कुरुक्षेत्र, 14 नवम्बर : धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में अपनों से ठुकराए व अपनों द्वारा घरों से निकाले गए बुजुर्गों के चेहरों पर खुशियां लाने का प्रयास प्रेरणा वृद्धाश्रम में नियमित तौर पर किया जाता है। प्रेरणा वृद्धाश्रम के संस्थापक एवं संचालक जय भगवान सिंगला द्वारा बुजुर्गों के चेहरों पर खुशियां लाने के लिए कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है। इसी क्रम में प्रेरणा साहित्य सदन का विधिवत लोकार्पण हुआ। सिंगला ने बताया कि इस लोकार्पण के उपरांत कोई भी सरकारी कार्यक्रम कभी भी, कितने भी दिन के लिए यहां पर आकर आयोजित किया जा सकता है। साहित्यकार अपने साहित्य का यहां आकर सृजन कर सकता है। इस के लिए सभी व्यवस्थाएं निशुल्क होंगी। खाना-पीना, ठहरना और साहित्यकार को हर प्रकार की यहां सुविधा दी जाएगी जो वह चाहेंगे। इस मौके पर साहित्य सदन का लोकार्पण उत्तरी भारत के सुप्रसिद्ध साहित्यकार डा. मधु कांत बंसल द्वारा किया गया। इस मौके पर सभी साहित्यकारों ने प्रेरणा संस्था के इस प्रयास को अति सराहनीय वंदनीय और अनुकरणीय बताया है। यह भी संदेश दिया है कि कुरुक्षेत्र की पवित्र भूमि पर और उसमे भी इस पवित्र प्रेरणा वृद्ध आश्रम के प्रांगण में बैठकर अवश्य ही नई तरह की नई साहित्य का सृजन होगा। जो चिरकाल तक मानव की सेवा करता रहेगा और उसके अवसाद को दूर कर उसमें नई चेतना नई प्रेरणा भरने का काम करेगा। इस अवसर पर प्रेरणा संस्था के सभी सदस्य और उत्तरी भारत के नामचीन साहित्यकार उपस्थित थे। जिनमें प्रो. श्यामलाल कौशल, डा. अंजना गर्ग, रेनू खूंगर, अशोक जैन, हरनाम शर्मा, डा. शील कौशिक, डा. आरती मल्होत्रा, डा. विपिन गुप्ता व देशराज बंसल इत्यादि भी मौजूद रहे।

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