मोदी सरकार ने 2017 में केंद्रीय मोटरयान नियमों में किया था    संशोधन — एडवोकेट

चंडीगढ़  — हाल ही में मीडिया (अंबाला जागरण)  में इस सम्बन्ध में रिपोर्ट प्रकाशित हुई थी कि अम्बाला के डीसी (उपायुक्त ) सहित जिले के कई वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों के सरकारी वाहनों पर बहुरंगी बत्ती कर प्रयोग क्या जा रहा है. अम्बाला के अतिरिक्त हरियाणा में कई स्थानों विशेषकर  जिला स्तर पर  तैनात/ कार्यरत आला    अधिकारी  जैसे  डीसी, अतिरिक्त उपायुक्त (एडीसी),  उपमंडलाधीश (एसडीएम), सिटी मजिस्ट्रेट आदि,  जिन पदों पर  आईएएस और  एचसीएस अधिकारी तैनात होते हैं,  उनके  द्वारा  उन्हें आबंटित सरकारी   वाहनों पर बहुरंगी बत्ती या फिर कई बार केवल  नीली बत्ती का प्रयोग किया जा  रहा है.पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार. ने  बताया कि करीब सात वर्ष पूर्व  अप्रैल, 2017 में  केद्र की  मोदी सरकार ने भारत में  वर्षो से व्याप्त वी.आई.पी. कल्चर ( संस्कृति) को समाप्त करने के उद्देश्य से सभी प्रकार  के संवैधानिक और वैधानिक पदों पर आसीन पदाधिकारियों और सरकारी अधिकारियों के वाहनों पर लाल-बत्ती लगाने की परंपरा का पूर्णतया अंत करने का निर्णय  लिया था.
हालाकि जब इस सम्बन्ध में केंद्रीय मोटरयान नियामवली, 1989 के नियम 108 में संशोधन करने संबधी  गजट  नोटिफिकेशन केंद्र सरकार के सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा 1 मई 2017 को  जारी की गई थी, तो केवल लाल-बत्ती ही नहीं अपितु नीली  बत्ती का प्रयोग भी पूर्ण तरह से समाप्त  कर दिया गया था.
हेमंत ने आगे बताया कि  1 मई 2017 के बाद  केवल विशेष तौर पर केंद्र सरकार द्वारा  अधिसूचित इमरजेंसी और आपातकालीन ड्यूटी सेवाओ में कार्यरत वाहनों को बहुरंगी बत्ती अर्थात लाल, नीली और सफ़ेद बत्ती की मिश्रित अर्थात बहुरंगी बत्ती   लगाने की अनुमति प्रदान  की गई एवं डीसी, एडीसी, एसडीएम, सिटी मजिस्ट्रेट, तहसीलदार  आदि  प्रशासनिक अधिकारी उपरोक्त श्रेणी  में नहीं आते बेशक उन्हें प्रदेश सरकार द्वारा सीआरपीसी (दंड प्रक्रिया संहिता ), 1973 में प्रदेश सरकार द्वारा   कार्यकारी मजिस्ट्रेट (एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट ) की शक्तियां प्रदान की गयी हों.
यहाँ तक कि जिला अदालतों  के जज चाहे  सेशंस जज और (मुख्य) जुडिशल मजिस्ट्रेट आदि भी उनके वाहनों पर किसी प्रकार की बत्ती का प्रयोग नहीं कर सकते. मौजूदा केंद्रीय मोटरयान नियम 108 में अब प्रदेश सरकार के पास  बहुरंगी बत्ती का प्रयोग करने हेतु सरकारी वाहनो की नई श्रेणी बनाने की कोई शक्ति भी नहीं है.
ज्ञात रहे कि  देश का प्रथम नागरिक अर्थात भारत के राष्ट्रपति, उनके अलावा उपराष्ट्रपति, देश के प्रधानमंत्री/केंद्रीय मंत्री, सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस और जज,  प्रदेश के राज्यपाल, मुख्यमंत्री/ मंत्री आदि भी उनके  सरकारी वाहनों पर किसी प्रकार की  बत्ती का प्रयोग नहीं कर सकते हैं.
हेमंत  ने बताया कि 1 मई, 2017 को केंद्र सरकार द्वारा जारी   गजट अधिसूचना के  अनुसार अब कोई भी उच्च अधिकारी एवं पदाधिकारी अपने वाहन पर लाल, नीली या एम्बर बत्ती  का प्रयोग नहीं कर सकता. जहाँ तक पुलिसिंग और इमरजेंसी और आपदा प्रबंधन ड्यूटी में लगे हुए वाहनों का विषय  है तो केंद्र सरकार ने उन्हें विशेष  श्रेणी का  मानते हुए बहु रंगी अर्थात लाल, नीली और सफ़ेद बत्ती बत्ती कर मिश्रण  प्रयोग करने की अनुमति दी है. परुन्तु इस स्वीकृति का मतलब यह कदापि नही है कि यह वाहन  केवल नीली बत्ती का प्रयोग भी कर सकते हैं, ऐसा करना कानूनी तौर पर पूर्णतया गलत है.
बहरहाल, बहुरंगी बत्ती प्रयोग करने की स्वीकृति   अग्नि-शमन वाहनों, रक्षा बलों एवं अर्ध-सैनिक बलों के वाहनों, भूकंप, बाढ़, भूस्खलन, चक्रवाती तूफ़ान, सुनामी आदि प्राकृतिक आपदाओ के प्रबंधन में तैनात राजकीय वाहनों को भी दी गयी है हालाकि ऐसे सभी  वाहन उक्त बहु रंगी बत्ती  का प्रयोग हर समय नहीं अपितु  मात्र तभी करेंगे जब वो उनकी निर्धारित  ड्यूटी को अंजाम दे रहे हो.
हेमंत ने  बताया कि  केंद्र सरकार द्वारा 1 मई 2017 को जारी गजट  नोटिफिकेशन  में यह भी निर्देश है  कि हर राज्य /यूटी  का ट्रांसपोर्ट  विभाग उसके क्षेत्र में बहुरंगी बत्ती का प्रयोग करने के लिए अधिकृत सभी  पुलिस और इमरजेंसी  ड्यूटी  वाहनों बारे जनसाधारण  को सूचित करने के लिए  प्रतिवर्ष  एक  सार्वजनिक सूचना (पब्लिक नोटिस ) भी जारी  करेगा और ऐसी अनुमति प्रदान किये गए वाहनों पर सम्बंधित राज्य सरकार/ यूटी प्रशासन के ट्रांसपोर्ट  विभाग का सुरक्षा-मुद्रिक वाटर मार्क पेपर का होलोग्राम युक्त स्टीकर भी लगाना होगा. हालांकि दुर्भाग्यवश  हरियाणा  में ऐसा नहीं  किया जा रहा है.
हेमंत ने कई वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा उनके सरकारी वाहनों पर सेंट्रल व्हीकल्स रूल्स के विरूद्ध बहुरंगी बत्ती का प्रयोग करने के विषय पर   प्रदेश के  राज्यपाल, मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, गृहमंत्री, परिवहन मंत्री, मुख्य सचिव, प्रधान सचिव- ट्रांसपोर्ट विभाग  आदि को ज्ञापन भेजा था. उनके पत्र के बाद   राज्य  सरकार के परिवहन विभाग के प्रमुख सचिव  द्वारा इस  मामले पर संज्ञान लेते हुए प्रदेश  ट्रांसपोर्ट कमिश्नर को पत्र भेजकर उनसे इस विषय पर आवश्यक कार्यवाही करने और इस बारे में राज्य सरकार को सूचित करने बारे भी  लिखा गया था. हालांकि ऐसा प्रतीत होता है  कि आज तक इस मामले में  सख्त कार्रवाई  नहीं की गई है.

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