पहली बार लोकसभा सांसद निर्वाचित हुए कांग्रेस के वरूण चौधरी को हालांकि बनाया जा सकता है किसी संसदीय समिति का सदस्य
इससे पूर्व जनसंघ-भाजपा के सूरज भान को 3 बार, कांग्रेस के राम प्रकाश और बसपा के अमन नागरा को बनना पड़ा था विपक्षी सांसद
अंबाला – – – 9 जून रविवार को नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन – राजग) सरकार, जिसे मोदी सरकार 3.0 कहा जा रहा है, की शपथग्रहण में हालांकि हरियाणा से 3 मंत्री शामिल किए गए जिनमें कैबिनेट मंत्री के तौर पर पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, केन्द्रीय राज्य मंत्री ( स्वतंत्र प्रभार) के तौर पर राव इंद्रजीत सिंह और केंद्रीय राज्यमंत्री के तौर पर कृष्ण पावर गुज्जर हैं.
बहरहाल मोदी सरकार 3.0 में भागीदारी से अंबाला (अनुसूचित जाति – एससी आरक्षित) लोकसभा हलका वंचित रहेगा चूंकि इस बार इस सीट से कांग्रेस पार्टी से 44 वर्षीय वरूण चौधरी ( मुलाना) निर्वाचित होकर लोकसभा सांसद बने हैं.
कांग्रेसी वरूण ने भाजपा की प्रत्याशी बंतो देवी कटारिया, जिनके चुनाव प्रचार में गत माह 18 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं अंबाला शहर में आए थे, को हालांकि लाखों मतों के मार्जिन से नहीं बल्कि 49 हजार 36 वोटों के अंतर से पराजित किया है.
18 वीं लोकसभा आम चुनाव में हुए मतदान की मतगणना के नतीजों में अंबाला (लोकसभा सीट से पूरे 15 वर्षों के बाद कांग्रेस पार्टी की जीत हुई है. इससे पूर्व वर्ष 2009 में
अंबाला लोस सीट से कांग्रेस की कुमारी सैलजा सांसद बनी थी.
इसी बीच शहर निवासी पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में एडवोकेट और चुनावी विश्लेषक हेमंत कुमार ( 9416887788) ने बताया कि
वरूण अक्टूबर, 2019 से अंबाला जिले के मुलाना विधानसभा हलके से कांग्रेस पार्टी के विधायक हैं. वह वर्तमान 14 वीं हरियाणा विधानसभा की सबसे महत्वपूर्ण पब्लिक अकाऊंट कमेटी – पीएससी ( लोक लेखा समिति) के चेयरमैन भी है. चूंकि विधायक रहते हुए वरूण लोकसभा सांसद निर्वाचित हुए हैं, इसलिए भारत के संविधान के अनुच्छेद 101 के अंतर्गत केन्द्र सरकार द्वारा बनाए गए
दोहरी सदस्यता निषेध नियम, 1950 के अंतर्गत वरूण को उनकी निर्वाचन नोटिफिकेशन प्रकाशित होने के 14 दिनों के भीतर अर्थात आगामी 20 जून तक हरियाणा विधानसभा की सदस्यता अर्थात विधायक पद से त्यागपत्र देना होगा. अब चूंकि हरियाणा विधानसभा के अगले आम चुनाव इसी वर्ष अक्तूबर, 2024 में निर्धारित हैं, इसलिए रिक्त होने वाली मुलाना विधानसभा सीट पर उपचुनाव भी नहीं होगा.
हेमंत ने बताया कि वर्ष 1952 के बाद अर्थात 72 वर्षों में ऐसा 6 वीं
बार होगा कि अंबाला लोकसभा सीट से निर्वाचित सांसद भारतीय संसद में विपक्षी बेंचो पर बैठेगा. अंबाला से
इस बार पहली बार निर्वाचित कांग्रेस के वरूण चौधरी को हालांकि लोकसभा स्पीकर द्वारा किसी संसदीय समिति का सदस्य अवश्य बनाया जा सकता है.
उन्होंने आगे बताया कि गत पांच लोकसभा आम चुनावों ( वर्ष 1999 से 2019 तक ) में अम्बाला लोकसभा सीट से निर्वाचित सांसद की ही पार्टी की केंद्र में सरकार बनी.
वर्ष 1999 में जब भाजपा से रतन लाल कटारिया पहली बार अम्बाला से लोकसभा सांसद बने तब केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में भाजपा की अगुवाई में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन- राजग (एनडीए) की दूसरी सरकार बनी थी.
इसी प्रकार वर्ष 2004 और 2009 में लगातार दो बार कांग्रेस से कुमारी सैलजा अम्बाला सीट से सांसद बनी, तब केंद्र में डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व में यूपीए गठबंधन – प्रथम एवं द्वितीय सत्तासीन रहा. सैलजा 10 वर्षों तक केंद्र सरकार में मंत्री भी रही थी.
उसके बाद वर्ष 2014 और 2019 में जब रतन लाल कटारिया निरंतर दो बार अम्बाला से पुन: सांसद बने, तो केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार सत्ता में आई. कटारिया मई, 2019 से जुलाई, 2021 तक अर्थात 2 वर्षों तक
दूसरी मोदी सरकार में केन्द्रीय राज्यमंत्री भी रहे थे.
हेमंत ने बताया कि गत 72 वर्षो में अर्थात वर्ष 1952 अर्थात देश में पहले हुए लोकसभा आम चुनाव से मई,2019 तक अर्थात 17वी लोकसभा आम चुनाव तक केवल 5 बार ऐसा हुआ जब अम्बाला लोकसभा सीट से उस राजनीतिक पार्टी का सांसद निर्वाचित हुआ जिसकी पार्टी की केंद्र में सरकार नहीं बन पाई थी.
सर्वप्रथम वर्ष 1967 में जब चौथी लोकसभा आम चुनाव हुए, तब अम्बाला लोकसभा सीट से भारतीय जन संघ के उम्मीदवार सूरज भान ने कांग्रेस पार्टी की प्रत्याशी पी.वती. को करीब नौ हज़ार वोटों के अंतर से हराकर पहली बार इस सीट से सांसद निर्वाचित हुए थे. तब लोकसभा आम चुनाव के बाद देश में हालांकि इंदिरा गाँधी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी की सरकार बनी थी.
उसके बाद वर्ष 1980 में सातवीं लोकसभा आम चुनाव में भी अम्बाला संसदीय सीट से जनता पार्टी के उम्मीदवार सूरज भान ने कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी सोमनाथ. को करीब दो हज़ार वोटों के अंतर से हराकर दूसरी बार इस सीट से सांसद निर्वाचित हुए थे. उस समय भी केंद्र में इंदिरा गाँधी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी की सरकार ही बनी थी.
तत्पश्चात वर्ष 1989 में नौवीं लोकसभा आम चुनाव अम्बाला लोकसभा सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार राम प्रकाश ने भाजपा के सूरज भान को करीब 23 हज़ार वोटों के अंतर से हराकर तीसरी बार इस सीट से सांसद निर्वाचित हुए थे. उस समय भी केंद्र में वीपी सिंह के नेतृत्व में राष्ट्रीय मोर्चा-वाम मोर्चा की सरकार बनी थी जिसे भाजपा के बाहर से समर्थन दिया था.
हेमंत ने आगे बताया कि चौथी बार वर्ष 1996 लोकसभा आम चुनाव में जब अम्बाला सीट से भाजपा के सूरज भान कांग्रेस के शेर सिंह को 87 हजार वोटों से हराकर चौथी बार सांसद निर्वाचित हुए तो वैसे तो केंद्र में अटल बिहार वाजपेयी के नेतृत्व में केंद्र में पहली बार भाजपा सत्ता में आई परन्तु वह सरकार केवल 13 दिन ही चल पाई थी एवं जून,1996 में पहले एच.डी. देवगौड़ा और फिर अप्रैल, 1997 में आई.के. गुजराल के नेतृत्व में संयुक्त मोर्चा की सरकार केंद्र में बनी.
पांचवी बार वर्ष 1998 में हुए बारहवीं लोकसभा आम चुनाव में बसपा के अमन कुमार नागरा भाजपा के सूरज भान को मात्र 2864 वोटो से पराजित कर पहली बार अम्बाला लोकसभा सीट सांसद बने थे हालांकि उस समय केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में और भाजपा की अगुवाई में पहली राजग (एनडीए) सरकार बनी थी जो केवल 13 महीने ही चल सकी थी.