-लेखक- डॉ अशोक कुमार वर्मा
आज स्मार्ट मोबाइल फोन, लैपटॉप, कंप्यूटर हमारे हाथ में है। यह एक ऐसा साधन है जिसने पूरी दुनिया को हमारी मुट्ठी में कर दिया है अर्थात गूगल पर जाकर हम कुछ भी सर्च कर सकते हैं। कभी भी कही भी किसी भी समय व्यक्ति इनके प्रयोग से समस्याओं का समाधान ढूंढ सकता है। विद्यार्थियों, शिक्षकों, व्यापारियों, बच्चों, वयस्कों और वृद्धों के साथ साथ अनुसंधानकर्ताओं के लिए यह वरदान सिद्ध हुआ है। तकनीकी संसाधनों ने मनुष्य की बहुत सी कठिनाइयों को समाप्त कर दिया है। किसी को रुपया भेजना है तो भी कोई समय नहीं लगता और प्राप्त करना है तो भी बहुत सरल हो गया है। ऑनलाइन संसाधनों ने मनुष्य की बहुत कठिनाइयों को समाप्त कर दिया है। आप यात्रा पर हैं, कोई कार्य नहीं हैं, समय व्यतीत करने के लिए गाने सुन सकते हैं, फिल्म देख सकते हैं। सात समुन्दर पार बैठे किसी परिजन से वीडियो कॉल के द्वारा आमने सामने बात कर सकते हैं। एक और इनके प्रयोग से कार्यों में गति प्राप्त हुई है तो दूसरी और इनका दुरुपयोग एक बहुत बड़ी चुनौती बन गया है। कहा जा सकता है कि यह मनुष्य के लिए वरदान सिद्ध हुआ हैं लेकिन दूसरी और अभिशाप भी बनकर उभरा हैं क्योंकि आज से कुछ वर्ष पूर्व यदि कोई व्यक्ति अपराध करता था तो वह शारीरिक रूप से उपस्थित होकर ही कर सकता था लेकिन आज उन्हीं अपराधों को दूर बैठकर कंप्यूटर के माध्यम से कर रहा है। विधि की भाषा में इसको साइबर अपराध कहते हैं। साइबर अपराध ऐसे अपराध होते हैं जो कंप्यूटर, इंटरनेट, मोबाइल तकनीकों का प्रयोग करके व्यक्ति अथवा किसी संस्थान आदि के विरुद्ध किये जाते हैं। साइबर अपराधी सोशल नेटवर्किंग साइटों, ईमेल, चैटरूम, नकली सॉफ्टवेयरों, वेबसाइट इत्यादि का प्रयोग करके पीड़ितों पर आक्रमण करने के लिए करते हैं।
साइबर ठग आए दिन नए-नए प्रकार से लोगों को अपना शिकार बनाकर उनके साथ साइबर ठगी करते हैं। साइबर ठग लोगों का मानसिक व सामाजिक रूप से तंग करते है और उनके साथ ठगी करके आर्थिक नुकसान पहुँचाते है, इसलिए हमें किसी भी प्रकार के प्रलोभन में नहीं आना चाहिए, साइबर ठग अच्छे रुपया कमाने का लोभ देकर, शेयर बाजार में निवेश कराकर, कस्टम अधिकारी/पुलिस अधिकारी बनकर आपके किसी पार्सल में कोई संदिग्ध वस्तु होने पर केस में फंसाने के नाम पर या नो-ऑब्जेक्शन-सर्टिफिकेट जारी करने के नाम पर रुपये वसूल करके ठगी जैसी घटनाओं का सृजन करते हैं। पूर्व में साइबर ठगों द्वारा प्रयोग किए जाने वाले तरीकों के कुछ अंश इस प्रकार हैं। साइबर अपराधी सोशल मीडिया जिसमें फेसबुक/इंस्टाग्राम आदि से किसी व्यक्ति की फोटो डाउनलोड कर लेते हैं। उसी के नाम से जाली पहचान बनाकर लोगों से पैसे की मांग करते हुए कहते हैं कि बहुत इमरजेंसी है कृपया इतने रुपए मुझे भेज दो। कुछ लोग झांसे में आकर रूपए ऑनलाइन स्थानांतरित कर देते हैं। इसीलिए अपने सभी सोशल मीडिया एकाउंट्स की प्रोफाइल की प्राइवेसी सेटिंग के माध्यम से प्रोफाइल पर लॉक लगा कर रखें और साइबर ठगी का पता लगने पर बिना किसी देरी के उस आईडी को ब्लॉक करवाएं। किसी भी अज्ञात नंबर से वीडियो कॉल को अटेंड ना करें जिससे कि आप सेक्सटॉर्शन के माध्यम से होने वाली साइबर ठगी से बच सकते हैं। अपने ऑनलाइन खातों/लॉगिन पर टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन का प्रयोग करें। अपने सिस्टम को हमेशा अप-टू-डेट रखें। पब्लिक वाई-फाई का प्रयोग करते समय सावधानी बरते तथा प्राइवेट नेटवर्क का ही प्रयोग करें।
आजकल ईमेल आदि पर किसी भी अज्ञात स्रोत से प्राप्त लिंक पर क्लिक ना करे। समय-समय पर अपने एटीएम/क्रेडिट कार्ड के पासवर्ड को बदलते रहें। किसी से भी अपने बैंक संबंधी जानकारी साझा न करें। ऑनलाइन वाइन-डिलीवरी के लिए गूगल पर कस्टमर नम्बर सर्च न करें, अन्यथा आप साइबर ठगी के शिकार हो सकते हैं। हमें अच्छे से समझना चाहिए कि साइबर अपराध क्या है और इससे बचने के लिए साइबर सुरक्षा की जानकारी रखना हमारे लिए कितनी आवश्यक है। साइबर सुरक्षा की जानकारी होना ही आपको साइबर ठगों से बचा सकती है। साइबर अपराधों व साइबर सुरक्षा के बारे में जानकारी रखें व जागरूक रहे, ताकि कोई साइबर ठग आपके साथ किसी प्रकार से कोई ठगी/फ्रॉड ना कर सके। साइबर अपराध होने पर तुरंत अपनी शिकायत साइबर हेल्पलाइन नम्बर 1930 पर दर्ज कराए।

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