके बाद रात को 3 से 4 घंटे पढ़ाई करता है, घर का खर्चा चलाने के लिए काम भी जरूरी है और आगे बढ़ने के लिए पढ़ाई भी नीतीश का मानना है के वह एक दिन मेहनत करके आई.ए.एस ऑफिसर बनेगा और अपने पापा को एक अच्छा घर बनवा के देगा जिससे के सड़क के किनारे रहने से उनको निजात मिलेगी…इद्रीश फाउंडेशन सलाम करता है ऐसे बच्चों के हौसलों को जो मिसाल है समाज में और हमें गर्व है के नीतीश हमारे पास एडॉप्टेड है जिसके लिए हम कुछ कर पा रहे हैं उसको पढ़ा पा रहे हैं।
सुमित कुमार दिनेश मंडल के पुत्र, स्कूल एस.डी.सीनियर सेकेंडरी स्कूल अंबाला कैंट, बता दे के सुमित ने 10वीं में अपने स्कूल में 96% मार्क्स हासिल कर 2वीं पोजीशन हासिल की है, सुमित के पिता जी बिहार में मजदूरी करके बच्चों को पढ़ा रहे हैं और यहां सुमित अपने रिश्तेदारों के घर पे रह रहा है, पिता की मेहनत और लगन से सुमित बहुत इंस्पायर है और वह इंजीनियरिंग करके अपने पिताजी को वह सारी खुशी देना चाहता है जो आज तक उसके पिता जी मेहनत मजदूरी करके सुमित और उसके भाई को पढ़ाने में दे रहे हैं। सुमित बताता है के माता जी की मृत्यु के बाद पिता जी ने ही बहुत मेहनत मजदूरी करके उनको पाला है और अब उनको अपने पिता जी का सपना पूरा करना है। हमें गर्व है के सुमित हमारे परियोजना ‘केयर’ में है ऐसे बच्चों के मेहनत, लगन और अपने माता पिता की मेहनत के प्रति आदर-सम्मान की भावना ही उन्हें आगे ले जाती है और यह बच्चे समाज में बदलाव लेकर आते हैं।
यह दोनों बच्चे मिसाल हैं के पैसे की कमी हो या फिर आस पास का माहौल या कोई भी परेशानी जिसे पढ़ाना है आगे बढ़ना है उसे कोई नहीं रोक सकता है, यह आज के उन बच्चों के लिए मोटिवेशन है जो पढ़ाई के लिए अलग कमरा मांगते हैं, लक्जरी स्कूल बैग या आराम मांगते हैं और अपने माता पिता के पैसे या मेहनत की इज्जत नहीं करते हैं। अभाव में भी जीवन आसान है अगर ठान लिया जाए तो।
इद्रीश फाउंडेशन की टीम बस इसी मुहिम में है के वह ऐसे बच्चों को ढूंढे जो पढ़ाई में अच्छे हैं और हालातों से डरे नहीं हैं।
परियोजना ‘केयर’ टीम एस.डी. सीनियर सेकेंडरी स्कूल की वंदना मैम जो एक टीचर से कहीं ज्यादा इन बच्चों और लगभग कई बच्चे जो जरूरतमंद हैं उन तक हेल्प पहुंचाने के लिए हमें और हम जैसे कई लोगों को एप्रोच करती है ताकि बच्चों की पढ़ाई ना रुके।
हम शुक्रगुज़ार हैं प्रिंसिपल सर शशि शर्मा जी का जिन्होंने हमेशा हमें सपोर्ट किया ताकि हम बच्चों की मदद कर पाएं।
आज का रिजल्ट उन सभी लोगों को जो हमें मदद करते हैं, सपोर्ट करते हैं, बच्चों की फीस में कंट्रीब्यूशन देते हैं या फिर हमारे साथ वॉलिंटियरिंग जुड़े हैं सबकी सफलता है।