नई दिल्ली। वह संगीतकार जिसे भले ही संगीत की विधिवत शिक्षा नहीं मिली, मगर एक समय अपने हुनर के बलबूते सबसे अधिक फीस मिली। हर धुन में एक खास किस्म का स्वर देने वाले ओ.पी. नैयर के गीत तो कई सुने गए हैं, मगर उनसे जुड़े कुछ किस्से आज भी अनकहे हैं। उनकी जन्मतिथि (16 जनवरी) पर जानिए उनसे जुड़ा ये खास किस्सा:

17 साल की कम उम्र में म्यूजिक की दुनिया में रखा था

ओंकार प्रसाद नैयर, जिन्हें ओ.पी. नैयर के नाम से जाना गया, एक ऐसे संगीतकार रहे, जिन्होंने शास्त्रीय संगीत की विधिवत शिक्षा नहीं प्राप्त की थी, लेकिन जब वो किसी गीत के लिए संगीत तैयार करते थे तो उसमें रागों का उपयोग इतनी खूबसूरती से करते थे कि पारखियों को इस बात का अनुमान नहीं होता था कि उन्होंने रागों की व्यवस्थित शिक्षा ग्रहण नहीं की।
16 जनवरी, 1926 को अविभाजित भारत के लाहौर में जन्मे नैयर की बचपन से ही संगीत में रुचि थी। उनके परिवार के लोग उनको संगीत की तरफ जाने से रोकते रहे। उनको लगता था कि अगर वे संगीत से दूर हो गए तो पढ़ाई में मन लगेगा। पर नैयर का मन तो संगीत में रम चुका था। 17 वर्ष की उम्र में ही उन्होंने एचएमवी के लिए कबीर वाणी कंपोज की थी, लेकिन वो पसंद नहीं की गई। बावजूद इसके उन्होंने एक प्राइवेट एल्बम ‘प्रीतम आन मिलो’ कंपोज किया, जिसमें सी. एच. आत्मा ने आवाज दी।
इस एल्बम ने नैयर को संगीत और सिनेमा जगत में एक पहचान दी। नैयर खुश हो रहे थे कि उनका सपना पूरा होने वाला है मगर नियति को कुछ और ही मंजूर था। देश का विभाजन हो गया। उनको लाहौर में सब छोड़-छाड़कर पटियाला आना पड़ा। पटियाला में वो संगीत शिक्षक बनकर जीवन-यापन करने लगे। पर मन तो फिल्मों में संगीत देने का था। अब नैयर बांबे (अब मुंबई) पहुंचते हैं। लंबे संघर्ष और जानकारों की सिफारिश के बाद उनको फिल्म संगीत में हाथ आजमाने का अवसर मिला। 

लता मंगेशकर के साथ क्यों कभी नहीं किया काम?
1952 में आई फिल्म ‘आसमान’ ने नैयर के लिए सफलता का क्षितिज तो खोला पर उनके और लता मंगेशकर के बीच दरार भी पैदा कर दी। दोनों ने फिर कभी साथ काम नहीं किया। ये वो समय था जब लता मंगेशकर फिल्म ‘अनारकली’, ‘नागिन’ और ‘बैजू बावरा’ जैसी फिल्मों के गाने गाकर प्रसिद्धि की राह पर चल पड़ी थीं। नैयर ने लता से अपनी फिल्म ‘आसमान’ में गाने का अनुबंध किया था।

जब रिकार्डिंग का समय हुआ तो लता मंगेशकर नदारद। वो तय समय पर नहीं पहुंचीं। बाद में लता ने नैयर को बताया कि उनकी नाक में कुछ दिक्कत थी। डॉक्टर ने उनको आराम करने की सलाह दी थी। तब नैयर ने उनसे दो टूक कहा कि जो समय पर नहीं पहुंच सकता, उसका मेरे लिए कोई महत्व नहीं। लता ने समझाने का प्रयत्न किया पर नैयर नहीं माने। तब लता ने भी कहा कि जो व्यक्ति संवेदनहीन हो, वो उसके लिए नहीं गा सकतीं। इस विवाद के बाद राजकुमारी ने वो गाना गाया। गीत था, ‘मोरी निंदिया चुराए गयो’।

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