इस साल का दूसरा सूर्यग्रहण 25 अक्टूबर को लगने जा रहा है। इस वर्ष भारत में दिखाई देने वाला यह पहला सूर्य ग्रहण होगा। यह पूरे भारत में दिखाई देगा। भारत में ग्रहण लगा हुआ सूर्य अस्त हो जाएगा।
भारत में दिख रहा है तो कुरुक्षेत्र में बकायदा मेला भरेगा। इस बार संयोग ये है कि इस बार दीवाली भी ग्रहण के साए में मनेगी। दीवाली की रात से ही सूर्य ग्रहण सूतक आरंभ हो जाएगा।
हालांकि इस सूतक का दिवाली पर असर नहीं होगा। विश्व समय अनुसार सूतक रात करीब ढाई बजे और भारत मे करीब सवा 4 बजे शुरू होगा। दिवाली पर पितृ पूजन 24 अक्टूबर सुबह चौदस पर होगा। दोपहर को अमावस्या होगी। लक्ष्मी पूजन भी सूतक से पहले हो जाएगा।
नियमानुसार सूतक में शुभ कार्य नहीं होते। गायत्री ज्योतिष अनुसंधान केंद्र के संचालक डॉ. रामराज कौशिक के मुताबिक दिवाली 24 अक्टूबर को है। लेकिन इस साल की दीवाली बेहद खास होने वाली है। क्योंकि दिवाली पर सूर्य ग्रहण का भी साया है। दरअसल सूर्यग्रहण हमेशा अमावस्या तिथि को लगता है
और दिवाली भी अमावस्या तिथि पर होती है। इस बार ऐसा संयोग बना है कि दिवाली की रात से ही सूर्य ग्रहण का सूतक आरंभ हो जाएगा। सूतक काल में मंदिरों में भी दर्शन नहीं होते। भारत में नहीं दिखेगा सूर्य ग्रहण का मोक्ष: 25 अक्टूबर को लगने वाला सूर्यग्रहण करीब 4 घंटे 3 मिनट का होगा। इस ग्रहण का मोक्ष भारत में नहीं देखा जा सकेगा।
क्योंकि सूर्य ग्रहण समाप्त होने से पहले ही सूर्यास्त हो जाएगा।
कुरुक्षेत्र में इसकी अवधि करीब 74 मिनट रहेगी। सूर्य ग्रहण से 12 घंटे पहले सूतक: सूर्य ग्रहण का आरंभ 25 अक्टूबर को दिन में 2 बजकर 29 मिनट पर हो रहा है।
सूर्य ग्रहण के बारे में नियम है कि इसका सूतक ग्रहण आरंभ होने से 12 घंटे पहले लग जाता है। इसलिए 24 अक्टूबर दिवाली की रात 2 बजकर 30 मिनट से सूर्य ग्रहण का सूतक आरंभ हो जाएगा। दिवाली की रात महानिशीथ काल: दिवाली की रात को साधन के लिए बहुत ही उत्तम माना गया है।
इस समय देवी काली की साधना, उपासना, तंत्र साधना की जाती है। महानिशीथ काल का समय 24 अक्टूबर को रात 10 बजकर 55 मिनट से 25 अक्टूबर को रात 1 बजकर 53 मिनट तक रहेगा।
दिवाली की रात को ग्रहण का सूतक लग जाने से तंत्र साधना और सिद्धि के लिए यह रात बेहद खास रहेगी। इस रात जागरण करके देवी लक्ष्मी के मंत्रों का जप करना बेहद ही लाभकारी होगा।