अकादमी मर्ज का बहाना कब तक चलेगाक्या अकादमी नहीं कर पा रही सही से कार्य?  राज्य के मुख्यमंत्री जिस संस्था के अध्यक्ष हो वही संस्था अगर सही से काम न करें तो बाकी संस्थाओं की स्थिति का अंदाज़ा आप लगा सकते है।

ऋषि प्रकाश कौशिकगुरुग्राम

चंडीगढ़: साहित्य किसी भी देश और समाज का दर्पण होता है। इस दर्पण को साफ़सुथरा रखने का काम करती है वहां की साहित्य अकादमियां। लेकिन सोचिये क्या होगा? जब देश या राज्य का आईना सही से काम न कर रहा हो तो वहां की सरकार पर प्रश्न उठना स्वाभाविक है। जी हाँ, ऐसा ही कुछ हो रहा है देश की राजधानी दिल्ली से सटे हिंदी प्रदेश हरियाणा में। यहाँ की हिंदी साहित्य अकादमी के अध्यक्ष है राज्य के मुख्यमंत्री मनोहर लाल। मुख्यमंत्री  जिस संस्था के अध्यक्ष हो वही संस्था अगर सही से काम न करें तो बाकी संस्थाओं की स्थिति का अंदाज़ा आप लगा सकते है।

हरियाणा हिंदी साहित्य अकादमी के वार्षिक पुरस्कारों की घोषणा जिसका राज्य के साहित्यकार बेसब्री से इंतज़ार करते हैके वर्ष 2022 के परिणाम अभी 2024 में भी जारी नहीं हुए है। इससे आप अंदाज़ा लगा सकते है कि समाज को आईना दिखाने वाले किस क़द्र सोये पड़े है। हरियाणा हिंदी साहित्य अकादमी हर वर्ष 12 से अधिक साहित्यिक पुरस्कार जिसमें एक लाख से सात लाख तक की पुरस्कार राशि दी जाती है और श्रेष्ठ कृति के अंतर्गत पद्रह सौलह विधाओं में 31 -31 हज़ार रुपये की राशि सम्मान स्वरुप प्रदान करती है। इन पुरस्कारों के अलावा वर्ष भर की श्रेष्ठ पांडुलिपियों को चयनित कर उन्हें प्रकाशन अनुदान प्रदान करती है। लेकिन हरियाणा में सरकारी भर्तियों की तरह ये भी बड़ा दुखद है कि जो परिणाम अगस्त में घोषित होने थे; वो अगले साल कि जनवरी बीत जाने के बाद भी नहीं घोषित किये गए न ही साल 2023 का प्रपत्र जारी किया गया जिसमें आने वाले साल के लिए साहित्यकारों को आवेदन करना होता है; आखिर क्यों ?

इस बारे राज्य के मुख्य सचिव कार्यालय में बात हुई तो उन्होंने बताया की ये स्थिति अकादमी के उपाध्यक्ष ही स्पष्ट कर सकते है। जब उपाध्यक्ष डॉ. कुलदीप अग्निहोत्री जी से बात हुई तो उन्होंने बताया कि अभी काम चल रहा है; मैं आपको समय नहीं बता सकता। अकादमी के प्रपत्र अनुसार असिस्टेंट मनीषा से बात हुई तो उन्होंने खुद को छुट्टी पर बताया। उनकी जगह कार्यभार लिए मुकेश असिस्टेंट ने बताया कि उन्हें चार्ज अब मिला है मनीषा जी ही आकर देखेगी। सोचिये क्या ऐसे गोल मटोल जवाबों से काम चलेगा। आखिर कब तक राज्य के आईने पर धूल जमी रहेगी इसका जवाब अब राज्य के मुख्यमंत्री साहब ही दे सकते है।

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