जीओ गीता परिवार के मासिक सत्संग का आयोजन
कुरुक्षेत्र, 19 मार्च : महामंडलेश्वर गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज के सान्निध्य में कार्य कर रही जीओ गीता श्री कृष्ण कृपा परिवार द्वारा चलाए जा रहे मासिक सत्संग-संकीर्तनों की श्रृंखला में मार्च मास का सत्संग-संकीर्तन सुशील राणा द्वारा सेक्टर 5 की मार्कीट में आयोजित करवाया गया। जीओ गीता संकीर्तन में गीता मनीषी स्वामी ज्ञाननंद महाराज विशेष रूप से उपस्थित हुए और गीता प्रवचनों के माध्यम से श्रद्धालुओं को सराबोर किया। विप्रजनों द्वारा जीओ गीता मासिक सत्संग के आयोजक सुशील राणा एवं उनके परिवार को पूरे विधि-विधान से पूजा-अर्चना करवाने के उपरांत संकीर्तन का शुभारंभ गीता स्कूल के पूर्व प्रिंसिपल रतन चंद सरदाना, सरस्वती धरोहर बोर्ड के चेयरमैन धुम्मन सिंह किरमिच, 48 कोस तीर्थ कमेटी के चेयरमैन मदन मोहन छाबड़ा, पूर्व विधायक डा. पवन सैनी एवं नगर परिषद की पूर्व चेयरपर्सन उमा सुधा ने दीप प्रज्वलन करके किया। जीओ गीता के संकीर्तन प्रमुख सुनील वत्स द्वारा गणपति वंदना एवं महामंत्र ओम नमो भगवते वासुदेवाय की मधुर धुन से संकीर्तन प्रारंभ करने के साथ संकीर्तन में उपस्थित अनेक रसिकजनों ने ठाकुर श्री श्री कृपा बिहारी लाल जी की वंदना में एक के बाद एक सुंदर भजन प्रस्तुत कर संकीर्तन के वातावरण को कृष्णमय बना दिया। जीओ गीता के मार्च माह के सत्संग के खचाखच भरे पंडाल में उपस्थित हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने कहा कि गीता जहां एक ओर आपसी सद्भावना व भाईचारे का संदेश देती है वहीं दूसरी ओर अपने अधिकारों के लिए दृढ़ता के साथ खड़े होने की भी प्रेरणा देती है। उन्होंने कहा कि महाभारत युद्ध अथवा किसी भी युद्ध में अर्जुन कभी किसी से नहीं हारा। जो अर्जुन कभी किसी से नहीं हारा, वह महाभारत युद्ध के प्रारंभ होने से कुछ क्षण पहले स्वयं से हार गया। युद्ध आरंभ होने से पूर्व अर्जुन के मन में उसके अपनों के प्रति आसक्ति आ गई। गीता मनीषी ने कहा कि महाभारत युद्ध के समय जब दोनों सेनाएं आमने-सामने आ गई तो भगवान ने आसक्ति से ग्रस्त, रथ पर सवार अर्जुन को युद्ध क्षेत्र में दोनों सेनाओं के बीचो-बीच लाकर खड़ा कर दिया। अर्जुन को माध्यम बनाकर भगवान श्री कृष्ण ने पूरे विश्व को गीता का संदेश देते हुए आसक्ति से बाहर आने कीअद्भुत शिक्षा दी। गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज के प्रवचनों के उपरांत जीओ गीता संकीर्तन में फूलों की होली भी खेली गई। रसिकजनों द्वारा गाए गए होली के भजनों पर संकीर्तन में उपस्थित भारी संख्या में श्रद्धालु जमकर थिरके और युगल सरकार के समक्ष खूब नृत्य किया। जीओ गीता की ओर से गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने सत्संग-संकीर्तन के आयोजक राणा परिवार को स्मृति चिन्ह के रूप में भगवान श्री कृष्ण की दिव्य वाणी श्रीमद्भगवद्गीता भेंट की। जीओ गीता संकीर्तन में मंच संचालन का कार्य डा. बलवंत वत्स ने बखूबी निभाया। इस अवसर पर मंगतराम जिंदल, विजय नरूला, अशोक अरोड़ा, पवन भारद्वाज, सुरेश गुप्ता, रणदीप पटवारी, गजेंद्र सिसोदिया, दर्शन गुलाटी, जानेश्वर, धर्मपाल शर्मा, रविंद्र कुमार, विजय बवेजा, दीपक आहूजा, जोगिंदर शर्मा, साहब सिंह, नवीन भारद्वाज, तरुण कुमार एवं भारत भारद्वाज सहित भारी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।
19 जीओ गीता 01 : राणा परिवार को श्रीमद्भगवद्गीता भेंट करते गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज।
19 जीओ गीता 02 : संकीर्तन में नाचते श्रद्धालु।