बैटरी की कीमतें बढ़ने से देश में इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) के दाम 7-10% बढ़ सकते हैं। इसके चलते सस्ती ईवी को बढ़ावा देने की मुहिम को झटका लग सकता है। ब्लूमबर्ग एनईएफ के मुताबिक, इस साल दुनियाभर में लिथियम आयन बैटरी पैक औसतन 7% महंगे हुए हैं। लेकिन भारत में ईवी बैटरी की कीमतें 50-60% बढ़ गई हैं।

ईवी ऊर्जा के सीईओ संयोग तिवारी ने दैनिक भास्कर को बताया कि ईवी में आग लगने की घटनाओं के बाद सरकार ने बैटरी संबंधी नियम सख्त कर दिए हैं। दिसंबर के बाद से बैटरियों की टेस्टिंग के लिए एआईएस 156 स्टैंडर्ड लागू हो जाएगा। इसके अलावा बीएमएस, आईसी जैसे कई इलेक्ट्रॉनिक्स पार्ट्स और बैटरी में इस्तेमाल होने वाले खनिजों के दाम भी बढ़ गए हैं। इसके चलते घरेलू बाजार में बीते साल 11,700 से 12,900 रुपए प्रति किलोवाट आवर तक मिलने वाली बैटरी अब 14,800 से 18,900 रुपए तक मिल रही है।

घरेलू बाजार में 4 कारणों से महंगी हो रही ईवी बैटरी

  • लिथियम, कोबाल्ट, निकल जैसे खनिज महंगे हो गए
  • चीन में लॉकडाउन के चलते सप्लाई की दिक्कतें बढ़ी हैं
  • देश में बैटरी परीक्षण के सख्त नियम लागू हो रहे हैं
  • बैटरी में इस्तेमाल होने वाले इलेक्ट्रॉनिक्स के दाम बढ़ गए

पेट्रोल-डीजल कारों की कीमतें भी बढ़ना तय
इससे पहले मारुति-सुजुकी, टाटा मोटर्स, एमजी मोटर, रेनो, मर्सिडीज-बेंज और ऑडी जैसी कंपनियां जनवरी से सभी मॉडलों के दाम 5-15% तक बढ़ाने की घोषणा कर चुकी हैं।

15% तक बढ़ी ईवी की मैन्युफैक्चरिंग लागत
ऑटोमोबाइल एक्सपर्ट संजीव गर्ग ने बताया कि बैटरी महंगी होने से इलेक्ट्रिक वाहन खासतौर पर टू-व्हीलर कंपनियों की लागत 15% तक बढ़ी है। वाहन की कीमत में बैटरी की हिस्सेदारी 45-50 फीसदी होती है। हालांकि हाल में डिमांड सुस्त पड़ने के चलते ईवी कंपनियां इसका पूरा बोझ ग्राहकों पर डालने से बच रही हैं। पर कीमतें 7 से लेकर 10 फीसदी बढ़ाना उनकी मजबूरी है। इसके चलते अगले साल ईवी महंगे हो सकते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *