2014 में  वरूण को पहले  चुनाव में मिली हार, 2019 में हुए निर्वाचित
 
बंतो  कटारिया और वरूण चौधरी दोनों लड़ रहे अपना पहला लोकसभा चुनाव 
अम्बाला-  अंतत: एक माह से ऊपर के लम्बे अंतराल के पश्चात हरियाणा की 9 में से 8 लोकसभा सीटों ( कुरुक्षेत्र लोस सीट आप के लिए छोड़ी गई है ) के लिए कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवारों की आधिकारिक घोषणा अर्थात सूची जारी कर दी गई है जबकि गुडगाँव सीट के कांग्रेस प्रत्याशी का नाम फिलहाल तय होना लंबित है.
बहरहाल,  जैसी कि अम्बाला (अनुसूचित जाति आरक्षित) सीट से प्रबल सम्भावना जताई जा रही थी, उसी के अनुरूप कांग्रेस  द्वारा जिले के मुलाना (आरक्षित) हलके से मौजूदा पार्टी  विधायक वरुण चौधरी  को लोकसभा चुनाव में कांग्रेस  उम्मीदवार बनाया गया है. वरुण  हरियाणा सरकार में कई बार मंत्री रह चुके और मुलाना हलके से कुल चार बार विधायक निर्वाचित हो  चुके फूल चंद मुलाना के सुपुत्र है. ताज़ा चुनाव  वरुण का सांसद   पद  के  लिए
पहला चुनाव होगा.
 शहर निवासी हाई कोर्ट एडवोकेट एवं चुनावी विश्लेषक  हेमंत कुमार (9416887788) ने बताया कि वरुण चोधरी,, ने उनके जीवन का पहला चुनाव आज से करीब 10 वर्ष पूर्व अक्टूबर,2014 में कांग्रेस के प्रत्याशी  के तौर पर मुलाना विधानसभा हलके से ही लड़ा था  जिसमें वह न केवल भाजपा उम्मीदवार संतोष चौहान सारवान से  6 हजार वोटों के अंतर से  हार गये थे बल्कि  चार सौ वोटों से पिछड़ने के कारण इनेलो के राजबीर सिंह के बाद चुनाव में तीसरे स्थान पर थे. हालांकि अक्तूबर, 2019 में राजबीर, जो तब भाजपा से चुनाव लड़े‌ थे, को कांग्रेस से दोबारा चुनाव लड़ रहे वरूण ने 1688 वोटों से पराजित किया और पहली बार विधायक बने.
वही जहाँ तक अम्बाला लोकसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार का विषय है, तो  गत माह 13 मार्च  पार्टी द्वारा   इस सीट से कुल तीन बार सांसद निर्वाचित हुए  रतन लाल कटारिया, जिनका गत वर्ष मई, 2023 में निधन हो गया था, की पत्नी बंतो कटारिया को टिकट देने की घोषणा की गई एवं उन्होंने बीते एक माह में हलके के कई क्षेत्रों में घूमकर अपना प्रचार कार्य का पहला राउंड भी पूर्ण कर लिया है.
कहा जाता है कि बीता हुआ समय एक बार फिर से लौटकर आता है. हालांकि कई बार  कहानी के पात्र बदल जाते हैं. इसी कड़ी में  अम्बाला लोकसभा सीट  पर इस बार एक रोचक चुनावी मुकाबला देखने को मिलेगा.
 हेमंत ने एक रोचक पॉइंट उठाते हुए बताया कि आज से  करीब 25 वर्ष  पूर्व सितम्बर-अक्टूबर, 1999 में जब  13 वी लोकसभा के गठन के लिए आम चुनाव हुए थे तब अम्बाला लोकसभा सीट से भाजपा के उम्मीदवार के तौर पर बंतो कटारिया के पति दिवंगत रतन लाल कटारिया ने उनके राजनीतिक जीवन में लोकसभा सांसद के लिए पहला चुनाव लड़ा था जबकि उनके विरूद्ध  कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर वरुण के पिता फूल चंद मुलाना चुनावी मैदान में थे. उस चुनाव में रतन लाल कटारिया ने फूल चंद मुलाना को 1 लाख 24 हज़ार 478 वोटों के अंतर से हराया था. उस चुनाव में कटारिया को 3 लाख 57 हज़ार जबकि मुलाना को 2 लाख 33 हज़ार वोट प्राप्त हुए थे. उस चुनाव में कुल 8 उम्मीदवार मैदान में थे एवं कटारिया और मुलाना को छोड़ शेष सभी 6 की ज़मानत राशी जब्त हो गयी थी. उस समय मतदान में नोटा का विकल्प नहीं होता था.
कटारिया उसके बाद हालांकि अम्बाला लोकसभा सीट से लगातार दो चुनाव वर्ष 2004 और वर्ष 2009 में कांग्रेस की वरिष्ठ नेत्री और पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी शैलजा से पराजित हुए परन्तु  उसके बाद कटारिया ने लगातार दो लोकसभा चुनाव जीते पहले वर्ष 2014 में कांग्रेस के राज कुमार बाल्मीकि को हराया और फिर वर्ष 2019 में कांग्रेस की कुमारी शैलजा को करीब साढ़े तीन लाख  वोटों के अंतर से पराजित कर अपनी पिछली दो निरंतर पराजय का बदला लिया.
इस प्रकार कटारिया वर्ष  1999 से 2019 के बीच अम्बाला लोकसभा सीट से कुल 5 बार चुनावी मैदान में उतरे जिसमें से वो तीन बार विजयी  हुए जबकि दो बार पराजित हुए.
अंततः हेमंत ने बताया कि इस बार फूल चंद मुलाना के सुपुत्र 44 वर्षीय वरुण मुलाना,  के पास उनके विरूद्ध भाजपा से चुनाव लड़ रही दिवंगत रतन लाल कटारिया की पत्नी बंतो कटारिया से अपने  (अर्थात वरुण के ) पिता फूल चंद  मुलाना की करीब 25 वर्ष पूर्व अम्बाला लोकसभा सीट से हुई पराजय का बदला लेने का अवसर है. अब वह उसमें कामयाब होते हैं  यह तो 4 जून 2024 मतगणना के दिन की देर शाम को ही पता चल पायेगा.

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