Month: January 2024

राज्य स्तरीय महिला पुरस्कारों के लिए 15 जनवरी तक जमा करवा सकते है आवेदन

कुरुक्षेत्र 9 जनवरी हरियाणा महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से विभिन्न क्षेत्रों में विशेष उपलब्धियां प्राप्त करने वाली महिलाओं से राज्य स्तरीय महिला पुरस्कार के लिए आवेदन आमंत्रित…

विकसित भारत संकल्प यात्रा क्षेत्र के साथ-साथ लोगों का भी कर रही है विकास : संदीप

यात्रा के माध्यम से सभी पंचायतों को किया जा रहा है, 22 जनवरी से पहले तक चलेगा विकसित भारत संकल्प यात्रा का सफर पिहोवा 9 जनवरी – हरियाणा के मुद्रण…

पन्नू को जल्द से जल्द विदेश से गिरफ्तार कर भारत लाया जाया : दीपक शांडिल्य

आज एंटी टेरोंरिस्ट फ्रंट के प्रवक्ता एवं जम्मू कश्मीर के प्रभारी व जन सेवा संघ के प्रधान दीपक शांडिल्य ने कहा है की 22 जनवरी को अयोध्या में श्री राम…

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस पर हवन कार्यक्रम का होगा आयोजन

कुरुक्षेत्र, 9 जनवरी।  कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस पर गुरुवार को युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग द्वारा हवन कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग के निदेशक प्रो.…

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के विधि संकाय के 18 विद्यार्थी हरियाणा में सहायक जिला न्यायवादी हुए चयनित

कुरुक्षेत्र, 9 जनवरी। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के विधि संकाय के 18 विद्यार्थियों का हरियाणा में सहायक जिला न्यायवादी के चयनित होने पर विधि संकाय सहित विश्वविद्यालय प्रांगण में खुशी का माहौल…

भारतीय वायु सेना अग्निपथ योजना के लिए 17 जनवरी से शुरू होगी भर्ती प्रक्रिया

कुरुक्षेत्र 9 जनवरी एयरमैन सिलेक्शन सेंटर के कमांडिंग आफिसर विंग कमांडर एसवीजी रेड्डी ने कहा कि भारतीय वायुसेना अग्निपथ योजना के तहत अग्निवीर वायु प्रवेश के लिए चयन परीक्षा हेतू…

हरियाणा की बास्केटबॉल टीम ने पंजाब को हराकर शुरू किया विजय अभियान

34वें अखिल भारतीय डाक बास्केटबॉल प्रतियोगिता के दूसरे दिन 6 टीमों ने लिया भाग, हरियाणा की टीम ने लगातार जीते 2 मैच, फाइनल मुकाबला होगा 11 जनवरी को कुरुक्षेत्र 9…

अतिरिक्त उपायुक्त अपराजिता ने ब्लैक स्पॉट, रोड सेफ्टी ऑडिट, ऑटोमेटिक चालक लाइसेंस सेंटर स्थापित करने बारे, स्कूल वाहन पॉलिसी के साथ-साथ अन्य बिंदुओं बारे समीक्षा करते हुए आवश्यक दिशा-निर्देश दिये

अम्बाला, 09 जनवरी: – अतिरिक्त उपायुक्त अपराजिता ने मंगलवार को एनआईसी कार्यालय के कॉन्फ्रेंस हाल में सडक़ सुरक्षा समिति के तहत सम्बन्धित अधिकारियों की एक बैठक लेते हुए ब्लैक स्पॉट,…

विकसित भारत संकल्प जन संवाद यात्रा अम्बाला प्रम ब्लॉक के तहत गांव फड़ौली,  कोटकछुआ कलां, मिर्जापुर-धुराली व औजलां पहुंची।

अम्बाला, 9 जनवरी विकसित भारत संकल्प जन संवाद यात्रा मंगलवार को अम्बाला प्रथम ब्लॉक के तहत गांव फड़ौली,  कोटकछुआ कलां, मिर्जापुर-धुराली व औजलां पहुंची। यहां पहुंचने पर ग्रामीणों ने विकसित…

बच्चे मिट्टी के घड़े, अभिभावक कुम्हार। जैसा चाहो वो बने, दे दो जो आकार।। बालमन कच्ची मिट्टी के समान, जैसा आकार देंगे, वैसा बन जाएंगे। बच्चे कच्ची मिट्टी के समान होते हैं। उन्हें जैसा आकार दो वे वैसा ढल जाते हैं। उनके मन में आर्थिक रूप से कमजोर या अन्य धर्म या जाति के विद्यार्थियों के लिए कोई भेदभाव नहीं होता। वे अपने आसपास के माहौल से ही सीखते हैं। जैसा व्यवहार उन्हें अपने आसपास मिलता है वे वैसा ही व्यवहार करने लगते हैं। घर और स्कूल दोनों ही मिलकर बच्चों को अच्छे संस्कार देने का ठान लें तो कुछ भी मुश्किल नहीं। बच्चों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दी जाना भी जरूरी है। वह दिन दूर नहीं है जब हमारे बच्चे, एक श्रेष्ठ मानव के साथ-साथ एक श्रेष्ठ पंडित ,ज्योतिषी तो बनेंगे ही साथ ही एक अच्छा डॉक्टर, इंजीनियर, वकील,प्रोफेसर ,उद्योगपति ,एक अच्छा किसान ,सभी में इन्हें महारत हासिल होगी। । -डॉ सत्यवान सौरभ बालमन… कुम्हार की उस कच्ची मिट्टी की तरह होता है, जिसे आप, जैसा बनाना चाहे, वह वैसा ही बन जाएगी। उसी प्रकार, हम बच्चों के मन में, जैसे संस्कार, जैसे विचार डालेंगे, बच्चे भी वैसा ही रूप ले लेंगे। जिस तरह कुम्हार गीली मिट्टी को अपनी कला से एक आकार देकर किसी उपयोगी पात्र में बदल देता है, उसी तरह बालक भी एक गीली मिट्टी के समान होता है, जिसे उसके आसपास का वातावरण रूपी कुम्हार सही आकार देकर एक उचित्र पात्र में बदल देता है। इसीलिए बालक के आसपास का वातावरण कैसा भी हो उसके विकास का उस पर गहरा प्रभाव पड़ता है। और वह दिन दूर नहीं है जब हमारे बच्चे, एक श्रेष्ठ मानव के साथ-साथ एक श्रेष्ठ पंडित ,ज्योतिषी तो बनेंगे ही साथ ही एक अच्छा डॉक्टर, इंजीनियर वकील, प्रोफेसर, उद्योगपति, एक अच्छा किसान, सभी में इन्हें महारत हासिल होगी। बच्चों को जैसी परवरिश और शिक्षा देना चाहते हैं। वैसा ही आचरण माता-पिता को रखना चाहिए। बच्चे जो देखते-सुनते हैं वही उनके स्वभाव में आता है। इसलिए बच्चों के सामने जो भी कहें वो हमेशा सोच-समझकर कहें। जो आप कर रहे हैं, कह रहे हैं, उसे करने से बच्चों को यह कह कर नहीं रोक सकते कि ‘हम बड़े हैं, तुम बच्चे हो।’ यह अपने आप में एक और ग़लत धारणा बच्चों के मन में बैठाने की बात होगी क्योंकि जो नैतिक रूप से ग़लत है, वो हर उम्र के इंसान के लिए ग़लत है। किसी व्यक्ति की समाज के प्रति राय उसके बचपन से तय होती है। इसलिए जरूरी है कि माता-पिता, घर के बड़े लोग बच्चों के सामने अच्छा व्यवहार करें। बच्चे हैं तो गलतियां करेंगे ही, लेकिन छोटी-छोटी गलतियों को नजरअंदाज करना चाहिए। बच्चों के सामने गाली-गलौच न करें। ऐसी भाषा बोलें जो आप उनसे सुनना चाहते हैं। बच्चे अपनी किसी भी उपलब्धि पर तारीफ सुनना चाहते हैं। आखिर घर वाले तारीफ नहीं करेंगे तो कौन करेगा। इसलिए उनकी तारीफ करें और हौसला भी बढ़ाएं। किसी अच्छे काम पर खूब शाबाशी दें। यही नहीं अक्सर माता-पिता भूल जाते हैं कि बच्चे अपमान को बहुत जल्दी महसूस करते हैं, इसलिए उनका अपमान न करें। न ही एक-दूसरे का अपमान करें। बच्चों को जैसा बनाना चाहते हैं उनके सामने वैसा ही आचरण करें। शोध के ये निष्कर्ष बहुत महत्वपूर्ण हैं। न केवल माता-पिता बल्कि सभी बड़ों को इनसे सीखना चाहिए। अपने आसपास के बच्चों पर नजर डालें। पार्क में खेलते बच्चों को देखें। या स्कूल बस में चढ़ते बच्चों पर ध्यान दें। इनमें से बहुत से बच्चे ऐसे मिलेंगे जो किसी से मिलना-जुलना, बातें करना, साथ खेलना पसंद नहीं करते हैं। वे किसी की मदद करना भी नहीं चाहते। जबकि बहुत से बच्चे ऐसे होते हैं जिनका रवैया दोस्ताना होता है। वे हमेशा दूसरों की मदद करने को आतुर रहते हैं। अक्सर हम सोचते हैं कि ऐसा क्यों है। हाल ही में इंटरनैशनल जर्नल ऑफ बिहेवियर में ऐसी बातें छपी हैं जिनसे इन बच्चों के मन को समझा जा सकता है। इसमें बताया गया है कि जिन बच्चों को माता-पिता का प्यार और देखभाल मिलती है, जिनके रिश्ते अपने माता-पिता से बहुत लगाव के होते हैं, वे हमेशा दूसरों की मदद करने में आगे रहते हैं। इनके मुकाबले जिनका बचपन कठिनाइयों, अभाव, मुश्किलों और तनाव से गुजरता है, उनमें दया, उदारता, सहानुभूति जैसे मानवीय गुण कम मिलते हैं। तीन साल तक के जो बच्चे अपने माता-पिता के बहुत निकट होते हैं, उन्हें किशोरावस्था में भी मानसिक समस्याएं कम होती हैं। अच्छी बात यह है, हालांकि परवरिश काफी कठिन काम है, यह बहुत फायदेमंद भी है। बुरा हिस्सा है कि बहुत कड़ी और लंबी मेहनत के बार अच्छी परवरिश रंग लाती है जोकि किसी पुरस्कार की तरह होती है। लेकिन अगर हम शुरू से ही अपनी पूरी मेहनत से इसमें लगें तो हम अंततः पुरस्कार वापस पा लेंगे और अफसोस करने के लिए कुछ भी नहीं होगा। एक अच्छे माता-पिता होने का मतलब है कि आपको अपने बच्चे को नैतिकता सिखाने की ज़रूरत है कि क्या सही है और क्या गलत है। हर चीज की सीमा तय करना और अच्छी संगती होना अच्छे अनुशासन की कुंजी है। उन नियमों को लागू करते समय दयालु और दृढ़ रहें। बच्चे के हर व्यवहार के पीछे के कारण पर ध्यान दें। और बच्चे को पिछली गलतियों के लिए सजा देने की बजाय भविष्य के लिए सीखने का मौका दें।आजकल के बच्चों से कोई भी काम कराना हो फिर चाहे होमवर्क हो या अपने खिलौने समेटना। हर काम के लिए उन्हें चॉकलेट, खिलौने का लालच देना ही पड़ता है। शुरुआत में माता-पिता की तरफ़ से दिया लालच बच्चों के व्यवहार में शामिल हो जाता है। फिर वे ख़ुद ही हर बात पर बोलने लगते हैं मैं ये करूंगा/करूंगी तो मुझे क्या मिलेगा। ऐसे में आपको मजबूरन कोई न कोई जवाब देना ही पड़ेगा। इसलिए बच्चों को हर बात पर लालच न दें। अगर कुछ देना चाहते हैं तो काम करने के बाद दे सकते हैं, लेकिन हमेशा नहीं। बच्चों को इस तरह के व्यवहार की आदत न डलवाएं। घर से मेहमान जाने के बाद अकसर परिवार के सदस्य उस व्यक्ति को लेकर बातें करते हैं, तो कभी कमियां निकालते हैं। यही सब बच्चे भी देखते हैं और वे उस व्यक्ति के बारे में वैसी ही धारणा बना लेते हैं। बच्चों के मन पर इन सबका गहरा असर पड़ता है और वे भी बड़े होकर लोगों में कमियां ढूंढने लगते हैं। कई बार तो घर के सदस्य भी एक-दूसरे की पीठ पीछे बुराई करते नज़र आते हैं, ये बेशक सामान्य बातचीत जैसा हो लेकिन बच्चा बड़े ग़ौर से ये सब देखता-सुनता है। कई बच्चे तो सभी के सामने बोल भी देते हैं कि कौन किस व्यक्ति के बारे में क्या कह रहा था। इसलिए कभी किसी की पीठ पीछे उसकी कमियां न निकालें न ही बुराई करें। बच्चों के लिए आप आईना हैं या यू कहें कि बच्चे आपका आईना हैं। जैसे बड़े, वैसे बच्चे। बच्चे कच्ची मिट्टी के समान होते हैं। उन्हें जैसा आकार दो वे वैसा ढल जाते हैं। उनके मन में आर्थिक रूप से कमजोर या अन्य धर्म या जाति के विद्यार्थियों के लिए कोई भेदभाव नहीं होता। वे अपने आसपास के माहौल से ही सीखते हैं। जैसा व्यवहार उन्हें अपने आसपास मिलता है वे वैसा ही व्यवहार करने लगते हैं। घर और स्कूल दोनों ही मिलकर बच्चों को अच्छे संस्कार देने का ठान लें तो कुछ भी मुश्किल नहीं। बच्चों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दी जाना भी जरूरी है। इसलिए बाल मनोविशेषज्ञ कहते हैं कि जैसा आप अपने बच्चों को बनाना चाहते हैं, वैसे ख़ुद बनें। साथ ही यह भी जानना ज़रूरी है कि बच्चों के सामने कैसे ना बनें।

बच्चे मिट्टी के घड़े, अभिभावक कुम्हार। जैसा चाहो वो बने, दे दो जो आकार।। बालमन कच्ची मिट्टी के समान, जैसा आकार देंगे, वैसा बन जाएंगे। बच्चे कच्ची मिट्टी के समान होते हैं। उन्हें जैसा आकार…