हरियाणा की जूनियर महिला कोच के सेक्सुअल हैरेसमेंट मामले में पूर्व खेल मंत्री संदीप सिंह शनिवार को चंडीगढ़ डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में पेश हुए। वहां उन्होंने एसीजेएम राहुल गर्ग की कोर्ट में अपनी जमानत के बॉन्ड भरे। कोर्ट की ओर से अगली सुनवाई के लिए 10 अक्टूबर की डेट तय की गई है।

वहीं पीड़ित पक्ष की ओर से वकील दीपांशू बंसल मौजूद हुए। उन्होंने ट्रायल कोर्ट से अनुरोध किया कि वह आरोपी की गिरफ्तारी के संबंध में कोर्ट के द्वारा पारित आदेशों में लगाई गई शर्तों पर विचार करें।

संदीप सिंह सशर्त मिली है अग्रिम जमानत
मंत्री संदीप सिंह को चंडीगढ़ डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने सशर्त अग्रिम जमानत दी है। कोर्ट ने मंत्री की जमानत याचिका मंजूर करते हुए मौजूदा स्थितियों को देखते हुए उन्हें 10 दिनों में ट्रायल कोर्ट के समक्ष सरेंडर करने की शर्त लगाई है, साथ ही उन्हें एक लाख रुपए का मुचलका भी भरना होगा।

इसके अलावा संदीप सिंह की जमानत याचिका को मंजूर करने के लिए सुप्रीम कोर्ट (SC) और उत्तराखंड नैनीताल हाईकोर्ट के फैसलों को भी आधार बताया है।

इन फैसलों को बनाया गया आधार
संदीप सिंह के वकील रबिंद्रा पंडित ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के सौभाग्य भगत बनाम उत्तराखंड सरकार के वर्ष 2021 के जमानत याचिका मामले में 24 अगस्त, 2023 को आए फैसले को आधार बनाया। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट के महादूम बावा बनाम सीबीआई के 2023 के फैसले को भी आधार बनाया गया।

सुप्रीम कोर्ट ने पाया था कि कुछ अदालतें समन के आदेश पर आरोपी के पेश होने पर उसे रिमांड पर लेने के आदेश सुना देती हैं। ऐसी परिस्थितियों में आरोपी को गिरफ्तार किए जाने पर वह जमानत का हकदार था।

संदीप सिंह ने कोच पर लगाए ये आरोप
संदीप सिंह ने अपनी अग्रिम जमानत याचिका में कहा था कि उन्हें मामले में झूठा फंसाया गया है। वहीं कहा था कि FIR भी 6 महीने की देरी से दर्ज की गई। जिसके पीछे कोई तर्क नहीं है। मंत्री ने कहा था कि पीड़िता ने यह आरोप सिर्फ इसलिए लगाए क्योंकि उसकी पंचकूला में ही पोस्टिंग की मांग पूरी नहीं हुई थी।

वहीं विभाग द्वारा उसकी तुर्की में प्रशिक्षण की मांग रद्द कर दी गई थी, इसलिए उसमें गुस्सा था। ऐसे में उसने विपक्षी राजनीतिक दलों का सहयोग लिया और इनेलो ऑफिस से पत्रकार वार्ता की।

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