6 दिन की कसरत के बाद आखिर विधायक अपनी पसंद के सदस्यों को थानेसर ब्लॉक समिति में प्रधानी व उपप्रधानी दिलाने में कामयाब रहे। इसमें अपनों से भाजपा को चुनौती मिली। हालांकि पहले प्रधानी को लेकर कसरत थी। लेकिन शुक्रवार को उपप्रधान पद भी भाजपा ने हथिया लिया। शुक्रवार को दोबारा से हुई मीटिंग में वार्ड-11 से रजनी शर्मा प्रधानी चुनी गई। जबकि वार्ड-15 से नेहा को उपप्रधानी मिली।

उपप्रधानी के लिए वोटिंग करानी पड़ी जिसमें नेहा को 25 में से 15 वोट मिले। विरोधी दयालपुर निवासी सौरभ को हार मिली। बता दें कि 24 दिसंबर को थानेसर ब्लाक समिति प्रधान व उपप्रधान पद के लिए मीटिंग तय थी। लेकिन 25 में से 15 ही सदस्य मीटिंग में पहुुंचे। जबकि 2 सदस्य बीडीपीओ दफ्तर तो आए, लेकिन मीटिंग में नहीं बैठे।

ऐसे में 17 सदस्यों का कोरम पूरा नहीं हुआ। इसके चलते प्रधान उपप्रधान चुनाव नहीं हो पाया। पहले 5 जनवरी को दोबारा बैठक तय की, लेकिन बाद में समय घटाकर 30 दिसंबर तय की। हालांकि दूसरी बैठक में 17 के कोरम की जरूरत नहीं रही। क्योंकि 15 सदस्य हाजिरी लगा चुके थे।

भाजपा से ही थे प्रधान पद के 2 दावेदार
गौरतलब है कि 15 सदस्य मीटिंग में पहुंच गए थे। विधायक सुभाष सुधा बीडीपीओ दफ्तर में मौजूद रहे। यहां भाजपा से ही 2 दावेदार प्रधानी में हो गए। वार्ड-21 से भाजपा नेता रहे रवि की पत्नी रेणू ने दावेदारी की। जबकि विधायक का तर्क था कि अधिकांश सदस्य वार्ड-11 से रजनी शर्मा को चाहते हैं।

रजनी भाजपा कार्यकर्ता राममेहर आचार्य की पत्नी हैं। राममेहर विधायक सुधा के नजदीकी हैं। कोरम के चलते मीटिंग टली तो सभी सदस्यों को एकजुट रखना भी चुनौती था। ऐसे में पहले 15 सदस्यों को पंचकूला भेजा। वहां से चंडीगढ़ के होटल में भेजे गए। बाद में शिमला भेजे गए। शुक्रवार को करीब 19 सदस्य एक साथ बीडीपीओ दफ्तर पहुंचे।

शिमला तक इन सभी के साथ पूर्व प्रधान देवीदयाल शर्मा, प्रवीण शर्मा समेत कई भाजपा नेता रहे। बताया जाता है कि वहां भी सभी सदस्यों पर पूरी नजर रखी गई। शुक्रवार को लौटने पर यहां रजनी शर्मा ने नामांकन भरा। दूसरी ओर से कोई नामांकन नहीं हुआ। ऐसे में सर्वसम्मति से रजनी को प्रधान चुन लिया।

उप प्रधानी के लिए करानी पड़ी वोटिंग

उपप्रधान के लिए वोटिंग करानी पड़ी। यहां भी भाजपा से ही 2 दावेदार हो गए। विधायक के निर्देश पर नेहा का नाम प्रस्तावित किया जा चुका था। यहां वार्ड 6 से सौरभ ने भी दावेदारी जताते हुए नामांकन भर दिया। सौरभ को निर्दलीय व कांग्रेस समर्थित सदस्यों का साथ मिला। लेकिन 25 में से 15 वोट नेहा को मिले। जबकि सौरभ को 10 वोट मिले।

आराेप- वाेटिंग हाेती ताे उनकी जीत तय थी: वहीं, भाजपा नेता रहे रवि डोडाखेड़ी की पत्नी व वार्ड 21 से सदस्य रेणू का कहना है कि उनका नामांकन ही नहीं होने दिया। प्रस्तावक के तौर पर 2 सदस्यों के साइन जरूरी थे। लेकिन सदस्यों को डराया हुआ था, इसके चलते एक ही सदस्य साइन करने को आगे आया।

कहा कि वे पुराने भाजपाई हैं। उनका दावा बनता था, वोटिंग होती तो उनकी जीत तय थी। उधर, सौरभ ने कहा कि वे भी लंबे समय से भाजपा से जुड़े हैं। जबकि नेहा के पति की तो पहले कांग्रेस से नजदीकियां थी। अब वह खुद को भाजपा में बताते हैं।

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