कुरुक्षेत्र, 3 जून। विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान, कुरुक्षेत्र को भारतीय ज्ञान प्रणाली (IKS) मिशन के अंतर्गत “भारतीय त्योहारों और उनके वैज्ञानिक व सांस्कृतिक महत्व” पर एक प्रतिष्ठित इंटर्नशिप परियोजना 2025 प्राप्त हुई है। यह छह माह की परियोजना भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित है और इसे स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज इन टीचर एजुकेशन (SIASTE), कुरुक्षेत्र के सहयोग से संचालित किया जाएगा।
इस परियोजना के प्रधान अन्वेषक (Principal Investigator) डॉ. संदीप कुमार, सहायक प्रोफेसर, सियास्ते, कुरुक्षेत्र होंगे। परियोजना के सह-अन्वेषक (Co-Principal Investigators) डॉ. अतुल यादव* (एसोसिएट प्रोफेसर), डॉ. सुमंत गोयल (सहायक प्रोफेसर), और डॉ. अनिल (सहायक प्रोफेसर) होंगे। यह परियोजना भारतीय त्योहारों के वैज्ञानिक आधार, सांस्कृतिक महत्व, और उनके सामाजिक-आध्यात्मिक प्रभावों का गहन अध्ययन करेगी, जो भारतीय ज्ञान प्रणाली को समकालीन शिक्षा और अनुसंधान में एकीकृत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
विद्याभारती संस्कृति शिक्षा संस्थान, कुरुक्षेत्र विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान 2020 में भारतीय ज्ञान प्रणाली (IKS) मिशन की शुरुआत के बाद से इस क्षेत्र में सक्रिय रूप से कार्य कर रहा है। संस्थान ने भारतीय संस्कृति, परंपराओं, और वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देने वाली कई परियोजनाओं में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। यह नवीनतम परियोजना भारतीय त्योहारों के माध्यम से प्राचीन ज्ञान और आधुनिक विज्ञान के बीच सामंजस्य को रेखांकित करेगी।
इस अवसर पर संस्थान के निदेशक डॉ. रामेंद्र सिंह ने अपनी शुभकामनाएं देते हुए कहा, “यह परियोजना हमारी सांस्कृतिक विरासत को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समझने का एक अनूठा प्रयास है। डॉ. संदीप कुमार और उनकी टीम को इस महत्वपूर्ण कार्य के लिए हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं। आशा करते हैं कि यह परियोजना भारतीय ज्ञान प्रणाली को वैश्विक मंच पर और सशक्त करेगी।” डॉ. ऋषि गोयल, निदेशक, एसआईएएसटीई, हरियाणा ने इस उपलब्धि पर हर्ष व्यक्त करते हुए कहा, “डॉ. संदीप कुमार और उनकी टीम को इस प्रतिष्ठित परियोजना के लिए बधाई। यह शोध भारतीय संस्कृति और विज्ञान के बीच सामंजस्य को रेखांकित करेगा और हमारी समृद्ध परंपराओं को नई पीढ़ी तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।”
यह परियोजना राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत भारतीय ज्ञान प्रणाली को शिक्षा और अनुसंधान में एकीकृत करने के दृष्टिकोण को साकार करने की दिशा में एक और कदम है। विद्या भारती और सियास्ते के संयुक्त प्रयासों से यह परियोजना भारतीय संस्कृति और विज्ञान के बीच सेतु बनाएगी, जो युवाओं को अपनी विरासत के प्रति गर्व और जागरूकता प्रदान करेगी।