गुरुद्वारा साहिब पातशाही पहली और छठी में हजारों की तदाद में संगत ने नवाया शीश
दुनिया के रहबर श्री गुरु नानक देव जी महाराज की शिक्षाओं को जीवन में अपनाए : बीबी रविंदर कौर अजराना
कुरुक्षेत्र, 15 नवंबर
पहली पातशाही श्री गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व पर धर्मनगरी के ऐतिहासिक गुरुद्वारा साहिबान में हजारों की तदाद में संगत ने शीश नवाया। यहां सुशोभित गुरुद्वारा साहिब पातशाही पहली एवं छठी में सुबह से ही संगत के आने का सिलसिला शुरु हो गया। संगत ने समागम के दौरान श्री हरमंदिर साहिब श्री दरबार साहिब के हजूरी रागी भाई सुखजीत सिंह, भाई तरसेम सिंह का ढाडी जत्था, भाई मलिंदर सिंह हजूरी रागी, भाई बेअंत सिंह हैड ग्रंथी गुरुद्वारा साहिब पातशाही छठी, भाई हरकरण सिंह ग्रंथी, भाई जगसीर सिंह हजूरी रागी गुरुद्वारा साहिब पातशाही छठी, भाई सूबा सिंह हजूरी रागी ने संगत को सिख इतिहास से जोड़ा। कार्यक्रम में हरियाणा सिख गुरुद्वारा मैनेजमैंट कमेटी की कनिष्ठ उपप्रधान बीबी रविंदर कौर अजराना, स्पोकसमैन कवलजीत सिंह अजराना, चीफ सैकेटरी जसविंदर सिंह दीनपुर, एडिशनल सैकेटरी राजपाल सिंह दुनियामाजरा, सतपाल सिंह ढाचर, उपसचिव रूपिंदर सिंह, अमरिंदर सिंह, मैनेजर हरमीत सिंह समेत अन्य ने भी शिरकत की।
समागम में संगत का मार्गदर्शन करते हुए गुरुद्वारा साहिब पातशाही छठी के कथावाचक भाई गुरदास सिंह ने कहा कि गुरबाणी, शबद और नाम सिमरन तीनों ही अमृत हैं। इन तीनों से मानव को आत्मिक जीवन व शांति मिलती है। नाम सिमरन/अमृत से सभी कष्ट दूर होते हैं। यही संदेश श्री गुरु नानक देव जी महाराज ने देश-दुनिया को दिया। कथावाचक ने संगत को गुरु साहिब द्वारा दी गई नारी जाति के सत्कार की शिक्षा को भी जीवन में आत्मसात करने का आह्वान किया। उन्होंने श्री गुरु नानक देव जी महाराज के जन्म एवं जीवन इतिहास का प्रसंग सुनाते हुए संगत को भाव विभोर कर दिया। उन्होंने कहा कि गुरबाणी, शबद और नाम सिमरन कर संगत को पाखंड व अंध विश्वास के मक्कड़ जाल से दूर रहना चाहिए। व्यक्ति को संसारिक यात्रा से मुक्ति दिलाने में सच्चे व पवित्र मन से नाम सिमरन ही अचूक माध्यम है।
हरियाणा सिख गुरुद्वारा मैनेजमैंट कमेटी की कनिष्ठ उपप्रधान बीबी रविंदर कौर अजराना ने कहा कि संस्था के प्रधान जत्थेदार भूपिंदर सिंह असंध की अगुवाई में प्रदेश के अलग-अलग गुरुद्वारा साहिबान में श्री गुरु नानक देव जी महाराज का प्रकाश पर्व बड़ी ही श्रद्धा एवं उत्साह पूर्वक मनाया गया है। गुरुद्वारा साहिब पातशाही पहली व दसवी कपाल मोचन बिलासपुर में काफी बड़ा समागम करवाया गया है, जबकि गुरुद्वारा श्री मंजी साहिब पिंजौर में भी कार्यक्रम कराया गया। इसके साथ ही गुरुद्वारा श्री मंजी साहिब अंबाला शहर एवं कुरुक्षेत्र के गुरुद्वारा साहिबान में समागम करवाए गए हैं। बीबी रविंदर कौर ने कहा कि दुनिया के रहबर श्री गुरु नानक देव जी महाराज की शिक्षाओं को हमें जीवन में अपनाना चाहिए। उनकी शिक्षाओं को जीवन अपनाने से हम समाज को बंध विश्वास से मुकत कर सकते हैं। हम सब को उनके संदेश एवं शिक्षाओं पर चलने का प्रण लेना चाहिए। कार्यक्रम में जत्थेदार भूपिंदर सिंह असंध के नेतृत्व में हरियाणा सिख गुरुद्वारा मैनेजमैंट कमेटी द्वारा किए गए जा रहे धर्म प्रचार के कार्याे का भी उल्लेख भी किया गया। कार्यक्रम के दौरान कुरुक्षेत्र, कपाल मोचन, यमुनानगर, करनाल, सोनीपत, पानीपत, अमृतसर, रोहतक, कैथल, अंबाला, राजपुरा, मालवा समेत हरियाणा व पंजाब के कई जिलों से हजारों की तदाद में संगत ने श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी महाराज के समक्ष शीश नवाया।
बाकस
हजूरी रागी ने शबद कीर्तन से संगत को किया निहाल
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गुरुद्वारा साहिब के हजूरी रागी भाई मलविंदर सिंह ने गुरबाणी के माध्यम से श्री गुरु नानक देव जी महाराज के जीवन प्रसंग भी सुनाए। शबद कीर्तन के साथ-साथ उन्होंने अमृतपान करने के लिए भी संगत को प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि प्रभु नाम सिमरन व्यक्ति को सफलता की ऊंचाइयों तक ले जाता है। प्रभु भक्ति पवित्र व सच्चे मन से करनी चाहिए, कयोंकि ईश्वर को भक्ति से पाया जा सकता है, कपट, घमंड या शक्ति से नहीं। इसलिए व्यक्ति को जीवन में सदा नम्र स्वभाव के साथ दूसरों की मद्द करनी चाहिए और प्रतिदिन ईश्वर भक्ति कर अपना जीवन खुशियों से भरना चाहिए। उधर ऐतिहासिक गुरुद्वारा साहिब पातशाही सातवीं में अमृत संचार करवाया गया, जिसमें प्राणियों ने अमृतपान किया।
फोटो कैप्शन
ऐतिहासिक गुरुद्वारा साहिब पातशाही छठी में श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी महाराज के समक्ष शीश नवाती संगत।
श्री दरबार साहिब श्री अमृतसर के हजूरी रागी शबद कीर्तन करते हुए।