हेमंत ने आगे बताया कि इसी वर्ष 5 जनवरी 2024 को निर्मल सिंह और उनकी सुपुत्री चित्रा सरवारा, जो अप्रैल, 2022 में उनके द्वारा वर्ष 2019 में बनाये गये हरियाणा डेमोक्रेटिक फ्रंट ( एच.डी.एफ.) से आम आदमी पार्टी (आप ) में शामिल हुए थे एवं जिन्होंने 28 दिसंबर 2023 को आप पार्टी से भी त्यागपत्र दे दिया था ने कांग्रेस पार्टी में शामिल होकर एक प्रकार से कांग्रेस पार्टी में घर वापसी की थी. सनद रहे कि चित्रा वर्ष 2013 से 2018 तक कांग्रेस पार्टी के समर्थन से निर्वाचित होकर अम्बाला नगर निगम की निर्दलीय निगम सदस्य (पार्षद) भी रही थी और उसके बाद वह अखिल भारतीय महिला कांग्रेस और विशेषकर उसके सोशल मीडिया विभाग में वरिष्ठ पदाधिकारी भी रहीं.
हेमंत ने चुनाव आयोग से प्राप्त आधिकारिक आंकड़ों के आधार पर बताया कि निर्मल सिंह ने अपना सबसे पहला विधानसभा चुनाव 42 वर्ष पूर्व 1982 में हुए विधानसभा आम चुनावो में अम्बाला ज़िले के तत्कालीन नग्गल हलके से कांग्रेस पार्टी की टिकट पर जीता था. उस चुनाव में उन्होने देवी लाल की लोक दल पार्टी के उम्मीदवार के गुरपाल सिंह को 14 हजार वोटो के अंतर से हराया. उसके पांच वर्ष पश्चात 1987 में हुए अगले हरियाणा विधानसभा चुनावो में नग्गल में कांग्रेसी उम्मीदवार निर्मल सिंह को निर्दलयी प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे हरमोहिंदर सिंह चट्ठा ने 11 हजार वोटो से हरा दिया था.
इसके बाद वर्ष 1991 विधानसभा चुनावो में निर्मल सिंह ने नग्गल से कांग्रेस पार्टी से चुनाव लड़ते हुए जनता पार्टी के गुरबक्श सिंह को 10 हजार वोटो से हरा दिया. हालांकि उसके बाद वर्ष 1996 विधानसभा चुनावो में कांग्रेस पार्टी से कुछ राजनीतिक और अन्य कारणों से टिकट न मिलने की वजह से निर्मल ने निर्दलयी उम्मीदवार के रूप से चुनाव लड़ते हुए तब हरियाणा विकास पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले जसबीर मल्लौर को 19 हजार वोटो से पराजित किया था परन्तु इसके बाद वर्ष 2000 के चुनावो में मल्लौर ने इनेलो पार्टी से चुनाव लड़ते हुए कांग्रेसी निर्मल को 18 हजार वोटो के हराकर अपनी पिछली हार का बदला लिया था. पांच वर्ष पश्चात समय ने फिर करवट ली और निर्मल ने मार्च, 2005 में हुए विधानसभा चुनावो में मल्लौर को 5482 वोटो से हरा दिया.
हेमंत ने बताया कि वर्ष 2007-08 में हुए परिसीमन के बाद नग्गल हल्का समाप्त कर दिया गया एवं इसका क्षेत्र अम्बाला शहर और अम्बाला कैंट विधानसभा हल्कों में शामिल कर दिया गया जिसके बाद निर्मल सिंह ने अम्बाला कैंट से अपने अगले दो विधानसभा चुनाव लड़े.
अक्टूबर, 2009 में हुए विधानसभा चुनावो में भी भाजपा के अनिल विज ने निर्मल को 6338 वोटो से हराया था. उस समय विज को 49 हज़ार 219 एवं निर्मल को 42 हज़ार 881 मत प्राप्त हुए थे.
अक्टूबर, 2014 में हुए विधानसभा आम चुनावो में विज ने 66 हज़ार 605 वोट हासिल कर निर्मल को 15 हज़ार 462 वोटो के अंतर से पराजित किया. निर्मल को 51 हज़ार 143 प्राप्त हुए.
हेमंत ने बताया कि 5 वर्ष पूर्व मई 2019 को 17 वी लोक सभा चुनावो में कुरुक्षेत्र लोक सभा हलके से निर्मल सिंह ने कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा था परन्तु उन्हें नारायणगढ़ के तत्कालीन विधायक ओर वर्तमान में हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने 3 लाख 84 हज़ार 591 वोटो से पराजित कर दिया था.
इस प्रकार निर्मल सिंह ने आज तक अपने 42 वर्ष के राजनीतिक जीवन मे चार विधानसभा चुनाव जीते जबकि पांच विधानसभा और एक लोकसभा चुनाव अर्थात कुल 6 चुनावों में पराजित हुए. अब उनके जीवन के 11वें चुनाव में क्या नतीजा निकलता है, यह अगले महीने 8 अक्टूबर को ही पता चल पायेगा.