केयू आईआईएचएस के तत्वावधान में ’एनईपी-2020 के कार्यान्वयन में चुनौतियाँ और अवसर’ विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित
कुरुक्षेत्र, 23 फरवरी।
 कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट ऑफ इंटीग्रेटेड एंड ऑनर्स स्टडीज के तत्वावधान में ’एनईपी-2020 के कार्यान्वयन में चुनौतियाँ और अवसर’ विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन शुक्रवार को विश्वविद्यालय के सीनेट हॉल में किया गया। इस अवसर पर कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में मुख्यातिथि के रूप में उपस्थित कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने कार्यशाला के आयोजन के लिए संस्थान को बधाई देते हुए कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रावधान से देश की शिक्षा व्यवस्था में आमूल चूल परिवर्तन हो गया है। एनईपी -2020 का मुख्य उद्देश्य है भारतीय ज्ञान परम्परा को मूल में रखते हुए समानता एवं समावेशी के स्वरूप के आधार पर सभी विद्यार्थियों को बिना किसी भेदभाव के शिक्षा का अवसर प्रदान करना। शैक्षणिक उन्नति के साथ-साथ विद्यार्थियों की भावनात्मक, सामाजिक एवं आध्यात्मिक चेतना को भी जागृत किया जाना चाहिए। मुख्यातिथि ने कहा कि एनईपी के अन्तर्गत भारतीय भाषाओं को विशेष महत्व दिया गया है। अब विज्ञान, प्रबंधन और कानून का विद्यार्थी हिंदी में भी लिख सकता है। यह छात्र केंद्रित नीति है। इसके माध्यम से एक बडा बदलाव यह है कि अब हम ज्ञान स्थानान्तरण से ज्ञान सृजन की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। भारत को ग्लोबल नॉलेज सुपर पावर बनाने के लिए एनईपी में कौशल वृद्धि के लिए स्किल इन्हान्स्मेन्ट एवं  वोकेशनल कोर्सेज भी तैयार किए गए हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय को ए प्लस प्लस ग्रेड मिलने पर बधाई देते हुए एनईपी को पूरी शक्ति एवं निष्ठा से क्रियान्वित करने का आह्वान किया। संस्थान के प्राचार्य प्रो. संजीव कुमार गुप्ता ने मुख्यातिथि एवं प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए एनईपी के विविध उपक्रमों की चर्चा की।
विश्वविद्यालय के शैक्षणिक अधिष्ठाता प्रो. अनिल वशिष्ठ ने कहा कि एनईपी विद्यार्थी को सर्वांगीण विकास की ओर प्रेरित करती है। उन्होंने कहा कि यह नया प्रयोग है हमें इसकी चुनौतियों का मिलकर मुकाबला करना है। प्रो. वशिष्ठ ने सेक, वेक एवं वोक को डायनेमिक बताते हुए इन्हें पूर्ण रूप से लागू करने का आह्वान किया। हमें एनईपी को इसके स्ट्रक्चर में ही लागू करना है। हमें अब पढाने के साथ सीखाना भी है। कार्यशाला का कुशल संचालन कार्यशाला की संयोजिका प्रो. रीटा ने किया।
कार्यशाला के अन्तर्गत एनईपी का रोडमैप, लर्निंग आउटकम, स्नातक स्तर पर इंटर्नशिप एंड रिसर्च,  भविष्य की चुनौतियां एवं रणनीति, विचार विमर्श एवं अनुभव साझा करना विषयों पर पाँच तकनीकी सत्र आयोजित किए गए। इनके अन्तर्गत प्रो. अनीता दुआ, प्रो. दिनेश कुमार, प्रो. परमेश कुमार एवं प्राचार्य प्रो. संजीव कुमार गुप्ता ने रिसोर्स पर्सन के रूप में अलग-अलग टॉपिक्स पर अपने विचार रखे।
कार्यशाला के समापन सत्र में संयोजिका  प्रो. रीटा ने कार्यशाला की रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए कहा कि कार्यशाला आशा से अधिक सफल रही और आईआईएचएस, यूटीडी तथा दयाल सिंह कॉलेज करनाल,  दयानंद महिला महाविद्यालय, पं. चिरंजीलाल कॉलेज आदि महाविद्यालयों के लगभग 100 शिक्षक प्रतिभागी के रूप में सम्मिलित हुए।
कार्यशाला में प्रो. अनिल गुप्ता, प्रो. अश्वनी कुश, प्रो. जसविंदर कुमार, प्रो. सुनीता मदान, प्रो. निरूपमा भट्टी, प्रो. महासिंह, प्रो. अमृत सिंह, प्रो. अनुपमा, प्रो. अश्वनी मित्तल, प्रो. रिचा सहित आईआईएचएस एवं अन्य महाविद्यालयों के भी शिक्षक बड़ी संख्या में सम्मिलित हुए।

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