हरियाणा में करनाल के के कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज में यौन उत्पीड़न के मामले में जांच के 11वें दिन आखिरकार आरोपी OT मास्टर को आंतरिक जांच कमेटी ने पूछताछ के लिए तलब किया। आरोपी OT मास्टर से करीब 2 घंटे पूछताछ हुई। पूछताछ में उसने खुद को बेकसूर बताया। साथ ही सारे आरोपों को सिरे से नकार दिया।
वहीं, विभाग की HOD डॉ फोजिया को भी छुट्टी पर भेज दिया है। कॉलेज प्रशासन की अभी तक की जांच और कार्यवाही से पीड़ित छात्राएं निराश है। उनका कहना है कि लग नहीं रहा मामले का हल निकल पाएगा।
छात्राओं के अभिभावकों को भी किया जा रहा है परेशान
कॉलेज की आंतरिक जांच कमेटी का तरीका छात्राओं को रास नहीं आ रहा है, क्योंकि 11 दिनों की जांच के दौरान छात्राओं को कभी ग्रुप्स में पूछताछ के लिए बुलाया जाता है तो कभी अकेले बैठाकर पूछताछ की जाती है। यहां तक कि छात्राओं के अभिभावकों को भी पूछताछ के लिए बुलाया जा चुका है। इससे कई छात्राओं को यह डर सता रहा है कि अभिभावक पढ़ाई ही न छुड़वा दें।
खासकर वह छात्राएं जो ग्रामीण क्षेत्र से आती है। छात्राओं ने बताया कि यह भी एक वजह है कि वह उत्पीड़न पर अभी तक चुप थी। अब क्योंकि स्थिति बर्दाश्त से बाहर हो गई, इसलिए मुंह खोलना पड़ा।
समीक्षा बैठक टली, अब पांच फरवरी को तलब की रिपोर्ट
विधायक इंदु राज ने बताया कि आंतरिक जांच कमेटी के अनुरोध पर आज होने वाली समीक्षा बैठक को टाला जा चुका है, लेकिन आने वाली 5 फरवरी को जांच कमेटी अपनी रिपोर्ट विधायक कमेटी को सौंपेगी और 7 फरवरी को अपना फैसला विधायक कमेटी देगी।
कमेटी की सख्ती से जांच में आई तेजी
विधानसभा कमेटी ने मामले पर सख्ती दिखाई तो आरोपों की जांच करने वाली कॉलेज की आंतरिक कमेटी कुछ तेज हुई। कमेटी के सदस्यों को अब डर सता रहा है कि यदि विधानसभा कमेटी जांच से संतुष्ट न हुई तो भारी फजीहत हो सकती है। इसलिए अब हर पहलू को खंगालने की कोशिश हो रही है। विधायक ने बताया कि हम मामले को लेकर बेहद गंभीर है, लेकिन जल्दबाजी नहीं करना चाह रहे हैं। हम रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं। एक बार रिपोर्ट हाथ में आ जाए, इसके बाद देखेंगे कि क्या करना चाहिए
विपक्ष के विधायक मामले की गंभीरता को देखते हुए उठा रहे कदम
विधानसभा कमेटी में विपक्ष के विधायक शामिल थे। विधायकों ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सख्त कदम उठाए। अब यदि कमेटी जांच से संतुष्ट नहीं होती तो न सिर्फ कॉलेज प्रशासन बल्कि सरकार को भी सवालों का सामना करना पड़ सकता है। सरकार की कोशिश है कि मामला ज्यादा तूल न पकड़े। अब देखना यह होगा कि कमेटी अपनी रिपोर्ट क्या देती है। इसके बाद विधानसभा कमेटी का रुख क्या रहता है।