भारत में विकसित हुई होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति,आज दुनिया में बढ़ी मांग: डॉ. खुराना
-भगवान के बाद डॉक्टर की होती है पूजा, सेवा को बनाएं उद्देश्य: डॉ. संजय
-श्री कृष्ण आयुष विश्वविद्यालय में मनाया विश्व होम्योपैथी दिवस, कुलपति ने दी बधाई 
कुरुक्षेत्र, 25 अप्रैल। श्री कृष्ण आयुष विश्वविद्यालय में शुक्रवार को विश्व होम्योपैथी दिवस मनाया गया, जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग के पूर्व चेयरमैन डॉ. अनिल खुराना ने शिरकत की, जबकि विशिष्ट अतिथि के रूप में राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग के सचिव डॉ. संजय गुप्ता उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. वैद्य करतार सिंह धीमान ने की।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि डॉ.अनिल खुराना ने कहा कि होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति का जन्म भले ही जर्मनी में हुआ हो, लेकिन इसका वास्तविक विकास और विस्तार भारत में हुआ है। आज भारत में होम्योपैथी की मांग लगातार बढ़ रही है, और यह चिकित्सा प्रणाली देशभर में लोकप्रियता हासिल कर रही है।
अपनी चिकित्सा पद्धति के प्रति निष्ठा रखें विद्यार्थी: डॉ. खुराना
डॉ.खुराना ने भावी चिकित्सकों का आह्वान किया कि वे अपनी चिकित्सा पद्धति के प्रति निष्ठा रखें और होम्योपैथी के क्षेत्र में ही सेवा देने के लिए प्रेरित रहें। उन्होंने विद्यार्थियों को अध्ययन,अध्यापन और अनुसंधान के प्रति समर्पित रहने के लिए प्रोत्साहित किया। बताया कि भारत में वर्तमान में 280 से अधिक होम्योपैथी कॉलेज,3.60 लाख से अधिक पंजीकृत होम्योपैथिक डॉक्टर, और 400 से अधिक होम्योपैथिक फार्मेसियां कार्यरत हैं। उन्होंने कहा कि देश की 35 से अधिक होम्योपैथिक कंपनियों की औषधियां विदेशों में निर्यात की जा रही हैं, जिससे भारत इस क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर भी अपनी पहचान बना रहा है।
होम्योपैथी के सिद्धांत आयुर्वेद से मेल खाते हैं: डॉ. गुप्ता
विशिष्ट अतिथि राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग के सचिव डॉ. संजय गुप्ता ने ने कहा कि आयोग ने होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति को सशक्त बनाने की दिशा में भारत सरकार ने कई अहम कदम उठाए हैं,जिनका प्रभाव अब स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगा है। पिछले कुछ वर्षों में मरीजों का भरोसा होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति के प्रति बढ़ा है,जो इस प्रणाली की विश्वसनीयता और प्रभावशीलता को दर्शाता है। डॉ.गुप्ता ने कहा कि होम्योपैथी के सिद्धांत आयुर्वेद से मेल खाते हैं, इसलिए हमें इसकी ताकत को और अधिक बढ़ाने के लिए अनुसंधान पर ध्यान केंद्रित करना होगा। उन्होंने भावी चिकित्सकों को भी प्रेरित करते हुए कहा कि भगवान के बाद डॉक्टर को पूजा जाता है। अतः यह हमारा नैतिक कर्तव्य है कि हम समाज की सेवा में अपनी भूमिका निभाएं। उन्होंने छात्रों को चिकित्सा सेवा को केवल पेशा न मानते हुए,इसे एक मानवीय जिम्मेदारी के रूप में स्वीकार करने का संदेश दिया।
क्रॉस पैथी से बचें,मन को भी समझें:प्रो. धीमान
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. वैद्य करतार सिंह धीमान ने कहा कि चिकित्सा पद्धतियों के बीच क्रॉस पैथी से परहेज जरूरी है। उन्होंने कहा कि एक कुशल चिकित्सक को केवल शारीरिक रोग नहीं, बल्कि मन की स्थिति को भी समझना चाहिए। चिकित्सा को केवल इलाज नहीं,बल्कि एक समग्र दृष्टिकोण से अपनाना चाहिए।
6 हजार से अधिक मरीज हुए ठीक: विकास शर्मा
आयुष विश्वविद्यालय के कार्यकारी कुलसचिव विकास शर्मा ने कहा कि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. करतार सिंह धीमान के मार्गदर्शन में विश्वविद्यालय में होम्योपैथी चिकित्सा केंद्र की स्थापना की गई,जहां प्रत्येक दिन 50 से अधिक मरीज उपचार के लिए आते हैं। अब तक 6,000 से अधिक मरीज सफलतापूर्वक उपचार प्राप्त कर चुके हैं। चिकित्सालय में 500 से अधिक औषधियां उपलब्ध हैं, जिससे लोगों को बेहतर सुविधा और उपचार मिल रहा है।
कार्यक्रम में ये रहे उपस्थित
इस अवसर पर आयुर्वेद अध्ययन एवं अनुसंधान संस्थान के प्राचार्य डॉ. देवेंद्र खुराना, डीन एकेडमिक अफेयर प्रोफेसर जितेश पंडा,डीन ऑफ होम्योपैथी डॉ. अनिल शर्मा, डीन ऑफ कॉलेज डॉ. आशु स्टेट काउंसिल मेंबर डॉ.ऋषि, डॉ. नवनीत वडैच, डॉ. कुलजीत कौर, प्रॉक्टर डॉ. राजा सिंगला, अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. राजेंद्र चौधरी, डॉ. अनूप सिंगला, डॉ. मनोज कुमार, डॉ. पीसी मंगल,डॉ. नेहा लांबा, प्रोफेसर नीलम कुमारी, डॉ. सुरेंद्र सहरवत, डॉ. सीमा समेत अन्य अधिकारी व कर्मचारी मौजूद रहे।

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