हरियाणा में स्कूल बैग नीति-2020 के नियम गैर-सरकारी व सरकारी स्कूलों के लिए बनाए गए हैं। इस नीति के अनुसार कक्षा पहली से 10वीं तक के विद्यार्थियों के लिए स्कूल बैग (बस्ते) का वजन पांच कैटेगरी में तय किया गया। जिसमें अधिकतम वजन पांच किलोग्राम तक ही स्कूल बस्ते का वजन होना चाहिए और गले में पानी की बोतल नहीं होनी चाहिए। यह नियम अब खासकर निजी स्कूल संचालक हलके में ले रहे है।
सोमवार को दैनिक जागरण संवाददाता ने अंबाला कैंट के स्कूलों की छुट्टी होने के बाद जायजा लिया तो दिखा कि पहली कक्षा के बच्चों के गले में व अभिभावकों के हाथ में पानी की बोतलें दिखाई दी। इस तरह स्कूल संचालक नियम भूलते हुए दिखाई दिए। स्कूल बैग नीति को लेकर स्कूल संचालक गंभीर नहीं है और इस तरह भविष्य की नींव बस्ते के बोझ तले दबते नजर आ रहे हैं।
इस तरह स्कूल बस्तों का बोझ भविष्य के नींव पर रहा तो वो दिन दूर नहीं, जब अधिकतर बच्चों के भी कमर में दर्द व कंधों से जुड़ी समस्याएं सामने आनी शुरू होगी। अंबाला कैंट नागरिक अस्पताल की फिजीशियन डॉ. पल्लवी के अनुसार अगर ऐसा रहा तो यह सब दिक्कतें आनी तय है। अभी भी काफी बच्चे हमारे पास कमर दर्द व कंधों से जुड़ी समस्या लेकर आते हैं। ऐसे में हम उनको बचाव के तरीके बताते हैं।
क्या कहते है शिक्षा विभाग के नियम
- कक्षा पहली से दूसरी : स्कूल बैग का वजन 1.5 किलोग्राम से अधिक नहीं होना चाहिए।
- कक्षा तीसरी से पांचवीं : स्कूल बैग का वजन 2 से 3 किलोग्राम तक होना चाहिए।
- कक्षा छठी से सातवीं : स्कूल बैग का वजन 4 किलोग्राम तक होना चाहिए।
- आठवीं से नौवीं : स्कूल बैग का वजन 4.5 किलो तक होना चाहिए।
- कक्षा 10वीं : स्कूल बैग का वजन 5 किलो से अधिक नहीं होना चाहिए।