वेस्ट बंगाल के संतों ने ज्योतिसर गीता स्थली के वट वृक्ष के नीचे से कलश में डाली माटी, 48 कोस तीर्थ निगरानी कमेटी के चेयरमैन शिष्टमंडल को सौंपा माटी का कलश, वेस्ट बंगाल में भी 24 दिसंबर को आयोजित किया जाएगा गीता महोत्सव
कुरुक्षेत्र 2 नवंबर वेस्ट बंगाल की हर गली में गीता स्थली ज्योतिसर कुरुक्षेत्र की माटी की महक फैलेगी। इस तीर्थ की माटी को कलश में भरकर वेस्ट बंगाल से आए संत जनों का एक शिष्टमंडल अपने राज्य में लेकर जाएगा और वेस्ट बंगाल में ज्योतिसर की माटी को लेकर एक शोभायात्रा भी निकाली जाएगी। अहम पहलु यह है कि वेस्ट बंगाल में भी 24 दिसंबर को कुरुक्षेत्र की तर्ज पर गीता महोत्सव का आयोजन किया जाएगा।
वेस्ट बंगाल के संत जनों को ज्योतिसर वट वृक्ष के नीचे से मिट्टी का कलश भरकर कुरुक्षेत्र 48 कोस तीर्थ निगरानी कमेटी के चेयरमैन मदन मोहन छाबड़ा ने सौंपा। इससे पहले प्रधान स्वामी पार्दिपत्ता नंदा महाराज, उप प्रधान स्वामी निरगुना नंदा महाराज, श्री जगधर्रिता दास आदि ने कुरुक्षेत्र की महत्ता के बारे में जानकारी ली और इस दौरान केडीबी की तरफ से चेयरमैन मदन मोहन छाबडा ने संत जनों को ज्योतिसर की मिट्टी सौंपी, इस दौरान वेस्ट बंगाल के शिष्टमंडल ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव 2023 पर वेस्ट बंगाल में 24 दिसंबर को गीता महोत्सव वैश्विक गीता पाठ के साथ 1 लाख श्रद्धालु जुडेंगे।
चेयरमैन मदन मोहन छाबड़ा ने कहा कि वेस्ट बंगाल के संत जनों का एक शिष्टमंडल गीता महोत्सव का आयोजन करने के उद्देश्य से कुरुक्षेत्र पहुंचा। इस शिष्टमंडल ने ब्रह्मसरोवर और गीता उपदेश स्थली ज्योतिसर का भ्रमण किया। इस शिष्टमंडल ने गीता उपदेशों के साक्षी वट वृक्ष के नीचे से कलश में माटी ली है। इस माटी को लेकर वेस्ट बंगाल में शोभा यात्रा निकाली जाएगी। इस यात्रा के दौरान नागरिकों को गीता उपदेशों के बारे में जागरूक करने के साथ-साथ कुरुक्षेत्र के महत्व और ज्योतिसर गीता स्थली के बारे में जानकारी भी दी जाएगी।
उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार की तरफ से कुरुक्षेत्र को विश्व के मानचित्र पर लाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे है। इन प्रयासों के अलावा उदय भारत के तहत दक्षिण भारत के सभी कोटि गीता लिखने, पश्चिम भारत, पंजाब से अनेकों संस्थाएं अपने-अपने राज्यों में गीता महोत्सव का आयोजन करने से पहले कुरुक्षेत्र के ज्योतिसर में पहुंचती है और यहां से जल, मिट्टïी लेकर वापिस जाती है। इससे स्पष्ट होता है कि भारत के कोने-कोने से लोग आशीर्वाद  लेने के लिए लोग कुरुक्षेत्र पहुंच रहे है।

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