देश में बेरोजगारी की दर दिसंबर 2022 में बढ़कर 8.30% पर पहुंच गई। यह 16 महीने में सबसे ज्यादा है। इससे पहले अगस्त 2021 में बेरोजगारी दर 8.32% थी। दिसंबर 2021 में यह 7.91% और नवंबर-22 में 8% थी। बेरोजगारी दर में बढ़ोतरी मुख्य रूप से शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी बढ़ने से हुई है।
शहरी क्षेत्र में बेरोजगारी ज्यादा
दिसंबर में शहरी क्षेत्र में बेरोजगारी दर 10.09% पर पहुंच गई। यह नवंबर में 8.96% थी। वहीं, ग्रामीण क्षेत्र की बेरोजगारी दर मामूली घटी है। यह दिसंबर में 7.44% रही, जो नवंबर में 7.55% थी। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के एमडी महेश व्यास ने कहा कि बेरोजगारी दर में वृद्धि उतनी बुरी नहीं, जितनी आगे दिख सकती है। बीते महीनों में श्रम भागीदारी की दर में बढ़ोतरी देखी गई है। यह दिसंबर में बढ़कर 40.48% पर पहुंच गई, जो 12 महीनों में सबसे ज्यादा है।
जुलाई-सितंबर में बेरोजगारी की दर घटकर 7.2% रह गई थी
सबसे महत्वपूर्ण यह है कि दिसंबर में रोजगार दर बढ़कर 37.1% हो गई, जो जनवरी 2022 के बाद से सबसे अधिक है। आगामी महीनों में महंगाई रोकना और लाखों युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा करना सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। NSO द्वारा नवंबर में आंकड़ों के अनुसार, जुलाई-सितंबर में बेरोजगारी की दर घटकर 7.2% रह गई थी। यह इससे पिछली अप्रैल-जून तिमाही में 7.6% के स्तर पर थी।
कैसे तय होती है बेरोजगारी दर?
दिसंबर में बेरोजगारी दर 7.6% रहने का मतलब यह है कि काम करने को तैयार हर 1000 वर्कर में से 76 को काम नहीं मिल पाया। CMIE हर महीने 15 से अधिक उम्र के लोगों का घर-घर जाकर सर्वे करता है और उनसे रोजगार की स्थिति की जानकारी लेता है। इसके बाद जो परिणाम मिलते हैं उनसे रिपोर्ट तैयार की जाती है।
इकोनॉमी की हेल्थ को दर्शाती है बेरोजगारी दर
CMIE के मुताबिक भारतीय अर्थव्यवस्था की सेहत को बेरोजगारी दर सही तरह से दर्शाती है, क्योंकि यह देश की कुल जनसंख्या में कितने बेरोजगार हैं, इसको बताती है। थिंक टैंक को उम्मीद है कि रबी फसल की बुआई की शुरुआत में तेजी देखने को मिल सकती है। इसका मतलब है कि चालू वित्त वर्ष में एग्री सेक्टर एक बार फिर शानदार प्रदर्शन करेगा। इससे प्रवासी मजदूर खेतों की ओर वापसी करेंगे।