रविवारीय शुक्ल सप्तमी के पावन अवसर पर श्रद्धालुओं ने काम्यकेश्वर तीर्थ में लगाई श्रद्धा की डुबकी
कुरुक्षेत्र 25 जून कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के मानद सचिव उपेंद्र सिंघल ने कहा कि काम्यकेश्वर तीर्थ का जीर्णोद्धार और सरोवर का नवीनीकरण कराया जाएगा। तीर्थ की महत्ता बारे पर्यटकों व श्रद्धालुओं को अवगत कराया जाएगा ताकि आवागमन बढ़े। इसके साथ ही तीर्थ पर विकास कार्यों का रोडमैप तैयार कर जल्द ही अमलीजामा पहनाया जाएगा।
रविवार को मानद सचिव ने काम्यकेश्वर तीर्थ पर शुक्ला सप्तमी के पावन अवसर पर आयोजित मेले में विश्व शांति महायज्ञ में पूर्णाहुति डाली। विश्वशांति महायज्ञ में राज्यमंत्री संदीप सिंह के पिता गुरचरण सिंह, जयराम आश्रम से ब्रह्मचारी सत्यवान, ब्रह्मचारी रोहताश, जयराम संस्था के ट्रस्टी केके कौशिक व राजेंद्र सिंगला, ब्लाक समिति के पूर्व चेयरमैन देवीदयाल घराड़सी ने भी पूर्णाहुति डाली। रविवारीय सप्तमी पर श्रद्धालुओं ने काम्येश्वर तीर्थ में श्रद्धा की डुबकी लगाई। तीर्थ में स्थित शिव मंदिर में श्रद्धालुओं ने दूध, दही, गंगाजल आदि चढ़ाकर सुख-समृद्धि की कामना की। तीर्थ पर वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ ब्राह्माणों ने विश्व शांति यज्ञ किया। यज्ञ के उपरांत भंडारे का आयोजन हुआ। उसमें साधु-महात्माओं और ग्रामीणों ने प्रसाद ग्रहण किया।
केडीबी मानद सचिव उपेंद्र सिंघल ने कहा कि तीर्थ पर पार्किंग स्थल को पक्का कराया जाएगा। मेले के दौरान आयोजित होने वाले भंडारा स्थल पर शैड डलवाया जाएगा। काम्यकेश्वर तीर्थ के जीर्णोद्धार को लेकर कमोदा के ग्रामीणों ने मानद सचिव को मांग पत्र भी सौंपा। ग्रामीणों ने मांग कि केडीबी से चलने वाली तीर्थ दर्शन बसों का रूट कमोदा तीर्थ के लिए भी बनाया जाए। केडीबी योजना तालाब के नवीनीकरण से लेकर नया भवन बनाने की है, इससे आने वाले दिनों में मंदिर की शोभा बढ़ेगी और श्रद्धालुओं की संख्या में भी इजाफा होगा। महाभारत कालीन काम्यकेश्वर तीर्थ पर शुक्ल पक्ष रविवारीय सप्तमी के दिन पूजन का विशेष महत्व है। पुराण में वर्णित है कि शुक्ल पक्ष की रविवारीय सप्तमी के दिन स्नान करने के लिए पाडवों ने काफी लंबा इतजार किया फिर भी उनको इस दिन स्नान करने का सौभाग्य नहीं मिला।
ग्रामीण सुमिंद्र शास्त्री ने बताया कि इस स्थान पर मात्र प्रवेश से ही मनुष्य मोक्ष की प्राप्ति कर पुण्य का भागी बनता है। वनवास के दौरान पाडव आठ वर्ष 11 मास तक इसी धरा पर रहे। उनके साथ 10 हजार के करीब शास्त्रोतियानिष्ठ ब्राह्मण रहते थे, जो नित्य प्रति भगवान शिव का अभिषेक व अनुष्ठान किया करते थे। नीतिवेता विदुर जी, वेदव्यास जी, मारकंडेय जी एवं लोमहर्षण ऋषि जी नित्यप्रति महापुरुषों के जीवन का वृतात इसी धरा पर बताते थे। ग्रामीण सुखदेव शर्मा ने बताया कि पांडवों के वंशज अपने पितरों की मुक्ति एवं मनोकामना के लिए शुक्ल सप्तमी का इंतजार करते रहे। रविवार को तीर्थ के पवित्र सरोवर पर सुबह श्रद्धालुओं ने स्नान किया और शिवलिंग पर अभिषेक किया। मंदिर में विश्व शांति यज्ञ में श्रद्धालुओं ने आहुतियां डाली। मंदिर परिसर में कई दुकानें भी लगी, जिस पर लोगों ने खरीदारी की।

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