गीता से त्याग का भाव जीवन में आत्मसात करने की आवश्यकता: प्रो. सोमनाथ सचदेवा
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय तथा कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के संयुक्त तत्वावधान में श्रीमद्भगवद् गीता आधारित संतुलित प्रकृति – शुद्ध पर्यावरण विषय पर आयोजित तीन दिवसीय 9वीं अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का समारोप
कुरुक्षेत्र, 7 दिसम्बर। जिओ गीता के प्रणेता व गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज ने कहा कि गीता में समस्या का कारण एवं निवारण दोनों समाहित है। व्यक्ति जिस भी क्षेत्र में आगे बढ़ना है उसके लिए एकाग्रता परमावश्यक है तथा यह एकाग्रता श्रीमद्भगवद् गीता के अध्ययन से प्राप्त होती है। वे शनिवार को अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव पर कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय तथा कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड, हरियाणा सरकार के सहयोग से श्रीमद्भगवद् गीता आधारित संतुलित प्रकृति – शुद्ध पर्यावरण विषय पर आयोजित तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के समारोप सत्र के अवसर पर बतौर मुख्यातिथि बोल रहे थे । इससे पहले दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। कार्यक्रम में गीता पर आधारित पढ़े गए शोध पत्रो, पोस्टर प्रतियोगिता, क्विज के विजेताओं को सभी अतिथियों द्वारा पुरस्कृत किया गया।
गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज ने कहा कि शिक्षार्थी, शिक्षक, चिकित्सक, सभी के लिए तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में भिन्न-भिन्न विषयों पर हुआ चिंतन भगवद् गीता के वास्तविक तत्वों को सामने लाएगा। गीता सागर की तरह है इसमें डुबकी लगाकर हम गीता की महत्ता को समझ सकते हैं। शिक्षक, शिक्षाथी, चिकित्सक, रोगी, विरक्त, वानप्रस्थ सभी के लिए वात्सल्यमय गीता समाधान के रूप में कार्य करती है।
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने संगोष्ठी के सफल आयोजन के लिए आयोजकों को बधाई देते हुए कहा कि पहली बार तीन राज्यों के राज्यपाल अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन अवसर पर शामिल हुए। उन्होंने कहा कि गीता से त्याग का भाव जीवन में आत्मसात करने की आवश्यकता है क्योंकि त्याग की भावना से ही मानव जीवन की सभी समस्याएं हल हो सकती हैं। उन्होंने कहा कि गीता से ही लिए गए कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के ध्येय वाक्य में भी योग स्थित होकर अपने कर्तव्यों के निर्वहन की बात कही गई है। यह एक संयोग है कि गीता में 700 श्लोक हैं वहीं तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में लगभग 700 शोध प्रस्तुत किए गए हैं। कुलपति प्रो. सोमनाथ ने कहा कि पर्यावरण प्रदूषण को कम करने के लिए सामूहिक प्रयास एवं वस्तुओं का संयमित उपभोग करने की आवश्यकता है।
48 कोस तीर्थ मानिटरिंग कमेटी के चैयरमेन मदन मोहन छाबड़ा ने कहा कि स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज तथा कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा के सहयोग से गीता मंथन की बात पूरे विश्व में पहुंच रही है। यह तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय गीता सम्मेलन की सार्थकता है।
सम्मेलन निदेशक प्रो. तेजेन्द्र शर्मा ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। अंत में धन्यवाद प्रस्ताव युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग के निदेशक प्रो. विवेक चावला ने किया।
इस मौके पर कुलसचिव प्रो. संजीव शर्मा, सम्मेलन निदेशक प्रो. तेजेन्द्र शर्मा, मदन मोहन छाबड़ा, प्रो. रमेश भारद्वाज, प्रो. अनिल मित्तल, प्रो. विवेक चावला, प्रो. प्रीति जैन, प्रो. सुशीला चौहान, प्रो. कृष्णा देवी, प्रो. अनिता दुआ, प्रो. शुचिस्मिता, प्रो. सुशील कुमार, उप-निदेशक डॉ. जिम्मी शर्मा, प्रो. वनिता ढींगरा, डॉ. अंकेश्वर प्रकाश, डॉ. रमेश सिरोही, डॉ. अर्चना चौधरी, डॉ. ज्ञान चहल, डॉ. सुरजीत कुमार, डॉ. रूचि गुप्ता, डॉ. तेलू राम, डॉ. रामचन्द्र, प्रो. आरके देसवाल सहित डीन, निदेशक, शोधार्थी, विद्यार्थी व विद्वान मौजूद रहे।