संतों के साथ मंत्री, सांसद व विधायक ने श्रवण की कथा
डॉ. राजेश वधवा
कुरूक्षेत्र। महामंडलेश्वर गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज के सान्निध्य एवं गीता ज्ञान संस्थानम् के तत्वाधान में मेला ग्राउंड में आयोजित की जा रही श्री राम कथा मानस गीता के पांचवें दिन प्रमुख संत जनों की उपस्थिति में न्यायाधीश, मंत्री, सांसद, विधायक एवं नेताओं के साथ नगर के प्रशासनिक अधिकारियों ने भी कथा श्रवण की। सर्वप्रथम गीता ज्ञान संस्थानम् की ओर से श्री राम कथा मानस गीता के मुख्य संयोजक प्रदीप मित्तल, डा. सुदर्शन अग्रवाल, अशोक चावला, किशोर अग्रवाल व राजेश पजनी  ने रोहतक से पधारे महंत कालिदास महाराज, पटियाला से बाबा भूपेंद्र सिंह, कलानौर से हरपाल दास महाराज, रोहतक से महंत करण पुरी, ईश्वर दास महाराज, भाई साईं दास गद्दी से रामसुखदास महाराज, प्रेम मंदिर पानीपत की परमाध्यक्षा कांता देवी, वात्सल्य वाटिका कुरुक्षेत्र से हरिओम दास एवं भागवताचार्य राम मुद्गल शास्त्री को पुष्प माला पहनाकर स्वागत किया। गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज एवं सभी उपस्थित संतो के साथ हरियाणा के निकाय मंत्री कमल गुप्ता, हैफेड के चेयरमैन कैलाश भगत, गौ सेवा आयोग के चेयरमैन श्रवण गर्ग एवं श्री राम कथा मानस गीता के मुख्य यजमान राज सिंगला ने व्यासपीठ पर विराजमान मुरारी बापू को पुष्प भेंट कर व्यासपीठ को नमन किया। हनुमान चालीसा के पाठ एवं श्री राम स्तुति के साथ प्रारंभ हुई पांचवें दिन की कथा में श्रद्धालुओं से खचाखच भरे पंडाल को संबोधित करते हुए मुरारी बापू ने भगवान श्री कृष्ण का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि महाभारत युद्ध के दौरान भगवान श्री कृष्ण का प्रण था कि शस्त्र नहीं उठाऊंगा, लेकिन शास्त्र जरूर उठा लूंगा। फिर जो शास्त्र भगवान कृष्ण ने युद्ध भूमि में उठाया वह था श्रीमद्भगवद्गीता। उन्होंने कहा कि भगवान द्वारा उठाया गया उनका सुदर्शन चक्र भी एक शास्त्र ही था। गीता के योगः कर्मसु कौशलम् पर प्रकाश डालते हुए बापू ने अपेक्षा रहित जीवन से विकास की बात कही। मुरारी बापू ने कहा कि मानस में पंचवटी का बहुत महत्व है। पांच तत्वों से बना शरीर हमारी पंचवटी ही है। उन्होंने बताया कि धर्म के पांच क्षेत्र सत्य, सौंदर्य, कोमलता भविष्य का चिंतन एवं चिंतन करके अपने बल का ज्ञान धर्म के 5 क्षेत्रों में आता है। मानव जीवन में गुरु के महत्व पर प्रकाश डालते हुए मुरारी बापू ने कहा कि गुरु न हो तो शास्त्र की प्राप्ति तो हो जाती है, लेकिन शास्त्र पचता नहीं है। शास्त्र की प्राप्ति के बाद उसको आत्मसात करने की कला गुरु ही सिखाता है। उन्होंने कहा कि महाभारत भारत गुरुओं का देश था, है और अनंत काल तक गुरुओं का ही देश कहलायेगा। बापू ने कहा कि गुरु रुपी पोत के सहारे ही भवसागर को पार किया जा सकता है। कथा के दौरान मुरारी बापू द्वारा गाए गए भजन ऊंचे कलश पर दीप जले शाम हो रही, जागे अवगुण खुदा सो रहा शाम हो रही पर कथा पंडाल में उपस्थित हजारों की संख्या में श्रद्धालु भाव विभोर हो गए। श्री राम कथा मानस गीता के समापन पर गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज, हरियाणा विधानसभा के स्पीकर ज्ञान चंद गुप्ता, करनाल के सांसद संजय भाटिया, स्थानीय विधायक सुभाष सुधा, न्यायधीश नीलिमा शांगला एवं भजन सम्राट कन्हैया मित्तल के साथ सभी श्रद्धालुओं ने खड़े होकर रामायण जी की आरती गाई। इस अवसर पर कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के मानद सचिव मदन मोहन छाबड़ा, हैप्पी चावला, विजय नरूला, हंसराज सिंगला, डा. सुदर्शन चुघ, डा. सुधा बंसल, राजऋषि गम्भीर,  वैद्य देवेंद्र बत्रा एवं जगदीश तनेजा सहित भारी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।
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 बापू का चिंतन और संवाद अनूठी प्रेरणा : स्वामी ज्ञानानंद
 श्री राम कथा मानस गीता के आरंभ में श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने कहा कि 9 दिवसीय श्री राम कथा में बापू का संवाद और चिंतन कुरुक्षेत्र ही नहीं बल्कि पूरे देश के साथ विदेशों में कथा श्रवण कर रहे श्रद्धालुओं के लिए अनूठी प्रेरणा बना हुआ है। कथा में मानस के साथ गीता को केंद्र बनाकर मानस और गीता का समन्वय भाव वास्तव में अद्भुत और प्रेरणादाई है। महाभारत युद्ध में अर्जुन और कृष्ण के बीच के संवाद पर चर्चा करते हुए गीता मनीषी ने कहा कि जैसे अर्जुन ने अपने घोड़ों की लगाम भगवान श्री कृष्ण के हाथ में सौंप दी, वैसे ही अच्छे कर्मों से दायित्व निभाते हुए हमे अपने जीवन की डोर उस प्रभु पर छोड़ देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मन लगाम है और इंद्रियां घोड़े हैं। जीवन की कठिन से कठिन परिस्थितियों में जब मन विचलित होने की स्थिति में अगर डोर उस परमात्मा के हाथ में होगी तो वह निश्चित ही हमें संभाल लेंगे। मां फलेषु कदाचन पर बात करते हुए स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने कहा कि जीवन के संघर्षों में युद्ध के रूप में हमारा काम कर्तव्य निष्ठा के साथ अपेक्षा रहित कर्म करना है। श्री राम कथा मानस गीता के पांचवें दिन श्री जयराम संस्थाओं के अध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी महाराज भी उपस्थित रहे।

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