नाटक खुल जा सिम सिम से सजी उत्थान उत्सव की दूसरी शाम
अलीबाबा चालीस चोर कहानी को जीवंत कर गया नाटक खुल जा सिम सिम
——–
कुरुक्षेत्र 15 अक्तूबर। न्यू उत्थान थियेटर ग्रुप के 15 वर्ष पूर्ण होने पर आयोजित वार्षिक समारोह उत्थान उत्सव की दूसरी शाम नाटक खुल जा सिम सिम के साथ सम्पन्न हुई। अरेबियन नाईट्स की कहानी अलीबाबा चालीस चोर को नाटक खुल जा सिम सिम के माध्यम से मंच पर प्रस्तुत कर कलाकारों ने भरपूर सराहना बटौरी। हरियाणा कला परिषद के संयुक्त सहयोग से आयोजित उत्थान उत्सव के दूसरे दिन प्रसिद्ध समाजसेवी एवं उद्योगपति डा. जयभगवान सिंगला बतौर मुख्यअतिथि पहुंचे। वहीं विशिष्ट अतिथि के रुप में टैगोर ग्रुप ऑफ स्कूल के निदेशक आकाश वत्ता, डोरन फाउंडेशन ऑफ इंडिया से डा. रजनीश गुप्ता एवं वीना गुप्ता तथा विनोद शर्मा कार्यक्रम में उपस्थित रहे। कार्यक्रम से पूर्व न्यू उत्थान थियेटर ग्रुप के सचिव शिवकुमार किरमच ने मुख्यअतिथि डा. जयभगवान सिंगला तथा सदस्य नरेश सागवाल एवं धर्मपाल गुगलानी ने अन्य अतिथियों को पुष्पगुच्छ भेंटकर स्वागत किया। अतिथियों द्वारा दीप प्रज्जवलित कर नाट्य संध्या का शुभारम्भ किया गया। मंच का संचालन डॉ. मोहित गुप्ता द्वारा किया गया।
अलीबाबा और मरजीना की सूझबूझ से मिला डाकुओं से छुटकारा
—–
——-
ईनायत अख्तर द्वारा लिखित और विकास शर्मा द्वारा निर्देशित नाटक खुल जा सिम सिम में दिखाया गया कि अलीबाबा को उसका भाई कासिम घर से निकाल देता है। जिसके बाद अलीबाबा लकड़ियां काटकर घर का गुजारा करता है। एक दिन उसे डाकुओं के खजाने का पता लग जाता है, जिसमें से कुछ खजाना अलीबाबा ले लेता है। लेकिन उसके भाई कासिम को जब इस बारे में पता लगता है तो लालच में आकर वो भी खजाना लेने चला जाता है। लेकिन वहां डाकू उसे देख लेते हैं और मार डालते हैं। भाई के वापिस ना आने पर अलीबाबा उसे ढूंढने निकलता है तो गुफा में भाई की लाश देखकर दंग रह जाता है और लाश घर ले आता है। उधर जब डाकुओं को पता चलता है कि लाश गायब है तो वो उसे ढूंढने बगदाद शहर में आ जाते हैं। अंत में डाकुओं का सरदार भेष बदल कर अलीबाबा के घर उसे मारने पहुंचता हैं लेकिन अलीबाबा की बहन मरजीना की सूझ-बूझ से अलीबाबा डाकू को मारने में कामयाब हो जाता है। इस प्रकार बुराई पर अच्छाई की जीत को दिखाते हुए कलाकारों ने शानदार प्रस्तुति दी। एक ओर जहां नाटक के कलाकारों ने अपने अभिनय से लोगों को बांधे रखा, वहीं कलाकारों की वेशभूषा, अरेबियन संगीत तथा रुपसज्जा ने भी दर्शकों को अरब की याद दिलाई। नाटक में अलीबाबा का किरदार रित्विक अरोड़ा तथा अशफंदयार का किरदार देवेंद्र बीबीपुरिया ने निभाया। वहीं कासिम की भूमिका में सूर्यांश चावला, दिलशाद रचना अरोड़ा, फकीर कपिल बत्रा, हासिम कपिल सिंघल, नौबहार नव्या मेहता, मरजीना कंचन यादव, हरुन अक्की राय खुराना, असलम निखिल पारचा, हकीम चंचल शर्मा, मुस्तफा दर्जी हितेश शर्मा, हुस्ना कनिका शर्मा डाकू चंदन भारद्वाज, रोहित व प्रियांशु बंसल बने। प्रकाश व्यवस्था गौरव दीपक जांगड़ा ने सम्भाली तथा संगीत संचालन, रुपसज्जा व निर्देशन विकास शर्मा ने किया। अंत में अतिथियों ने सभी कलाकारों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया तथा न्यू उत्थान थियेटर ग्रुप के पदाधिकारियों ने अतिथियों को शॉल व उपहार भेंट किये। इस अवसर पर वरिष्ठ रंगकर्मी बृज शर्मा, रंगमंच व फिल्म कलाकार विरेंद्र आदि उपस्थित रहे।