इसके बाद मई, 2014 में अम्बाला शहर से तत्कालीन विधायक कांग्रेस के विनोद शर्मा ने एम.एल.ए. के पद त्यागपत्र दे दिया था क्योंकि तब उन्होंने कांग्रेस पार्टी छोड़कर उनकी नई पार्टी बनानी थी जिसका नाम बाद में हरियाणा जनचेतना पार्टी (वी ) रखा गया जो आज भी भारतीय चुनाव आयोग द्वारा गैर मान्यता प्राप्त रजिस्टर्ड राजनीतिक दल के तौर पर पंजीकृत है. बहरहाल, चूँकि शर्मा के त्यागपत्र के समय तत्कालीन हरियाणा विधानसभा का कार्यकाल एक वर्ष से कम शेष था, इसलिए अम्बाला शहर विधानसभा सीट पर उपचुनाव नहीं कराया गया था.
बहरहाल, हेमंत ने बीते मई, 2023 से भारतीय चुनाव आयोग अर्थात मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार और 2 चुनाव आयुक्तों अनूप चंद्र पांडे और अरूण गोयल और आयोग के वरिष्ठ पदाधिकारियों को ज्ञापन एवं अभिवेदन और तदोपरांत कानूनी नोटिस भेजकर रिक्त अंबाला संसदीय सीट पर शीघ्र उपचुनाव कराने को लिखा हालांकि चुनाव आयोग से कोई जवाब नहीं मिला हालांकि एक आर.टी.आई. में जवाब दिया गया कि यह उपचुनाव का विषय विचाराधीन है.
हेमंत ने यह भी बताया कि वैसे तो कानूनन अर्थात लोक प्रतिनिधित्व कानून, 1951 की धारा 151 ए के अंतर्गत चुनाव आयोग द्वारा रिक्त अम्बाला लोकसभा सीट पर 18 नवंबर 2023 तक उपचुनाव करना अनिवार्य था चूँकि इस सीट से निवर्तमान सांसद कटारिया के निधन के दिन उनकी एक वर्ष से ऊपर की अवधि शेष थी.
बहरहाल, अगर चुनाव आयोग ने केंद्र सरकार से परामर्श कर ऐसा प्रमाणित भी कर दिया कि रिक्त अम्बाला लोकसभा सीटों पर उपचुनाव कराना संभव नहीं, तो इस बारे में भी आयोग को सार्वजनिक प्रकटीकरण करना चाहिए कि ऐसी कौन सी प्रशासनिक अथवा संभवतः तकनीकी परिस्थितियां हैं, जिनके फलस्वरूप कानूनन निर्धारित 6 माह की अवधि में उपचुनाव कराना संभव नहीं हो पाया.
उन्होंने यह भी बताया कि आज से 5 वर्ष पूर्व अक्तूबर-नवंबर 2018 में आयोग द्वारा कर्नाटक राज्य में तत्कालीन तीन रिक्त लोकसभा सीटों – बेलारी, शिमोगा और मांड्या पर उपचुनाव कराया गया था. हालांकि उसके 6 महीने बाद ही अप्रैल- मई 2019 में 17 वीं लोकसभा के आम चुनाव निर्धारित थे. इस प्रकार चुनाव आयोग द्वारा उपचुनाव के विषय पर दोहरे मापदंड अपनाये जा रहे हैं. बहरहाल, अब अम्बाला संसदीय सीट से नए लोकसभा सांसद के लिए अगले 5 महीने तक और इंतज़ार करना होगा क्योंकि आगामी 18 वी लोकसभा आम चुनाव के नतीजे मई, 2024 में ही घोषित होंगे.
हेमंत ने बताया कि अंबाला उपचुनाव न होने अर्थात नया निर्वाचित लोकसभा सांसद नहीं होने से इस लोकसभा हलके में विकास कार्यों के लिए अंबाला लोकसभा सांसद को एमपीलैडस ( संसद सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास योजना) के अंतर्गत वार्षिक स्वीकृत होने वाले 5 करोड़ रुपये, जिस मूल्य राशि के विकास कार्य लोकसभा सांसद द्वारा अपने संबंधित क्षेत्र में स्थानीय जिलाधिकारी को प्रस्तावित किए जा सकते हैं, वह संभव नहीं हो रहे है. अत: मौजूदा शेष वित्त वर्ष 2023-24 में उक्त 5 करोड़ रूपये मूल्य राशि के संभावित विकास कार्यों का नुकसान सभी हल्का वासियों को भुगतना होगा. वेसे भी 2020-21 और 2021-22 में कोरोना वायरस वैश्विक महामारी कारण 8 करोड़ रूपये का एमपीलैडस में आबंटन नहीं हो सका था. सनद रहे कि दिवंगत सांसद कटारिया को मई, 2019 के बाद उनके निधन तक एमपीलैडस के अंतर्गत केवल 7 करोड़ रूपये ही स्वीकृत हो सके थे.