नग्गल हलके से  4 बार विधायक बने, 5 वि.स. और 1 लो.स. चुनाव हारे  — हेमंत
अम्बाला –  हरियाणा  में  पहले बंसी लाल और फिर भजन लाल की दो  कांग्रेस सरकारों में मंत्री रह चुके और चार बार अंबाला जिले के तत्कालीन नग्गल हलके से विधायक बने चौधरी निर्मल सिंह, जिन्हें बीती रात ही अम्बाला शहर विधानसभा सीट से कांग्रेस पार्टी का उम्मीदवार घोषित किया गया, ने आज  15वी हरियाणा विधानसभा आम चुनाव में नामांकन के अंतिम दिन  इस हलके से अपना नामांकन भर दिया है.
बहरहाल, शहर निवासी हाईकोर्ट एडवोकेट एवं चुनावी‌ विश्लेषक हेमंत कुमार (9416887788) ने  बताया कि आज का  नामाकन निर्मल सिंह  के 42 वर्षो के राजनीतिक  जीवन का 11वां चुनावी नामांकन है. इससे पूर्व  वह हरियाणा विधानसभा के आम चुनाव में 9 बार चुनाव लड़ चुके हैं जिसमें से 4 बार जीत कर वह  विधायक बने जबकि उन्हें 5 बार पराजय का सामना करना पड़ा. इसके अलावा वह एक बार लोकसभा आम चुनाव में भी हार चुके हैं.
 आज से 5 वर्ष पूर्व अक्तूबर, 2019 में 14 वीं  हरियाणा विधानसभा आम चुनाव में कांग्रेस की टिकट न मिलने के कारण निर्मल सिंह ने अंबाला शहर‌  वि.स.  हलके से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव‌ लड़ा था जिसमें हालांकि वह भाजपा के असीम गोयल नन्योला से 8952 वोटों के अंतर से पराजित‌ हो गए थे  हालांकि निर्मल को‌ 55 हजार 944 वोट, जो 36.38 %  बनते थे, हासिल किए‌ थे. सनद रहे कि निर्मल  सिंह द्वारा निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर  चुनाव‌ लड़ने के कारण ही उस चुनाव में कांग्रेस के आधिकारिक प्रत्याशी‌ जसबीर मल्लौर केवल 20 हजार 91 वोट अर्थात 13.07 % वोट ही प्राप्त कर पाए थे एवं हरियाणा राज्य बनने के बाद  पहली बार कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार की अंबाला शहर‌ से जमानत  राशि जब्त हुई थी.

हेमंत ने आगे  बताया कि इसी वर्ष 5 जनवरी 2024 को‌ निर्मल सिंह और उनकी सुपुत्री चित्रा सरवारा, जो  अप्रैल, 2022  में  उनके द्वारा वर्ष 2019 में बनाये गये  हरियाणा डेमोक्रेटिक फ्रंट ( एच.डी.एफ.) से आम आदमी पार्टी (आप ) में शामिल हुए  थे एवं जिन्होंने   28 दिसंबर‌ 2023 को  आप पार्टी  से‌ भी त्यागपत्र दे दिया था  ने   कांग्रेस पार्टी में शामिल होकर एक प्रकार से  कांग्रेस पार्टी में  घर वापसी की थी.  सनद रहे कि चित्रा वर्ष 2013 से 2018 तक कांग्रेस पार्टी के समर्थन से  निर्वाचित होकर अम्बाला नगर निगम की निर्दलीय  निगम सदस्य (पार्षद) भी  रही थी और उसके बाद वह  अखिल भारतीय महिला कांग्रेस और विशेषकर उसके  सोशल मीडिया विभाग में वरिष्ठ पदाधिकारी भी रहीं.

हेमंत  ने चुनाव आयोग से प्राप्त आधिकारिक आंकड़ों के आधार पर बताया   कि निर्मल सिंह ने अपना सबसे पहला विधानसभा चुनाव 42 वर्ष पूर्व 1982 में हुए विधानसभा आम चुनावो में अम्बाला ज़िले के तत्कालीन नग्गल हलके से कांग्रेस पार्टी की टिकट पर जीता था. उस चुनाव में उन्होने देवी लाल की लोक दल पार्टी के उम्मीदवार के गुरपाल सिंह को 14 हजार वोटो के अंतर से हराया. उसके पांच वर्ष पश्चात 1987 में हुए अगले हरियाणा विधानसभा चुनावो में नग्गल में कांग्रेसी उम्मीदवार निर्मल सिंह को  निर्दलयी प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे हरमोहिंदर सिंह चट्ठा ने 11 हजार वोटो से हरा दिया था.

इसके बाद वर्ष 1991 विधानसभा चुनावो में निर्मल सिंह ने नग्गल से कांग्रेस पार्टी से चुनाव लड़ते हुए जनता पार्टी के गुरबक्श सिंह को 10 हजार वोटो से हरा दिया. हालांकि उसके बाद वर्ष 1996 विधानसभा चुनावो में कांग्रेस पार्टी से कुछ राजनीतिक और अन्य कारणों से टिकट न मिलने की वजह से निर्मल ने निर्दलयी उम्मीदवार के रूप से चुनाव लड़ते हुए तब हरियाणा विकास पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ने  वाले  जसबीर मल्लौर को 19  हजार वोटो से पराजित किया था परन्तु इसके बाद वर्ष 2000 के चुनावो में मल्लौर ने इनेलो पार्टी से  चुनाव लड़ते हुए कांग्रेसी निर्मल को 18 हजार वोटो के हराकर अपनी पिछली हार का बदला लिया था.  पांच वर्ष पश्चात समय ने फिर करवट ली और निर्मल ने मार्च, 2005 में हुए विधानसभा चुनावो में मल्लौर को 5482 वोटो से हरा दिया.

हेमंत ने  बताया कि वर्ष 2007-08 में हुए परिसीमन के बाद नग्गल हल्का समाप्त कर दिया गया एवं इसका क्षेत्र अम्बाला शहर और अम्बाला कैंट विधानसभा हल्कों में शामिल कर दिया गया जिसके बाद निर्मल सिंह ने अम्बाला कैंट से अपने अगले दो विधानसभा चुनाव लड़े.
अक्टूबर, 2009 में हुए विधानसभा चुनावो में भी भाजपा के अनिल विज ने निर्मल  को 6338 वोटो से हराया था. उस समय विज को 49 हज़ार 219 एवं निर्मल को 42 हज़ार 881 मत प्राप्त हुए थे.
अक्टूबर, 2014 में हुए विधानसभा आम चुनावो  में  विज  ने 66  हज़ार 605  वोट हासिल कर  निर्मल  को 15  हज़ार 462  वोटो के  अंतर से पराजित किया. निर्मल को 51  हज़ार 143  प्राप्त हुए.

हेमंत ने बताया कि 5 वर्ष पूर्व  मई 2019 को  17 वी  लोक सभा चुनावो में कुरुक्षेत्र लोक सभा हलके से निर्मल सिंह ने कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा था  परन्तु उन्हें नारायणगढ़ के तत्कालीन विधायक ओर  वर्तमान में  हरियाणा के मुख्यमंत्री  नायब सिंह सैनी ने 3 लाख 84 हज़ार 591 वोटो से पराजित कर दिया  था.
इस प्रकार निर्मल सिंह ने  आज तक अपने 42 वर्ष के राजनीतिक जीवन मे चार  विधानसभा‌ चुनाव जीते जबकि पांच  विधानसभा‌ और एक लोकसभा चुनाव  अर्थात कुल 6 चुनावों में  पराजित‌ हुए. अब उनके जीवन के 11वें चुनाव में क्या नतीजा निकलता है, यह अगले महीने 8 अक्टूबर को ही पता चल पायेगा.

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