बच्चों में तेजी से फैल रहे आई फ्लू ने अभिभावकों की चिंता को बढ़ा दी है। श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय के आयुर्वेदिक अस्पताल में रोजाना 15 से 20 मरीज आई फ्लू के पहुंच रहे हैं। डॉक्टर की माने तो आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में इसे अभिष्यंद संक्रामक (कंटेजिअस) बीमारी में इसकी गणना की जाती है। जो एक दूसरे के संपर्क में आने से तेजी से फैलती है। शालक्य विभाग (नेत्र रोग) विशेषज्ञ डॉ. मनोज तंवर ने बताया कि आई फ्लू एक संक्रामक बीमारी है जो बारिश के मौसम में ज्यादा फैलती है, क्योंकि यह मौसम इस बीमारी के अनुकूल होता है। इस मौसम में आंखों और पेट के संक्रमण का खतरा सबसे अधिक रहता है। वैसे तो यह खतरनाक बीमारी नहीं है मगर आंखों में होने के कारण कष्टदायक होती है। एहतियात और आयुर्वेदिक ड्रॉप के इस्तेमाल से इस बीमारी से बचा जा सकता है। उन्होंने कहा कि प्रतिदिन रोगी को त्रिफला को उबालकर छान लें और इस गुनगुने पानी से दो से तीन बार आंखों को धोना चाहिए। जिससे आई फ्लू इंफेक्शन जैसी समस्या दूर हो सकती है।

आई फ्लू के लक्षण

आंखों का लाल होना, आंखों मे दर्द, खुजली, आंखों से पानी आना, आंखों में सूजन होना, आंखों में चुभन होना, आंखों में चिपचिपापन और तरल गंदगी जमा होना।

ऐसे करें बचाव

डॉ. मनोज तंवर ने बताया कि अगर परिवार में किसी को आई फ्लू हुआ है तो उसके संपर्क में आने से बचें। हाथों को नियमित रूप से साबुन से साफ करते रहें। रोगी के बर्तन व कपड़ो का इस्तेमाल न करें। रोगी बार-बार संक्रमित आंख पर हाथ न लगाएं। अगर आंखों को छुए तो हाथों को अच्छी तरह से साफ करें। इसके साथ ही रोगी का पित न बढ़े, इस बीमारी के दौरान मसालेदार और गर्म पदार्थों के सेवन से जरूर बचें। उन्होंने कहा कि अगर आंखों में सूजन और लालपन है तो तुरंत विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श करें। इसके साथ ही डॉक्टर की सलाह के बिना किसी भी मेडिकल स्टोर से दवाई लेकर आंखों में न डालें। इससे संक्रमण का खतरा ज्यादा बढ़ सकता है। क्योंकि मेडिकल स्टोर से जो आई ड्रॉप लिया जाता है उसमें स्ट्रियोड की उपस्थिति होती है जिससे व्यक्ति के देखने की क्षमता प्रभावित हो सकती है और आंखों में फोला रोग होने का भी खतरा बढ़ सकता है।

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