बेटे की जुदाई में तड़पती मां का दर्द दिखा गया नाटक करमांवाली
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चण्डीगढ़ नाट्य उत्सव का हुआ भव्य आगाज, नाटक करमांवाली ने छोडी अनूठी छाप
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कुरुक्षेत्र 5 जुलाई। हिंदुस्तान-पाकिस्तान के बंटवारे की याद आज भी हर उस व्यक्ति की आंखे भिगो देती हैं, जिसने इस त्रासदी को सहा है। एक देश को केवल एक लकीर के माध्यम से दो देशों में बांट देने से न केवल धरती का बंटवारा हुआ, बल्कि लोगों का बंटवारा हो गया। जिसमें असंख्य लोगों को अपना घर छोडने पर मजबूर होना पड़ा। ऐसे में कलाकार जब उस त्रासदी को अपने अभिनय के माध्यम से मंच पर उतारते हैं तो देखने वालों की आंखे भीग जाती है। दिल सहर उठता है। यही कुछ देखने को मिला कला कीर्ति भवन की भरतमुनि रंगशाला में। हरियाणा कला परिषद और चण्डीगढ़ संगीत नाटक अकादमी के संयुक्त सहयोग से 4 जुलाई से तीन दिवसीय चण्डीगढ़ नाट्य उत्सव प्रारम्भ हुआ। जिसके पहले दिन कश्मीरी लाल जाकिर के लेखन से सजा और हीरा सिंह के निर्देशन में भारत-पाकिस्तान बंटवारे की टीस को दर्शाता नाटक करमांवाली का खूबसूरत मंचन किया गया। मंथन आर्टस एण्ड थियेटर सोसायटी चण्डीगढ़ के कलाकारों द्वारा प्रस्तुत नाटक का प्रदर्शन इतना दमदार था कि नाटक खत्म होने पर दर्शकों ने नम आंखो से खड़े होकर तालियां बजाते हुए कलाकारों की हौंसला अफजाई की।
इस अवसर पर हरियाणा संस्कृत अकादमी के निदेशक डा. सी.डी.एस. कौशल बतौर मुख्यअतिथि उपस्थित रहे। इनके साथ चण्डीगढ़ संगीत नाटक अकादमी के उपाध्यक्ष विक्रांत सेठ और सुप्रसिद्ध सांरगी वादक विनोद पंवार ने भी कार्यक्रम में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। कार्यक्रम से पूर्व हरियाणा कला परिषद के निदेशक नागेंद्र शर्मा ने पुष्पगुच्छ भेंटकर अतिथियों का स्वागत किया। चण्डीगढ़ नाट्य उत्सव के संदर्भ में बताते हुए नागेंद्र शर्मा ने कहा कि सांस्कृतिक आदान-प्रदान श्रृंखला के अंतर्गत चण्डीगढ़ संगीत नाटक अकादमी के सहयोग से जून माह में हरियाणा के कलाकारों द्वारा टैगोर थियेटर चण्डीगढ़ में हरियाणवी संगीत एव नृत्य उत्सव का आयोजन किया गया था। जिसे जारी रखते हुए तीन दिवसीय चण्डीगढ़ नाट्य उत्सव का आयोजन कला कीर्ति भवन में किया गया है।
नाटक करमांवाली फैजा और उसकी पत्नी करमांवाली की व्यथा को दर्शाता है। बंटवारे के कारण पंजाब के एक गांव से फैजा और उसकी पत्नी करमांवाली पाकिस्तान के लिए रवाना हो जाता है। करमांवाली का एक बेटा है खुशिया, जिसे करमो अपने भाई-भाभी के पास छोड़ देती है। पंजाब छोडने के बाद फैजा और करमों एक कैम्प में शरण लेते हैं। जहां उनकी मुलाकात अकबर और उसकी पत्नी नूरी से होती है। अपने बेटे से दूर करमों जिंदगी काट रही होती है लेकिन एक दिन उसे कैम्प में अपने भाई-भाभी मिलते हैं। उनसे अपने बेटे खुशिया के बारे में पूछने पर करमो को पता चलता है कि पंजाब छोडते समय उनका बेटा बिछड़ गया। करमो और फैजा के ऊपर जैसे पहाड़ टूट पड़ता है। अकबर और नूरी दोनों को सम्भालते हैं। उधर खुशिया एक सिक्ख परिवार को मिलता है और सिक्ख परिवार खुशिया को पालते हैं। एक दिन नूरी और अकबर भी दुनिया को अलविदा कह देते है। बेटे के गम में परेशान फैजा की भी मौत हो जाती और करमो अकेली पड़ जाती है। धीरे-धीरे समय बीतता है और खुशिया बड़ा हो जाता है। सिक्ख परिवार खुशिया की शादी कर देते हैं। खुशिया के जहन में अक्सर अपनी मां का नाम गूंजता रहता है। खुशिया कैम्प में अपनी मां को चिट्ठी लिखता है और करमांवाली अपने बेटे को देखने पंजाब आ जाती है। दोनों मां बेटा फिर से मिलते है लेकिन हिंदुस्तानी और पाकिस्तानी होने के कारण दोनों को फिर से बिछड़ना पड़ता है। इस तरह बहुत ही मार्मिक ढंग से प्रस्तुत किए गए नाटक ने सभी को भावुक कर दिया। एक घण्टा चालीस मिनट की अवधि के नाटक ने अंत तक लोगों को बांधे रखा। अंत में मुख्यअतिथि ने सभी कलाकारों को सम्मानित किया तथा अपने सम्बोंधन में बंटवारे की त्रासदी से ग्रस्त लोगों के प्रति अपनी संवेदनाएं भी प्रकट की। हरियाणा कला परिषद की ओर से नागेंद्र शर्मा ने अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया।

बॉक्स में
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चण्डीगढ़ नाट्य उत्सव में नाटक मिस मरियम का मंचन आज
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हरियाणा कला परिषद और चण्डीगढ़ संगीत नाटक अकादमी के संयुक्त सहयोग से 4 जुलाई से 06 जुलाई तक आयोजित तीन दिवसीय चण्डीगढ़ नाट्य उत्सव में आज गुरतेज सिंह के लेखन और निर्देशन में नाटक मिस मरियम का मंचन किया जाएगा। कार्यक्रम का समय सायं 7 बजे रहेगा।

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