हरियाणा में फैले खसरे का खतरा अब जिले में बढ़ रहा है। जिला अस्पताल के आइसाेलेशन वार्ड में साेमवार काे खसरे के 5 राेगी बच्चे भर्ती हुए हैं। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से खसरे के राेगी और मीजल्स रूबेला टीकाकरण से वंचित बच्चाें काे चिह्नित करने के लिए सर्वे चल रहा है, जिसमें 7 हजार वंचित बच्चे चिह्नित किए जा चुके हैं।
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अनुसार मालाखेड़ा निवासी महेश (1), मिलकपुर रामगढ़ निवासी अभी (2) व श्रेयांश (1), लक्ष्मणगढ़ निवासी अनीषा (10) और सामाेला निवासी सहवान (1) काे आइसाेलेशन वार्ड में भर्ती किया गया है। इन बच्चाें में खसरे का प्रभाव अधिक है, जिन्हें दाने और लाल चकते निकलने के बाद बुखार भी है।
इनके अलावा निजी अस्पतालाें में राेगियाें की संख्या अधिक बढ़ रही है। वहां सरकारी अस्पताल से कई गुना राेगी बच्चे भर्ती हैं। आरसीएचओ डाॅ. अरविंद गेट ने बताया कि खसरे की राेकथाम के लिए पूरे जिले में सर्वे चलाया जा रहा है, जिसमें अब तक 7 हजार वंचित बच्चे चिह्नित किए जा चुके हैं, जिन्हें जल्द मीजल्स-रूबेला के टीके लगाए जाएंगे।
साथ ही हर पांच वर्ष तक के बच्चाें का टीकाकरण हाेगा, जिससे वे गंभीर बीमारियाें से बच सकें। हरियाणा से बढ़ा खतरा, अलवर से राेजाना आवागमन : हरियाणा के मेवात क्षेत्र में खसरा फैला हुआ है। वहां से ये खतरा अब जिले में प्रवेश कर गया है। क्याेंकि वहां से अलवर में राेजाना आवागमन है। चिकित्सा विशेषज्ञाें के मुताबिक यह संक्रामक राेग है और एक से दूसरे बच्चाें में तेजी से फैलता है।
अगर बुखार के साथ बच्चे के चेहरे व गर्दन पर लाल दाने और चकते दिखाई दें ताे तुरंत डाॅक्टर काे दिखाएं और अगर 9 और 16 महीने पर मीजल्स-रूबेला का टीकाकरण नहीं कराया ताे टीके लगवाएं। यह राेग गंभीर हाेने पर जानलेवा भी हाे सकता है।
बच्चाें में तेजी से खसरा फैल रहा है। रात तक आइसाेलेशन वार्ड में 5 राेगी भर्ती हाे चुके हैं। हालांकि किसी मरीज की अभी गंभीर हालत नहीं है। लेकिन इससे बचाव बेहद जरूरी है। जहां भी खसरा फैला है और वहां टीकाकरण से वंचित हैं ताे वे टीके जरूर लगवाएं।
डाॅ. साेमदत्त गुप्ता, प्रभारी गीतानंद शिशु अस्पताल अलवर
निजी अस्पतालाें की ओपीडी में खसरे के लक्षण वाले राेगी राेजाना आ रहे हैं। लेकिन अभी गंभीर स्थिति वाले मरीज नहीं है। लेकिन सावधानी बरतना जरूरी है। जहां भी खसरे के केस हैं वहां संक्रमित बच्चाें काे अलग आइसाेलेट रखें और तुरंत अस्पताल पहुंचकर डाॅक्टर काे दिखाएं।
-दीपेश गुप्ता, शिशु राेग विशेषज्ञ