— एडवोकेट हेमंत
हालांकि तीन विधायक बन पाए थे विधानसभा के डिप्टी स्पीकर
आज तक हुए 13 चुनावों में 8 बार भाजपा और 5 बार कांग्रेस जीती
अम्बाला शहर – 56 वर्ष पूर्व भारतीय संसद द्वारा बनाये गए पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966 , जिसे 1 नवंबर, 1966 से लागू किया गया, के फलस्वरूप संयुक्त पंजाब सूबे से अलग होकर हरियाणा भारत का 17 वां राज्य बना. उस समय हरियाणा में सात ज़िले ही होते थे जिनमें अम्बाला भी शामिल था एवं तब भी अम्बाला शहर ही जिला मुख्यालय हुआ करता था.
बीते 56 वर्षो में हरियाणा विधानसभा के कुल 13 आम चुनाव हुए हैं जिसमें से मौजूदा विधानसभा के चुनाव तीन वर्ष पूर्व अक्टूबर,2019 में करवाए गए थे. शहर हलके से आज तक 8 बार भाजपा और 5 बार कांग्रेस का प्रत्याशी विजयी होकर विधायक बना है.
इसी बीच शहर निवासी पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने बताया कि इसे अम्बाला शहर विधानसभा हलके का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा की बीते 56 वर्षों में केवल एक बार ही स्थानीय विधायक और वह भी मात्र डेढ़ वर्ष की अवधि के लिए ही प्रदेश सरकार में मंत्री बन सका है. मार्च, 2005 में जब भूपेंद्र सिंह हुड्डा पहली बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे, तब उन्होंने उनके तत्कालीन विश्वासपात्र और शहर से तब पहली बार कांग्रेस के टिकट पर विधायक बने विनोद शर्मा, जो उससे पूर्व पंजाब से विधायक और राज्यसभा सांसद भी रह चुके थे, को मंत्रिमंडल में शामिल कर उन्हें आबकारी एवं कराधान (एक्साइज एंड टैक्सेशन ) एवं वन विभाग का कैबिनेट मंत्री बनाया था जिसके बाद जनवरी, 2006 में उनके विभाग बदलकर बिजली, लोक निर्माण(भवन एवं सड़कें ) और पर्यावरण विभाग दे दिया गया था परन्तु शर्मा को अपने बड़े पुत्र सिद्धार्थ वशिष्ठ उर्फ़ मनु शर्मा के जेसिका लाल हत्याकांड में दोषी करार होने कारण अक्टूबर, 2006 में अर्थात मंत्री बनने के मात्र डेढ़ वर्ष बाद ही हरियाणा के कैबिनेट मंत्री पद से त्यागपत्र देना पड़ा था.
इसके बाद हालांकि अक्टूबर, 2009 में विनोद शर्मा शहर से लगातार दूसरी बार कांग्रेस पार्टी से विधायक बने थे परन्तु उन्हें दूसरी हुड्डा सरकार में मंत्री नहीं बनाया गया था. इसके बाद जून, 2014 में शर्मा ने शहर के विधायक पद से त्यागपत्र देकर और कांग्रेस छोड़कर उनकी नई पार्टी हरियाणा जनचेतना पार्टी (वी )- हजपा(वी ) बना ली थी जो आज भी हरियाणा में गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल के तौर पर रजिस्टर्ड है. विनोद शर्मा की धर्मपत्नी शक्ति रानी शर्मा गत दो वर्षो से अम्बाला नगर निगम की पहली सीधी निर्वाचित और महिला मेयर हैं और शर्मा के छोटे पुत्र कार्तिक शर्मा इसी वर्ष हरियाणा से निर्दलीय के तौर पर राज्य सभा सांसद निर्वाचित हुए.
बहरहाल, वर्ष 1968 और वर्ष 1972 के आम चुनावो में शहर से दो बार कांग्रेस विधायक बनी लेखवती जैन, वर्ष 1991 में चुनाव जीते कांग्रेस के सुमेर चंद भट्ट और वर्ष 1996 में बने भाजपा विधायक फकीर चंद अग्रवाल तीनो हालांकि विधानसभा के डिप्टी स्पीकर (उपाध्यक्ष ) के पद पर पहुंच पाए थे. शहर से लगातार तीन बार 1977 ,1982 और 1987 में पहले जनता पार्टी और फिर भाजपा से विधायक बने मास्टर शिव प्रसाद और बाद में फरवरी, 2000 में भाजपा से विधायक बनी वीना छिब्बर भी मंत्रीपद तो दूर किसी अन्य सरकारी पद पर नहीं नियुक्त हो पाए थे.
हेमंत ने बताया कि शहर के मौजूदा विधायक असीम गोयल नन्यौला वर्तमान विधानसभा में गत तीन वर्षों से लोक उपक्रम कमेटी और इस वर्ष जून से विधायकों के प्रोटोकॉल सम्बन्धी कमेटी के चेयरमैन है जबकि वह सदन की ई-विधानसभा कमेटी (नेवा) के सदस्य भी हैं. उन्होंने बताया कि लोक उपक्रम समिति का चेयरमैन होने के कारण असीम को किसी बोर्ड और निगम का चेयरमैन नहीं लगाया जा सकता कयोंकि एक ही समय पर कोई विधायक लोक उपक्रमों अर्थात बोर्ड-निगमों पर निगरानी रखने वाली विधानसभा की समिति का चेयरमैन और साथ साथ ही उन्हें स्वयं ही किसी बोर्ड निगम का चेयरमैन नहीं लगाया जा सकता है. इसके अलावा चूँकि वर्ष 2016 में हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार द्वारा नियुक्त होने वाले मुख्य संसदीय सचिव (चीफ पार्लियामेंट्री सैकेट्ररी) के पदों को असंवैधानिक करार कर दिया था जिनपर पहले सत्ताधारी पार्टी के उन विधायकों को लगाया जाता था जो मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किए जा सकते थे, इसलिए अब असीम को मुख्य संसदीय सचिव भी नहीं नियुक्त किया जा सकता है.
वहीं हालांकि अम्बाला कैंट से वर्तमान में लगातार तीसरी बार भाजपा से और कुल छठी बार विधायक बने अनिल विज बीते आठ वर्षो से हरियाणा में भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं एवं वर्तमान में उनके पास गृह, स्वास्थ्य, तकनीकी शिक्षा सहित कुल छः विभाग है. इससे पूर्व अम्बाला कैंट से वर्ष 1977 और 1987 विधानसभा चुनावो में जीती दिवंगत सुषमा स्वराज भी हरियाणा की देवी लाल सरकार में मंत्री रही थीं.