करनाल, 22 नवंबर। गर्भधारण पूर्व व प्रसव पूर्व निदान तकनीक (पीसीपीएनडीटी) अधिनियम के तहत आज यहां जिला सलाहकार समिति की एक बैठक सिविल सर्जन डा. लोकवीर की अध्यक्षता में आयोजित की गई। इसमें जिला में लिंगानुपात बढ़ाने के लिये उठाये जाने वाले कदमों पर विचार-विमर्श किया गया।
सीएमओ डा. लोकवीर ने बताया कि इस समय लिंगानुपात  मामले में करनाल जिला चौथे नंबर पर है। जिला में एक हजार लडक़ों के मुकाबले लड़कियों की संख्या 934 है। इस अनुपात को करीब 970 तक पहुंचाने के लिये हर संभव प्रयास किये जायेंगे। उन्होंने कहा कि जल्दी ही आशा वर्कर्स और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के बीच तालमेल बढ़ाने के लिए उनके साथ बैठक आयोजित की जायेगी। निचले स्तर पर भ्रूण के लिंग की जांच बारे सूचना उपलब्ध कराने में धरातल पर आशा और आंगनवाड़ी वर्कर्स अहम कड़ी साबित हो सकती हैं। उन्होंने कहा कि इस समय जिला में 92 अल्ट्रासाउंड सेंटर चालू स्थिति में  हैं। पीसीपीएनडीटी एक्ट के तहत जिला की अदालतों में 32 केस लंबित हैं। उन्होंने कहा कि भ्रूण लिंग जांच करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जायेगी।  संबंधित अधिकारियों को छापेमारी बढ़ाने के निर्देश दिये गये हैं।
उन्होंने बताया कि भ्रूण के लिंग का पता लगाने के उद्देश्य से प्रयोगशाला या केंद्र अथवा क्लिनिक अल्ट्रासोनोग्राफी सहित कोई परीक्षण किया जाना निषिद्घ है। इतना ही नहीं अल्ट्रासाउंड जैसी तकनीकों के प्रयोग से व्यक्ति द्वारा गर्भवती महिला अथवा उसके रिश्तेदारों को शब्दों, संकेतों अथवा किसी अन्य तरीके से भ्रण के लिये लिंग की जानकारी नहीं दी जा सकती। सिविल सर्जन ने लोगों से भी अपील की है कि वे बेटा-बेटी में कोई फर्क न समझें। बेटियों बेटों के मुकाबले हर क्षेत्र में प्रतिभा का लोहा मनवा रही हैं। बैठक के एजेंडे में शामिल अल्ट्रासाउंड के लिये नये रजिस्ट्रेशन व नवीकरण के लिये आये आवेदनों पर विचार-विमर्श किया गया।
बैठक के उप सिविल सर्जन शीनू चौधरी, एसएमओ डॉ. अंजू, डा. प्रिया, विक्रम मित्तल, एडीए सितेंद्र कुमार, आईसीडीएम की पीओ सीमा प्रसाद, संरक्षण अधिकारी सुमन, रजनी परोचा आदि ने भाग लिया।

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