कुवि रत्नावली हरियाणवी कल्चर का ब्रांड एंबेसडर डॉ. ममता सचदेवा
धोती, पगड़ी, घाघरा, घाघरी, कुर्ता-कुर्ती, लहंगा, गात्ती, गरखी के साथ कलाकार उतरे मंच पर
कुरुक्षेत्र, 29 अक्टूबर। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग द्वारा रत्नावली राज्य स्तरीय सांस्कृतिक समारोह के दूसरे दिन हरियाणवी आधुनिक लोक परिधानों का जलवा देखने को मिला। हरियाणवी फैशन शो में 25 से अधिक छात्र-छात्राओं ने भाग लेकर हरियाणा के लोक परिधानों को रत्नावली के रैंप पर नवीन स्वरूप में प्रस्तुत किया। रत्नावली समारोह में हरियाणा के लोक पारंपरिक परिधानों की प्रतियोगिता का आयोजन तो किया ही गया, इसके साथ आधुनिक परिधानों को भी मंच प्रदान किया गया।
विभाग के निदेशक डॉ. महासिंह पूनिया ने कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा, डॉ. ममता सचदेवा लोकल आडिट हरियाणा के निदेशक राजेश गुप्ता व उनकी धर्मपत्नी, कुलसचिव डॉ. संजीव शर्मा, सुमिता शर्मा, कुवि के लोकल ऑडिट के संयुक्त निदेशक डॉ. चांद राम भुक्कल का स्वागत किया और उनको हरियाणा के लोक परिधानों के विषय में अवगत करवाया।
इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ. ममता सचदेवा ने कहा कि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय हरियाणवी संस्कृति के लिए ब्रांड बन चुका है। इस दृष्टि से रत्नावली मंच के माध्यम से विश्वविद्यालय के कलाकारों ने जिस स्वरूप में हरियाणा के परिधानों को मंच पर प्रस्तुत किया है वह अपने आप में अद्भुत एवं अनूठा प्रयास है, इसके लिए मैं विश्वविद्यालय के युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग को बधाई देती हूं।
कार्यक्रम के मुख्यातिथि लोकल ऑडिट हरियाणा के निदेशक राजेश गुप्ता ने कहा कि रत्नावली महोत्सव को अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाया जाए ताकि रत्नावली भी वर्ल्ड मैप पर दिखे जिस प्रकार गुड़गांव अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुका है।
युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग के निदेशक डॉ. महासिंह पूनिया ने कहा कि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा के नेतृत्व में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय अंतर्राष्ट्रीय फलक पर अपनी पहचान बना रहा है। इसके साथ ही हरियाणा के लोक परिधानों को नये स्वरूप में रत्नावली के मंच पर प्रस्तुत कर युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग ने हरियाणा की संस्कृति को एक कदम और आगे बढ़ाया है। उल्लेखनीय है कि हरियाणा के लोक परिधानों को पहनने की परंपरा धीरे-धीरे कम हो रही है। इस परंपरा को जीवंत रखने के लिए हरियाणवी लोक परिधानों के लिए फैशन शो का आयोजन किया गया है।
उन्होंने बताया कि इस फैशन शो में अलग-अलग तरह की धोतियां, पगड़ी के अलग-अलग स्वरूप, घाघरा, घाघरी, कुर्ता-कुर्ती, लहंगा, गात्ती, गरखी आदि लोक परिधानों को मंच पर प्रस्तुत किया गया है। हरियाणवी फैशन शो में 25 से अधिक कलाकारों ने रैंप पर देशी परिधानों को आधुनिक स्वरूप में प्रस्तुत किया।
इस अवसर पर कुलसचिव डॉ. संजीव शर्मा, लोकल आडिट के संयुक्त निदेशक डॉ. चांद राम भुक्कल, केडीबी सदस्य सौरभ चौधरी, प्रो. शुचिस्मिता, प्रोफेसर अनिल गुप्ता, उप-निदेशक डॉ. गुरचरण सिंह, डॉ. जितेन्द्र जांगडा, हरिकेश पपोसा सहित शिक्षक, प्रतिभागी व कर्मचारी मौजूद थे।