कानूनन हर  जिला मुख्यालय की म्युनिसिपेलिटी है नगर परिषद बेशक जनसंख्या कितनी हो  — एडवोकेट
नूंह नगरपालिका को नगर परिषद बनाने के लिए किए गए कानूनी संशोधन से हुई थी   गड़बड़ी

चंडीगढ़  – आगामी कुछ माह में हरियाणा  राज्य चुनाव आयोग द्वारा  प्रदेश की   अढ़ाई दर्जन शहरी नगर निकाय  के आम चुनाव करवाए जाने हैं.  फरीदाबाद और गुरुग्राम नगर निगमों के ताज़ा   चुनाव गत वर्ष 2022 से लंबित हैं वहीं करनाल, पानीपत, हिसार, रोहतक और यमुनानगर के मौजूदा नगर निगम का पांच वर्ष कार्यकाल जनवरी, 2024 में  समाप्त हो रहा है. तीन वर्ष पूर्व दिसंबर, 2020 में स्थापित मानेसर नगर निगम के पहले आम चुनाव आज  तक लंबित हैं हालांकि वहां की  आधिकारिक अधिसूचित  जनसंख्या 3 लाख से कम होने कारण निगम के  कानूनी अस्तित्व पर पेंच फंस सकता है.

बहरहाल, इसी बीच पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट  हेमंत कुमार  ने एक रोचक परन्तु महत्वपूर्ण खुलासा करते हुए बताया कि वर्ष 2020 में किए गये एक कानूनी संशोधन दौरान हुई एक गड़बड़ी  से हरियाणा के 10 में से 9 जिला मुख्यालयों  पर मौजूद नगर निगम अब कानूनी और तकनीकी रूप से नगर परिषद बन गई है.

इस बारे  ब्यौरा देते हुए उन्होंने बताया कि  19 सितम्बर 2020  से   हरियाणा  म्युनिसिपल  (संशोधन) कानून, 2020 लागू  हुआ था. प्रदेश विधानसभा मार्फ़त यह कानूनी संशोधन   इसलिए कराया   गया था  ताकि प्रदेश में  नूंह जिला मुख्यालय  पर वर्तमान   नगर परिषद, जो तब हालांकि  नगर पालिका थी, उसे कानूनी तौर पर नगर परिषद के तौर पर अपग्रेड  किया जा सके.
तत्कालीन नूंह नगर पालिका क्षेत्र  की जनसँख्या 50 हज़ार से  कम होने के कारण बिना उक्त संशोधन किए   कानूनन  नूहं नगर पालिका को  नगर परिषद नहीं बनाया  जा सकता था क्योंकि हरियाणा में  शहरी क्षेत्र में नगर परिषद हेतु न्यूनतम 50 हज़ार की आबादी होनी आवश्यक है. इसलिए नूंह नगर पालिका को   नगर परिषद बनाने  के लिए  हरियाणा म्युनिसिपल कानून, 1973   की  धारा 2 ए में संशोधन कर    यह उल्लेख  कर दिया गया कि — परन्तु किसी जिला मुख्यालय पर विद्धमान /स्थापित  म्युनिसिपेलिटी (नगर  निकाय) उसकी जनसंख्या पर विचार किये बिना नगर परिषद होगी”.
उपरोक्त संशोधन से नूंह जिला मुख्यालय पर स्थापित तत्कालीन नगर पालिका तो 50 हजार की आबादी के कम होने के बावजूद  अपग्रेड होकर  नगर परिषद बन  गई और गत वर्ष जून, 2022 में 46 नगर निकायों के आम चुनावों में  नूंह नगर परिषद के पहले चुनाव भी  करवा लिए गए हालांकि  उक्त संशोधन कानून में प्रदेश के  जिला मुख्यालयों पर विद्धमान/स्थापित मुनिसिपलिटी का दर्जा नगर परिषद का  होने के  उल्लेख से प्रदेश  की उक्त  9  जिला मुख्यालयों पर स्थापित नगर निगमों का   कानूनी अस्तित्व ही  समाप्त हो गया है और वह इस आधार पर कानूनी संशोधन फलस्वरूप नगर  परिषद बन गई ‌हैं. अब ऐसा सुनने और पढ़ने में भले ही आश्चर्यजनक प्रतीत हो परंतु सत्य यही है.
हेमंत  ने बताया कि उक्त संशोधन कानून के लागू होने के   फलस्वरूप   प्रदेश के  9 जिला मुख्यालयों – अम्बाला, पंचकूला, करनाल, पानीपत, यमुनानगर, हिसार, रोहतक, सोनीपत और गुरुग्राम  पर  बीते कई  वर्षो से मौजूद नगर निगमें  कानूनी और तकनीकी तौर पर नगर परिषदें बन गईं  है चूँकि  उक्त  कानून द्वारा हरियाणा म्युनिसिपल कानून, 1973, जिसमें प्रदेश की सभी नगर निकायों का वर्गीकरण है, में डाले गये एक प्रावधान  अनुसार  हर  जिला मुख्यालय पर विद्धमान /स्थापित  म्युनिसिपेलिटी (नगर निकाय ) का  दर्जा  नगर परिषद का होगा   बेशक वहां की जनसंख्या कितनी ही  हो.
उन्होंने आगे    बताया कि न केवल  भारत के संविधान के अनुच्छेद 243 (क्यू)  अनुसार बल्कि   हरियाणा म्युनिसिपल  अधिनियम, 1973 एवं  हरियाणा नगर निगम अधिनियम, 1994  अर्थात हरियाणा में नगर निकायों के  मौजूदा दोनों  कानूनों  में  म्युनिसिपेलिटी शब्द  का कानूनी अर्थ होता   है- नगर पालिका, नगर परिषद या नगर निगम.
इस कारण उपरोक्त संशोधन कानून लागू होने के बाद   हरियाणा के हर जिला मुख्यालय की हर म्युनिसिपेलिटी वर्तमान में कानूनन नगर परिषद  है. हालांकि चूँकि  फरीदाबाद  नगर निगम का स्पष्ट उल्लेख हरियाणा नगर निगम  कानून, 1994 की धारा 3 में किया गया है इसलिए उसका  कानूनी अस्तित्व बच गया  है. वहीं  दिसंबर, 2020 में  घोषित    मानेसर नगर निगम भी  कानूनन वैध है क्योंकि मानेसर जिला मुख्यालय नहीं है चूंकि वह गुरुग्राम ज़िले के भीतर ही पड़ता है.
ज्ञात रहे  कि हरियाणा म्युनिसिपल  कानून, 1973  की धारा 2 ए में हरियाणा की सभी  म्युनिसिपेलिटी का वर्गीकरण है जिसके अनुसार 50 हज़ार तक की जनसँख्या वाले छोटे शहरों  में नगरपालिका समिति  (म्युनिसिपल कमेटी),  50 हज़ार से  तीन लाख तक  आबादी वाले   मध्यम  शहरो में नगर परिषद (म्युनिसिपल कौंसिल )  जबकि तीन लाख से ऊपर की जनसँख्या वाले बड़े शहरों /महानगरों में नगर निगम (म्युनिसिपल कारपोरेशन) का प्रावधान है.
हेमंत  ने सितम्बर, 2020    से आज तक   प्रदेश के  शहरी  स्थानीय निकाय  विभाग के तत्कालीन मंत्री अनिल विज और मौजूदा मंत्री डॉ. कमल गुप्ता,  विभाग के प्रशासनिक सचिव  और  निदेशक को  इस विषय पर  कई बार लिखकर  हरियाणा म्युनिसिपल कानून, 1973 की धारा 2 ए में पुनः उपयुक्त  संशोधन करने की अपील की ताकि प्रदेश की उपरोक्त  9 नगर निगमों का कानूनी अस्तित्व कायम रखा जा सकते परन्तु दुर्भाग्यवश आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई  है.

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