लेखक- डॉ अशोक कुमार वर्मा

आज भारत में सड़को का विस्तारीकरण बहुत व्यापकता से हुआ है। सड़कें चौड़ी हो चुकी हैं और लम्बी दूरी की यात्रा पहले से बहुत अधिक सुगम हो चुकी है। व्यक्ति एक स्थान से दूसरे स्थान पर बिना किसी बाधा के शीघ्रता से पहुंच रहा है। बाई पास से होकर जाती सड़कें यद्यपि गाँवों को सीधे नहीं जोड़ती तथापि शहरों और गाँवों में प्रवेश करने के लिए अलग से मार्ग प्रदान किए गए हैं। दूसरी ओर अन्य सड़कें जो एक राज्य को दूसरे राज्य से जोड़ती हैं, उनका भी विस्तार किया गया है। अब अधिकतर मार्ग वन वे अर्थात एकल मार्ग हो चुके हैं। इसके विस्तार और सुदृढ़ निर्माण से एक और जहां सड़क दुर्घटनाओं में बहुत भरी कमी आई है वहीं दूसरी ओर बेसहारा पशु ओर अन्य पशु सड़कों पर ना आ जाए इसके लिए भी समुचित व्यवस्था की गई है। इतना कुछ होते हुए भी वाहन चालकों द्वारा नियमों की अवहेलना करना कहीं न कहीं सड़क दुर्घटना का कारण बन रहा है।

हम यहां पर उन वाहन चालकों की चर्चा मुख्य रूप से करेंगे जो भारी अर्थात व्यावसायिक वाहन सड़क पर लेकर चलते हैं। जैसा कि सबको पता है कि सड़क पर चलने के लिए निर्धारित नियम बनाए गए हैं। सिंगल वे अर्थात एक एकल मार्ग पर कुछ पट्टियां बनाई होती हैं जो सफ़ेद रंग से सड़क का विभाजन करती हैं। सबसे पहली बाईं ओर की पट्टी से बाई ओर का मार्ग जिसे लाइन कह सकते हैं वह दोपहिया वाहन चालकों के लिए होता है। दूसरा पहली पट्टी से दूसरी पट्टी का मार्ग अर्थात दूसरी लेन भारी वाहन अर्थात व्यावसायिक वाहन चालकों के लिए होता है जिसमे ट्रक आदि को चलना चाहिए। तीसरी लेन कार आदि के निर्धारित है और अंतिम लेन ओवरटेकिंग के लिए निर्धारित होती है।

भारत में ओवरटेकिंग के लिए भी नियम बनाए गए हैं। ओवरटेकिंग बहुत ही सावधानी से करनी चाहिए और तब ही करनी चाहिए जब आवश्यक हो। वाहन चालक को ओवरटेकिंग से पहले यह ध्यान देने की आवश्यकता है कि एक समय में अनेक वाहन चालक ओवरटेक करने का प्रयास न करें क्योंकि ऐसा करने से दुर्घटना घटित होने का भी बना रहता है। ओवरटेकिंग करने वाले वाहन चालक को ध्यान देना चाहिए कि जब उसे किसी अन्य वाहन को ओवरटेक करना हो तो भी कुछ बातों का ध्यान रखें जिसमें यह सुनिश्चित करे कि कोई अन्य वाहन चालक उसके साथ ओवरटेक करने का प्रयास न कर रहा हो। ऐसे में धैर्य का परिचय देने की आवश्यकता है।

यहां एक और महत्वपूर्ण विषय है कि भारी वाहन अर्थात व्यावसायिक वाहन सदा अपनी लेन में नहीं चलते हैं। वे या तो उस लेन में चलते हैं जो हल्के वाहनों के लिए निर्धारित है अथवा वे ओवरटेकिंग वाले मार्ग का प्रयोग करते पाए जाते हैं। अनेक बार ऐसा प्रतीत होता है कि ये वाहन चालक या तो नियमों से परिचित नहीं है अथवा इन्हें वाहन चलाने का ज्ञान नहीं है। यद्यपि सरकार द्वारा वाहन चलाने के लिए लाइसेंस जारी करने से पहले उनका प्रशिक्षण और परीक्षण कराया जाता है तो भी सड़क पर ऐसी अनुशासनहीनता असहनीय है।

हरियाणा में लेन ड्राइविंग को लेकर प्रशासन गंभीर है लेकिन इसके पश्चात भी कहीं न कहीं अज्ञानता, अशिक्षा और लापरवाही सड़क दुर्घटनाओं को न्योता देने का कार्य कर रही है। सड़क पर व्यावसायिक वाहन चालकों की मनमानी और नियमों की अवहेलना कतई स्वीकार्य नहीं है।

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